जान जोखिम में डाल सांप पकड़ते कर्मी
हरनाटाड़। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व एक मात्र स्नैक कैचर के भरोसे चल रहा है। इसका...

हरनाटाड़। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व एक मात्र स्नैक कैचर के भरोसे चल रहा है। इसका नतीजा यह हो रहा है प्रत्येक महीने दर्जनभर सांप मारे जा रहे हैं। रिहायशी क्षेत्र में पहुंचने पर लोगों की सूचना पर स्नेक कैचर नहीं पहुंचने पर डर के मारे लोग उन्हें मारकर फेंक दे रहे हैं। वीटीआर के 11 वनक्षेत्रों में एक स्नैक कैचर है, यह सुनकर ही अजीब लग रहा है। कई बार अधिकारी बिना प्रशक्षण प्राप्त किये वनकर्मी को विषैले सांप व अजगर पकड़ने के लिए भेज दे रहे हैं। इससे उनकी जान जोखिम में पड़ जा रही है। सांप व अजगर पकड़ने या उनके रेस्क्यू के लिए हाई टेक्नोलौजी वा किट आद भी उपलब्ध नहीं हैं। अजगर धामिन, चितांग, रसेल वाइपर, किंग कोबरा, कोबरा, करैत समेत दर्जनभर प्रजाति के विषैले और खतरनाक सांप वीटीआर में मौजूद हैं। कई किलोमीटर तक रेंग कर रिहायशी क्षेत्रों में पहुंच जा रहे हैं। बल्कि यूं कहें कि रिहायशी क्षेत्रों में अजगर व सांपों का निकलना आम बात हो गई है। बीते एक वर्ष में ही दर्जनभर लोगों की मौत हो चुकी है।
सांप व अजगर के रेस्क्यू के बनेगी अलग टीम:
वीटीआर के वन संरक्षक सह डायरेक्टर डॉ. नेशामणि के ने बताया कि अजगर समेत विषैले सांपों को रेस्क्यू करने के लिए कुछ वनकर्मियों की एक अलग टीम बनायी जायेगी। विशेषज्ञों से उन्हें प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। वीटीआर के प्रत्येक वनक्षे में एक टीम को तैनात किया जाएगा। सांपों व अजगरों के अधिवास क्षेत्र बनाये जाने के लिए अधिकारियों से पत्राचार किया जा रहा है।
