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महिला पर्यवेक्षिकाएं करेंगी आंगनबाड़ी की जांच

शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के 3 से 6 वर्ष के कुपोषित बच्चे, गर्भवती व प्रसूति महिलाओं का न्यूटीशन लेबल दुरुस्त कर कुपोषणमुक्त कराने के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रम के संचालन में अब गड़बड़ी करना काफी मुश्किल...

महिला पर्यवेक्षिकाएं करेंगी आंगनबाड़ी की जांच
हिन्दुस्तान टीम,बगहाTue, 10 Oct 2017 12:03 AM
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शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के 3 से 6 वर्ष के कुपोषित बच्चे, गर्भवती व प्रसूति महिलाओं का न्यूटीशन लेबल दुरुस्त कर कुपोषणमुक्त कराने के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रम के संचालन में अब गड़बड़ी करना काफी मुश्किल होगा। अब हर दिन दो महिला पर्यवेक्षिका अपने पोषक क्षेत्र के आंगनबाड़ी केन्द्र का निरीक्षण कर फोटो विभाग के साइट पर डालेगी। बच्चों के लिए निर्धारित मात्रा में पोषाहार बना है या नहीं बना है गुणवत्ता है कि नहीं इसकी जांच करेगी। सप्ताहिक स्तर पर भी अलग से जांच की व्यवस्था की गयी है। केन्द्र संचालन में गड़बड़ी के तमाम रास्ते बंद कर दिए गए है। डीएम के आदेश पर डीपीओ ने जिले 3486 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर विभागीय गाइडलाइन के अनुसार कमेटियों का गठन कर दिया है।

मॉनिटरिंग की यह नई व्यवस्था:- आईसीटीएस के गाइड लाइन के अनुसार आंगनबाड़ी विकास समिति पोषाहार वितरण एवं संघन निगरानी समिति का गठन किया जा रहा है। माह में 25 दिन केन्द्र पर पोषाहार देने की व्यवस्था है। इस पर नजर रखने के लिए केन्द्र पर स्कूल पूर्व शिक्षा पाने वाले बच्चों की माताओं को जिम्मेवारी दी गयी है। प्रतिदिन जांच के लिए अलग- अलग कमेटी बनायी गयी है जो हर दिन पोषाहार की मात्रा व गुणवत्ता की जांच कर पोषाहार निगरानी पंजी पर हस्ताक्षर करेगी।

कुपोषण दूर करने में केन्द्रों की बड़ी भूमिका:- बेतिया। ग्रामीण क्षेत्र के महिलाएं व 3 से 6 साल तक के बच्चे कुपोषण का शिकार है। गर्भावस्था के दौरान व प्रसव उपरांत महिलाए एनीमियां का शिकार हो जाती है। पौष्टिक भोजन के अभाव में वे रुग्न हो जाती है। इसका जन्म लेने वाले बच्चों पर भी पड़ता है। वे कुपोषण का शिकार हो जाते है। बच्चों व महिलाओं का कुपोषण दूर करने में आंगनबाड़ी केन्द्रों की अहम भूमिकाहै।

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