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झोलाछाप डॉक्टरों के सहारे फूड प्वाइजनिंग के शिकार

प्रखंड के मधुरी गांव मे उल्टी-दस्त की बीमारी से भले ही लोगों अब मिलनी शुरू हो गयी है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लचर कार्यप्रणाली से लोग रविवार को नाराज दिखे। स्वास्थ्य विभाग की टीम व डॉक्टर गांव में...

झोलाछाप डॉक्टरों के सहारे फूड प्वाइजनिंग के शिकार
हिन्दुस्तान टीम,बगहाMon, 20 May 2019 03:28 PM
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प्रखंड के मधुरी गांव मे उल्टी-दस्त की बीमारी से भले ही लोगों अब मिलनी शुरू हो गयी है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लचर कार्यप्रणाली से लोग रविवार को नाराज दिखे। स्वास्थ्य विभाग की टीम व डॉक्टर गांव में कहीं भी नजर नहीं आए।

नतीजन दूसरे दिन लोग झोला छाप डॉक्टरों की सेवा और दवा लेने को मजबूर दिखे। अभी भी ग्रामीणों में एकबारगी हुई बीमारी से दहशत है। स्थानीय लोगों की माने तो दूसरे दिन स्वास्थ्य कर्मियों का गांव में नहीं आना सरकारी स्वास्थ्य सेवा एवं उनके दावे को फेल कर रहा है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अभी भी मामले की बगैर जांच के ही मामले को फूड प्वाइजनिंग करार देने पर अड़े हैं। एक भी जगह से खाद्य पदार्थ का सैंपल भी स्वास्थ्य महकमा या पुलिस प्रशासन जब्त नहीं कर सकी है। इस कारण विभाग पर सवालिया निशान उठना भी शुरू हो गया है।

डायरिया या फूड प्वाइजनिंग

प्रश्न उठ रहा है कि गांव के एक समारोह में एक साथ लगभग दो से ढा़ई सौ लोगों ने भोज खाया था। उनमें से करीब साठ लोगों को ही फूड प्वाइजनिंग कैसे हो सकती है। स्थानीय ग्रामीण रमेश प्रसाद,मनोज साह, गंगा यादव, दिनेश पासवान आदि ने बताया कि दूसरे दिन स्वास्थ्य कर्मियों को नहीं आने से झोला छाप डॉक्टर ही सहारा हैं। वही अधिकांश पीड़ित लोगों का कहना था कि हमलोग कहीं भी कोई भोज नहीं खाए हैं। एकाएक देर रात्रि से उल्टी-दस्त की शिकायत प्रारंभ हुई है। ऐसे में बिना जांच के फूड प्वाइजनिंग कहना सही नहीं रहेगा। इधर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी विजय चौधरी ने बताया कि गांव से शिकायत नहीं आने के कारण स्वास्थ्य विभाग की टीम को नहीं भेजा गया। गांव की स्थिति की जानकारी के लिए आशा कार्यकर्ता को नजर बनाए रखने के लिए कहा गया था। साथ ही बताया कि गर्मी के मौसम में सभी को खास ख्याल रखने की जरूरत है। दूषित पानी या फिर अन्य चीज नही खाए।साफ सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए।गर्मी से बचाव के लिए शरीर का ख्याल रखना चाहिए। वहीं गर्मी से बचाव के इंतजाम रखने चाहिए।

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