बच्चों के विकास में खिलौने का महत्वपूर्ण भूमिका
बेतिया | बेतिया कार्यालय खिलौने एक बच्चे के दिमाग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका...
बेतिया | बेतिया कार्यालय
खिलौने एक बच्चे के दिमाग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और बच्चों में साइकोमोटर और संज्ञानात्मक कौशल को बेहतर बनाने में भी मदद करते हैं।उक्त बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑनलाइन माध्यम से भारतीय खिलौनों के वर्चुअल मेले का उद्घाटन करते हुए कही।
चार दिवसीय मेले का उद्देश्य भारत के खिलौना उद्योग को बढ़ावा देना है। इसके साथ ही बच्चों के पठन-पाठन में खिलौनों की महत्ता को भी बताया गया। बालपन में बच्चों को सबसे ज्यादा प्रिय उनके खिलौने ही होते हैं। इसलिए अगर खिलौनों के माध्यम से बच्चों को शिक्षा दी जाए तो चीजों को ज्यादा तेजी से समझ सकेंगे। इसके अलावा बच्चों खिलौनों से रचनात्मकता को भी विकास होगा।इस दौरान जिले के विभिन्न विद्यालयों के शिक्षकों ने ऑनलाइन माध्यम से खिलौना मेला में भाग लिया।
जिले में लकड़ी और मिट्टी के बनते हैं खिलौने
जिले के विभिन्न हिस्सों में मिट्टी और लकड़ी के खिलौने बनाए जाते हैं। जिन्हें वर्ष भर लगने वाले विभिन्न मेलों में इस्तेमाल किया जाता है।नगर में खासकर दशहर और छठ महापर्व के समय लगने वाले मेलों मेें लकड़ी के कारिगर बच्चों के लिए तीन पहिया गाड़ी और अन्य रंग विरंगे खिलौने बनाते हैं। काली बाग जोड़ा इनार निवासी दीनानाथ पड़ित ने बताया कि पर्व त्योहार आते है। नगर में खासकर दशहर और छठ महापर्व के समय लगने वाले मेलों मेें लकड़ी के कारिगर बच्चों के लिए तीन पहिया गाड़ी और अन्य रंग विरंगे खिलौने बनाते हैं। काली बाग जोड़ा इनार निवासी दीनानाथ पड़ित ने बताया कि पर्व त्योहार में ही अक्सर खिलौने बिकते हैं। उन्होंने बताया कि वे मिट्टी के खिलौने बनाते हैं। लेकिन इनकी मांग हमेशा नहीं रहती है। दिवाली के अलावे जब लोगों द्वारा ऑर्डर दिया जाता है तभी वे खिलौने बनाते हैं। वहीं बानूछापर निवासी रमाशंकर ने बताया कि लकड़ी के खिलौनों की मांग छोटे बच्चों के लिए होती है। आजकर चायनिज खिलौने ज्यादा लोग पसंद करते हैं। लेकिन कुछ लोग आग भी लकड़ी के खिलौने बनावते हैं। लेकिन इनकी विक्री ज्यादातर पर्व और त्योहारों पर लगने वाले मेलों में ही होती है।