मीना बाजार के अस्तित्व पर मंडराया खतरा
कभी शहर के गौरव रहे मीनाबाजार की सूरत अतिक्रमणकारियों ने बिगाड़ दी है। उत्तर बिहार के सबसे पुराने मार्केट कॉम्लेक्स की 90 फीसदी दुकानों का नक्शा अतिक्रमणकारियों ने बदल दिया है। बेतियाराज के इस...
कभी शहर के गौरव रहे मीनाबाजार की सूरत अतिक्रमणकारियों ने बिगाड़ दी है। उत्तर बिहार के सबसे पुराने मार्केट कॉम्लेक्स की 90 फीसदी दुकानों का नक्शा अतिक्रमणकारियों ने बदल दिया है। बेतियाराज के इस ऐतिहासिक धरोहर की सड़क व गलियों तक की सूरत बेतहाशा अतिक्रमण ने बिगाड़ दी है। करीब दो तिहाई दुकानों तोड़ कर दो मंजिला से तीन मंजिला तक बना दिया गया है।
बावजूद इसके प्रशासन की आंख किसी प्रतिद्वंद्वी दुकानदार या कारोबारी की शिकायत पर ही खुलती है। विरोध ज्यादा बढ़ने पर एफआईआर तक दर्ज करा कर माहौल शांत करा दिया जाता है। ऐसे ‘खेल के बावजूद एक भी आरोपित पर नगर पुलिस कानूनी शिकंजे में नहीं कस पाई है।
ताजा प्रकरण मीना बाजार (छोटा रामना) के एक दुकानदार के अवैध निर्माण का है। इनकी दुकान के दो मंजिला हो रहे विस्तार और इसकी नप के लैप पोस्ट तक को उखाड़ कर हटा देने की शिकायत में अजय कुमार, मुन्ना प्रसाद, हरि शंकर प्रसाद ने ईओ से लेकर नप कार्यालय तक बावेला मचाया। कार्रवाई में दल बल सहित पहुंचे सिटी मैनेजर मोजिबुल हसन ने अपने बिजली पोल को पुराने स्थान पर गाड़वा कर अपनी जिम्मेदारी पूरी समझ लिया।
इस बीच लगातार जारी रहे इस अवैध निर्माण की शक्ल अब दूसरी मंजिल तक पहुंच गई है। सिटी मैनेजर का कहना है कि नप को केवल राजस्व वसूली का अधिकार है। बाकि की जिम्मेदारी अंचल व जिला प्रशासन की है। भाकपा माले के जिला कमेटी सदस्य सुनील कुमार राव बताते हैं कि मीनाबाजार के दुकानदार, नगर परिषद व प्रशासन मिल बांटकर शहर की एक बड़ी विरासत को बर्बाद करने का खेल खेल रहे हैं। इधर अंचल अधिकारी रघुबीर प्रसाद ने बताया कि जानकारी व शिकायत नहीं मिल पाने के कारण हमारी तरफ से कार्रवाई नहीं हो सकी है। वे खुद से इसको देख रहे हैं। शीघ्र ही कार्रवाई होगी।