आफत में मालिक के लगी ना मिलल सहारा ...
कमाये खातिर गांव छोड़ले रहनी। लेकिन लॉकडाउन अईसन कईलश की मालिक नौकरी से निकाल देहनी। घरे आवे ले अईसन हालत हो गईल की कमरा के किराया देवे के भी पईसा ना बाचल। केहुंगा जोगाड़ कर के ईहा पहुंचल...
कमाये खातिर गांव छोड़ले रहनी। लेकिन लॉकडाउन अईसन कईलश की मालिक नौकरी से निकाल देहनी। घरे आवे ले अईसन हालत हो गईल की कमरा के किराया देवे के भी पईसा ना बाचल। केहुंगा जोगाड़ कर के ईहा पहुंचल बानी।
लौरिया प्रखंड के मुकेश पासवान ने अपनी आपबीती बताते हुये कहा कि सबसे बड़ा दु:ख ई बात के बा की जहां सालों से काम करत रहनी,ऊ मालिक के भी ई आफत के समय साथ ना मिलल। अब कबो ना छोड़ेम आपन गांव। मुकेश शनिवार की रात श्रमिक स्पेशल ट्रेन से केरल के अलप्पुझा से बेतिया पहुंचे थे। मुकेश ने बताया कि वह केरल में एक सीमेंट की दुकान में काम करते थे। लेकिन लॉकडाउन के कारण ऐसा हुआ की मालिक ने काम से हटा दिया।
डेढ़ महीने तक बिना काम किये बैठ कर खाने से जमा किये हुये पैसे भी खत्म हो गये। काफी परेशानी का सामान करते हुये यहां तक पहुंचा हूं। लेकिन सुकून इस बात की है कि अब अपने घर पहुंच गया हूं। सिकटा के सुनील बैठा ने बताया कि वह केरल में अपने परिवार के साथ रहकर मजदूरी का काम करते थे। सब कुछ अच्छा चल रहा था, लेकिन लॉकडाउन के कारण ऐसा हुआ कि पाई-पाई करके जो जोड़ा था, वह अपने व पत्नी- बच्चों की खुराक में खत्म हो गया। खाली हाथ ही घर लौटना पड़ा है।