अब बाघ के साथ गैंडा भी देख सकेंगे वीटीआर आनेवाले पर्यटक
हरनाटांड़(प.च.)। सुमित मिश्रा वाल्मीकि टाइगर रिजर्व(वीटीआर) में आने वाले पर्यटकों को अब बाघ व...
हरनाटांड़(प.च.)। सुमित मिश्रा
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व(वीटीआर) में आने वाले पर्यटकों को अब बाघ व अन्य वन्य जीवों के साथ गैंडा भी देखने को मिलेगा। गैंडों को वीटीआर की दलदली जमीन, कोचिला का साग और माइकेनिया की लत्ती पसंद आ रहा है। यही कारण है कि वीटीआर में गैंडों की संख्या 23 हो गई है। हालांकि 1995 से लेकर अब तक सात गैंडों की मौत भी हो चुकी है। दरअसल, नेपाल के चितवन, परसा व निकुंज से गैंडे वीटीआर में आते हैं। यहां की आबोहवा पसंद आने के कारण एक बार वीटीआर आने के बाद यह वापस नहीं लौट रहे हैं। इसकी बढ़ती संख्या को देखकर वीटीआर प्रशासन ने वाल्मीकिनगर, मदनपुर व गनौली वन क्षेत्र में इनका अधिवास क्षेत्र बनाने की पहल शुरू की है। यह पहल पहले भी शुरू हुई थी, लेकिन वनपाल व वनरक्षियों की कमी के कारण इसे अमली जामा नहीं पहनाया जा सका। अब फुलप्रूफ प्लान के साथ वीटीआर ने कवायद शुरू की है। इसमें गैंडे के रिजर्व क्षेत्र को जंगल सफारी से भी जोड़ने की योजना है, ताकि पर्यटक इसका रोमांच महसूस कर सकें।
पटना जू व अन्य राज्यों से भी मंगाए जाएंगे गैंडे : वीटीआर के वन संरक्षक सह क्षेत्र निदेशक हेमंकात राय ने बताया कि वीटीआर में संख्या बढ़ाने के लिए पटना के संजय गांधी उद्यान से गैंडे मंगाए जाएंगे। इसके अलावा अन्य राज्यों भी गैंडे मंगाने की योजना है। उन्होंने बताया कि वीटीआर के वनक्षेत्रों मे बाघ समेत अन्य जानवरों के साथ गैंडे को विचरण करते देख पर्यटक आकर्षित होंगे।
चार बार वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों की टीम ने भेजी थी रिपोर्ट : वर्ष 2017-18 से लेकर 2020 तक वीटीआर में चार बार गैंडा विशेषज्ञ व वैज्ञानिकों की टीम आ चुकी है। उनके साथ वन विभाग वन्य प्राणी प्रतिपालक, एनटीसीए व डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के अधिकारियों ने गैंडा रिजर्व क्षेत्र के लिए मदनपुर, गनौली व वाल्मीकिनगर में जगह का चयन किया था। टीम ने वन्यप्राणी प्रतिपालक व स्टेट वाइल्ड लाइफ को इसकी रिपोर्ट भी भेजी थी। तब वनपाल व वनरक्षियों की कमी के वजह से गैंडे को सुरक्षित नहीं समझा गया। इस कारण काम रोक दिया गया था। 20 जनवरी 2020 में आयी गैंडा सर्वे टीम में विशेषज्ञ के रूप मे सेवानिवृत्त पीसीसीएफ विश्वभंर सिंह गोनाल, अमित शर्मा और वीटीआर के तत्कालीन वन प्रमंडल दो के डीएफओ गौरव ओझा, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के वरीय प्रबंधक कमलेश मौर्या ने भी रिपोर्ट भेजी थी।
अधिकारियों व कर्मियों को मिली ट्रेनिंग : असम के काजीरंगा नेशनल पार्क की तरह गैंडों को संरक्षित व बेहतर रखरखाव और विकसित किया जाएगा। इसके लिए अधिकारियों व कर्मियों को कांजीरंगा नेशनल पार्क के ट्रेनर प्रशिक्षण ने ट्रेनिंग दी थी। नेपाल के दुधवा में गैंडा अधिवास की जानकारी के लिए तत्कालीन डीएफओ अमित कुमार को भेजा गया था।
वीटीआर में पहली बार 1995-96 में दिखा था गैंडा : निदेशक बताते हैं कि वीटीआर में गैंडे नहीं थे। पहली बार 1995-96 में गैंडे देखे गये। तब नेपाल से वीटीआर में गैंडे आते-जाते थे। लेकिन बाद के दिनों डेवलपमेंट होने के बाद गैंडे को यहां के पर्यावरण व अनुकूल स्थिति भा गई। गैंडे वीटीआर आने के बाद नेपाल नहीं लौट रहे हैं।