कोरोना: जंक्शन की वीरानगी से टूटी वेंडरों की कमर
नरकटियागंज जंक्शन पर रेलयात्रियों को विभिन्न सुविधा मुहैया कराने का प्रण लिए वेंडरों का अब रेल से मोहभंग होने लगा है। जंक्शन की वीरानगी उन्हें सुरसा की तरह खाये जा रही है। यह स्थिति उनकी आर्थिक...
नरकटियागंज जंक्शन पर रेलयात्रियों को विभिन्न सुविधा मुहैया कराने का प्रण लिए वेंडरों का अब रेल से मोहभंग होने लगा है। जंक्शन की वीरानगी उन्हें सुरसा की तरह खाये जा रही है। यह स्थिति उनकी आर्थिक बदहाली के कारण हुई है। रेलयात्रियों को भोजन,जलपान आदि की सुविधा देने वाले वेंडर अपना व अपने बच्चों का पेट पालने के लिए अब अन्य विकल्पों पर भी विचार करने लगे हैं। उनका कहना है कि लाकडाउन के कारण शुरू में करीब एक महीने तक ट्रेनों की बंदी से उनकी जान निकलती रही। बाद में ट्रेनों का परिचालन होने की घोषणा हुई तब उनकी जान में जान आयी। किन्तु सिर्फ स्पेशल ट्रेनों का परिचालन ही शुरू हुआ। रेल प्रशासन की ओर से भी सिर्फ आरक्षित यात्रियों को ही चलने की अनुमति दी गयी। इससे जंक्शन और ट्रेनों की वीरानगी अब भी कायम हैं। वेंडरों का कहना है कि अपना व बच्चों का पेट पालने के लिए वे क्या करें।
इस स्थिति से निबटने में अधिकांश वेंडरों की पूंजी समाप्त हो गयी है। वेंडर दशरथ साह ने बताया कि आर्थिक तंगी से एक एक दिन काटना मुश्किल हो गया है। वेंडर शंकर साह समेत प्रमोद कुमार,विनोद मालाकार,प्रमोद मालाकार आदि ने बताया कि ऐसी हालत में रेल विभाग द्वारा भी कोई सुविधा अब तक नहीं मिली है और न ही मिलने की उम्मीद है। इस विषम परिस्थिति में ठेकेदारों से भी सहयोग की उम्मीद नहीं है। चाय विक्रेता व्यास मुनि ने बताया कि जंक्शन की दुकानों पर वेंडरों के अतिरिक्त कुछ अन्य बेरोजगारों को भी रोजगार मिला है। किन्तु जब वेंडरों की ही सांस अटकी हुई है तब वे दूसरों के बारे में क्या सोचेंगे।