कोरोना संक्रमित शिक्षक की मौत, परिजन नाराज
नगर के हरनाथ स्कूल के समीप रहने वाले शिक्षक नरेन्द्र नाथ वर्णवाल (45) की मौत गुरुवार की सुबह जीएमसीएच के आइसोलेशन वार्ड में हो गयी। उन्हें 19 जुलाई को कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद 20 जुलाई को...

नगर के हरनाथ स्कूल के समीप रहने वाले शिक्षक नरेन्द्र नाथ वर्णवाल (45) की मौत गुरुवार की सुबह जीएमसीएच के आइसोलेशन वार्ड में हो गयी। उन्हें 19 जुलाई को कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद 20 जुलाई को तबियत खराब होने पर आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया था।
स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन की टीम ने कोरोना प्रोटोकॉल के अनुसार मृतक नरेन्द्र के शव का अंतिम संस्कार करा दिया। बता दें कि शिक्षक ने मंगलवार की रात फेसबुक पर लाइव आकर आइसोलेशन वार्ड की बदहाली व बचाने की गुहार लगाई थी। उसके एक दिन बाद ही हुई मौत से आइसोलेशन वार्ड की व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है। शिक्षक के परिजनों ने ऑक्सीजन सप्लाई बंद होने से मौत की बात कही है। इधर, जीएमसीएच के प्रिंसिपल विनोद प्रसाद ने स्थिति गंभीर होने व सूगर लेवल अधिक होने व इंसूलिन नहीं लेने के कारण मौत की बात कही है। शिक्षक के भतीजे देवेश वर्णवाल ने बताया कि 18 जुलाई को कोरोना जांच के लिए चाचा का सैंपल लिया गया था। 19 जुलाई को उनकी रिपोर्ट पॉजिटीव मिली। 20 जुलाई को होम आइसोलेशन में उनकी तबियत खराब होने लगी, तब उन्हें आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया। गुरुवार की सुबह तीन बजे चाचा ने आइसोलेशन वार्ड से उसे फोन किया, बताया कि ऑक्सीजन सिलेंडर में गैस खत्म हो गयी है, उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही है। तब देवेश ने आइसोलेशन वार्ड में मौजूद एक कर्मी को फोन किया और ऑक्सीजन सिलेंडर बदलने की बात कही। बाद में उसे मालूम चला कि चाचा की मौत हो गयी है। भतीजे ने आरोप लगाया कि आइसोलेशन वार्ड में उपलब्ध होने के बावजूद चाचा को वेंटिलेटर पर नहीं रखा गया, जिससे उनकी जान चली गयी। मेडिकल कॉलेज के प्रिसिंपल डॉ. विनोद प्रसाद ने बताया कि लापरवाही का आरोप गलत है। अथक प्रयास के बाद भी शिक्षक को नहीं बचाया जा सका। उनकी स्थिति नाजुक हो चुकी थी।
