इलाज के लिए बना एपीएचसी खुद है बीमार
मोतीपुर स्वास्थ्य उपकेन्द्र में पहुंचने के लिए सड़क नहीं है। लोगों को मुख्य सड़क के पास उतरकर स्वास्थ्य उपकेन्द्र पर पैदल जाना पड़ता है। जिसके कारण मरीज व परिजन परेशान रहते हैं। सड़क से संपर्क के बिना...
मोतीपुर स्वास्थ्य उपकेन्द्र में पहुंचने के लिए सड़क नहीं है। लोगों को मुख्य सड़क के पास उतरकर स्वास्थ्य उपकेन्द्र पर पैदल जाना पड़ता है। जिसके कारण मरीज व परिजन परेशान रहते हैं। सड़क से संपर्क के बिना बदहाल स्वास्थ्य उपकेन्द्र का भौतिक स्वरूप भी बदहाल है। उक्त केन्द्र के पास जलजमाव है। अस्पताल का भवन भी जर्जर हो चुका है। टूटे-फूटे फर्श स्सरकारी सुविधा की बदहाली समझने के लिए काफी है। आलम यह है कि उक्त केन्द्र किसी बीमार से कम नहीं है। सरकार की चिकित्सीय सुविधा को बेहतर बनाने के दावे पर मरीजों की परेशानी एक सवाल खड़ा कर रहा है। मोतीपुर के लोगों को इमरजेंसी में फर्स्ट एड भी नहीं मिल पाती है। स्वास्थ्य उपकेन्द्र उपचार के दायरे भी सीमित है। जहां टीकाकरण, दर्द, बुखार, कब्ज जैसे परेशानी में भी दवा महीने बमुश्किल से मिल पाता है। स्वास्थ्य उपकेन्द्र पर कार्यरत एएनएम रुबी कुमारी और श्वेता कुमारी कहती ह कि स्वास्थ्य उपकेन्द्र पर सप्ताहिक टीकाकरण किया जाता है। आने वाले मरीजों को उनकी आवश्यकता के अनुसार दवा दी जाती है। मंगलवार को पीएचसी में बैठक का दिन निर्धारित है। नर्सों का कहना है कि सामान्य बीमारी हेतु जरूरी दवाएं नियमित रूप से उपलब्ध रहता है। वर्तमान में दस प्रकार से अधिक दवाएं है। जिसमें एंटीबायोटिक दवाएं भी शामिल है। नर्स बताती हैं कि बरसात में इस भवन में पानी भर जाता है। ऐसे दो महीने गांव स्थित सामुदायिक भवन में स्वास्थ्य केन्द्र का संचालन किया जाता है। पानी के लिए ग्रामीणों के चपाकल पर निर्भर रहना है।