नक्सल इलाके में देसी मिठाई बनाकर आत्मनिर्भर बन रही हैं महिलाएं, बॉटम
नक्सल प्रभावित इलाके में महिलाएं बनी हैं आत्मनिर्भर से लेकर परिवार चलाने तक में देती हैं योगदान फोटो- 2 अगस्त एयूआर 14 कैप्शन- मदनपुर प्रखंड के श्रीडीह गांव...
कभी नक्सली गतिविधियों के लिए जाने जाने वाले मदनपुर प्रखंड के दक्षिणी उमगा पंचायत की महिलाएं देसी मिठाई से जीवन में मिठास घोल रही हैं। श्रीडीह गांव में 25 घरों में यह देसी मिठाई तैयार हो रही है और उसे बाजार में बेचा जा रहा है। इससे न सिर्फ महिलाएं आत्मनिर्भर हुई हैं बल्कि परिवार चलाने में अहम योगदान दे रही हैं। इस गांव में 25 घरों में लकठो, टिकरी, गटौरी और गुड़ की लाई बनाई जा रही है। प्रत्येक महीने करीब 50 क्विंटल देसी मिठाई का निर्माण होता है और इसे स्थानीय बाजार में बेच दिया जाता है। मदनपुर के अलावा शिवगंज, रफीगंज, देव, औरंगाबाद, शेरघाटी, गया और पटना तक इन मिठाइयों को भेजा जाता है। इस निर्माण कार्य में जुटी संगीता देवी, सविता देवी, सुनीता देवी, सुशीला देवी और मालती देवी ने बताया कि उनके रोजगार का यह मुख्य साधन है। टिकरी प्रति किलो 120 रुपए, लकठो सौ रुपए, लाई 120 रुपए, गटौरी डेढ़ सौ रुपए की दर से बिक्री की जाती है। इस कार्य में 20 महिलाएं और 25 पुरुष लगते हैं। शनिवार और रविवार को मिठाइयों का निर्माण होता है और फिर उसकी बिक्री अलग-अलग जगहों पर की जाती है। इससे उन्हें अच्छी खासी आमदनी हो रही है। महिलाओं ने बताया कि पूर्व में जहां वह रोजगार की कमी से जूझती थीं वहीं अब आत्मनिर्भर बन रही हैं। महिलाओं ने बताया कि वे लोग सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाती हैं। स्वयं सहायता समूह के माध्यम से कुछ महिलाएं काम करती हैं लेकिन उन्हें अतिरिक्त सहायता की दरकार है। पूंजी और तकनीक के अभाव की वजह से वे लोग परंपरागत तरीके से ही इन मिठाइयों को बनाती हैं। इसमें उनका काफी श्रम और समय लगता है। हालांकि इससे उन्हें सहूलियत हुई है। इस इलाके में बच्चों की पढ़ाई करना मुश्किल काम था लेकिन अब वह आसानी से हो रहा है। इसके अलावा परिवार के भरण पोषण में भी वह सहायता कर पाती हैं।
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