Shri Krishna Puri Kalpvriksh Dham A Spiritual Haven of Miracles and History in Bihar-Jharkhand कल्पवृक्ष धाम : जहां मन्नतें पूरी करता है चमत्कारी वृक्ष, पेज 4 फ्लायर, Aurangabad Hindi News - Hindustan
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कल्पवृक्ष धाम : जहां मन्नतें पूरी करता है चमत्कारी वृक्ष, पेज 4 फ्लायर

बिहार-झारखंड की सीमा पर बसा आस्था का अनमोल केंद्र ल्पवृक्ष को दूध से सींचने की परंपरा आज भी है जीवित फोटो- 13 मई एयूआर 5 कैप्शन- परता के श्री कृष्णपु

Newswrap हिन्दुस्तान, औरंगाबादWed, 14 May 2025 11:26 PM
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कल्पवृक्ष धाम : जहां मन्नतें पूरी करता है चमत्कारी वृक्ष, पेज 4 फ्लायर

बिहार-झारखंड की सीमा पर कुटुंबा प्रखंड के परता गांव में स्थित श्री कृष्ण पुरी कल्पवृक्ष धाम आस्था, चमत्कार और इतिहास का अनूठा संगम है। इस धाम का केंद्र है एक प्राचीन कल्पवृक्ष, जिसके बारे में मान्यता है कि यह सैकड़ों वर्ष पुराना होने के बावजूद आज भी हरा-भरा है। श्रद्धालु इसे दूध से सींचते हैं और मानते हैं कि यहां मांगी हर मन्नत पूरी होती है। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने कल्पवृक्ष को स्वर्ग से धरती पर उतारा था। धाम में दो प्राचीन मंदिर हैं जिसमें एक राधा-कृष्ण और दूसरा सीता-राम को समर्पित। इन मंदिरों की प्रतिमाएं कला और भक्ति का अनूठा उदाहरण हैं।

मुख्य द्वार पर देवनागरी और बंगाली लिपि में शिलालेख हैं, जो धाम के बंगाल से ऐतिहासिक जुड़ाव को दर्शाते हैं। बताया जाता है कि बंगाल के एक परिवार को मन्नत पूरी होने पर पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई जिसके बाद उन्होंने मंदिर निर्माण कराया और भूमि दान दी। धाम में गाय पाली जाती है जिनका दूध कल्पवृक्ष को सींचने में उपयोग होता है। हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर लगने वाला सुथानिया मेला बिहार-झारखंड के श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। इस मेले की शुरुआत कब हुई, इसकी कोई निश्चित जानकारी नहीं लेकिन बुजुर्ग कहते हैं कि यह उनकी याद से भी पुराना है। यहां प्रतिवर्ष कल्पवृक्ष महोत्सव का आयोजन कराया जाता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी सेवा यात्रा के दौरान इस धाम का दौरा कर चुके हैं लेकिन इसे बुनियादी सुविधाओं का अभाव झेलना पड़ रहा है। पंचायत मेले से राजस्व वसूलती है पर भक्तों के लिए सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराती हैं। पहले अंबा के सतबहिनी मंदिर न्यास से पांच हजार रुपये मासिक सहायता मिलती थी जो अब बंद है। धाम का प्रबंधन धार्मिक न्यास बोर्ड से पंजीकृत समिति करती है लेकिन ग्रामीण क्षेत्र होने के कारण आय सीमित है। जंगल में एक साधु ने पहचाना था इस वृक्ष को पूर्व में यह क्षेत्र जंगल था। एक साधु ने इस वृक्ष को पहचाना और इसकी सेवा शुरू की। उनकी बताई महत्ता के बाद ग्रामीणों ने मन्नतें मांगनी शुरू की जो पूरी हुईं। धीरे-धीरे इसकी ख्याति बंगाल तक फैली और धाम एक आध्यात्मिक केंद्र बन गया। आयुर्वेद के अनुसार यह सकारात्मक उर्जा उत्पन्न करता है।

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