इंद्रपुरी डैम निर्माण एवं सोन नहर के आधुनिकीकरण को लेकर लिखा पत्र
दाउदनगर, संवाद सूत्र। सोन नदी पर इंद्रपुरी जलाशय निर्माण एवं सोन नहर के आधुनिकीकरण को लेकर शाहाबाद और मगध के पांच सांसदों राजाराम सिंह, सुदामा प्रसाद, इंडियन नेशनल कांग्रेस के मनोज कुमार, राजद के...

दाउदनगर, संवाद सूत्र। सोन नदी पर इंद्रपुरी जलाशय निर्माण एवं सोन नहर के आधुनिकीकरण को लेकर शाहाबाद और मगध के पांच सांसदों राजाराम सिंह, सुदामा प्रसाद, इंडियन नेशनल कांग्रेस के मनोज कुमार, राजद के सुरेंद्र प्रसाद यादव एवं सुधाकर प्रसाद सिंह ने पीएम को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि 1874 में बनी सोन नहर प्रणाली इंद्रपुरी जलाशय में पर्याप्त पानी के आभाव में दम तोड़ रही है। सोन नहर एवं उसके शाखा नेहरो के निचले क्षेत्रों में पानी नहीं पहुंच रहा है जिसके कारण किसानों के फसल मारी जा रही है। 1990 में तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा नौहट्टा प्रखंड के मटिआंव गांव के पास इंद्रपुरी जलाशय निर्माण का शिलान्यास भी किया गया लेकिन आज तक यह मामला ठंडा बस्ते में पड़ा है। पूर्व में सोन नहर में पर्याप्त पानी मिलती थी क्योंकि पहले सोन नदी में बाणसागर एवं रिहंद जलाशय का निर्माण नहीं किया गया था जिसके कारण पर्याप्त पानी मिलता था। अब इन जलाशयों का निर्माण से इंद्रपुरी जलाशय में पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है। सोन नहर से बिहार के आठ जिले औरंगाबाद, रोहतास, गया, अरवल, भोजपुर, पटना, कैमूर, बक्सर आदि के किसानों को लाभ मिलते रहा है। इसी कारण यह क्षेत्र धान के कटोरा के नाम से जाना जाता है। औरंगाबाद जिले के बीआरबीसीएल एवं एनटीपीसी दोनों इकाइयों को पानी भी सोन नदी से ही मिलता है। यह 1857 के किसान विद्रोह के बाद 1864 में ब्रिटिश पार्लियामेंट में स्वीकृति मिलने के 10 वर्षों में निर्माण किया गया था। आरंभ के दिनों में जब पर्याप्त पानी मिलता था तो सोन नहरो के किनारे वाले क्षेत्र में खरीफ एवं गर्मा दोनों धान की फैसले उगाई जाती थी लेकिन बाद के दिनों में गर्मा फसल अब लगभग बंद हो चुकी है। इसका निर्माण कराया जाता है तो सोन नहर में पर्याप्त पानी के साथ एनटीपीसी एवं बीआरबीसीएल को भी पर्याप्त पानी मिल सकेगा।
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