
आठ लोकसभा, आठ घंटे का सफर-वंदे भारत बनी चुनावी भारत
संक्षेप: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव से पहले जोगबनी-दानापुर वंदे भारत ट्रेन का उद्घाटन करने जा रहे हैं। हालांकि, यह ट्रेन 8 घंटे में पहुंचेगी, जबकि सड़क मार्ग से यह दूरी केवल 5 घंटे में तय की जा सकती है।...
आठ घंटे में जोगबनी से दानापुर पहुंचेगा वंदे भारत ट्रेन सड़क मार्ग से पांच घंटे तो वंदे मार्ग से दानापुर पहुंचने में लगेंगे आठ घंटे फारबिसगंज, निज संवाददाता चुनाव से ठीक पहले जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जोगबनी-दानापुर वाया पूर्णिया वंदे भारत ट्रेन का उद्घाटन करने आ हैं, तो क्षेत्रवासी उत्साह और अचंभे की दोहरी स्थिति में हैं। वंदे भारत ट्रेन, जिसे आधुनिकता और स्पीड का प्रतीक बताया जाता है, आमतौर पर लंबी दूरी बहुत कम समय में तय करती है। मगर जोगबनी से दानापुर तक यह ट्रेन पूरे आठ घंटे में पहुंचेगी। वहीं दूरी, जिसे सड़क मार्ग से महज पांच घंटे में आसानी से नापा जा सकता है।

दिलचस्प बात यह है कि इस सफर में ट्रेन आठ लोकसभा क्षेत्रों का भ्रमण करेगी। मुख्य रूप से अररिया, पूर्णिया, मधेपुरा, खगड़िया, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, हाजीपुर और उसके बाद पाटलिपुत्र यानी यात्रा का हर घंटा मानो एक लोकसभा क्षेत्र के नाम कर दिया गया हो। इससे क्षेत्रवासियों के बीच यह धारणा गहराती जा रही है कि यह ट्रेन एक ‘जन-संपर्क यात्रा से ज्यादा कुछ नहीं, बल्कि चुनावी समीकरणों को साधने का माध्यम है। कम समय में राजधानी पटना के सफर का मंसूबा पालने वाले लोगों को मायूसी हाथ लग रही है। विपक्ष ने तो इसे सीधे-सीधे ‘चुनावी रेल की संज्ञा दे दी है। उनका कहना है कि जनता को स्पीड और सुविधा के नाम पर सिर्फ ‘झुनझुना पकड़ा दिया गया है। वंदे भारत जैसी हाई-टेक ट्रेन, जो राजधानी से शताब्दी तक को मात देती है, वह यहां लोकसभा के गणित में उलझ कर अपने ही स्पीड के मायने खो बैठी है। अब तो क्षेत्र के लोगों में भी यही सवाल गूंज रहा है कि क्या वंदे भारत वाकई आधुनिकता का प्रतीक है, या फिर यह सिर्फ वोट भारत का नया रूप है? ट्रेन के चमचमाते डिब्बे और हाईटेक सुविधाओं से भले ही लोग आकर्षित हों, मगर स्पीड बनाम राजनीति की यह जंग अब चर्चा का सबसे बड़ा मुद्दा बनने लगा है।

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