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तीन होनहार युवकों के एक साथ उठे जनाजे, एक साथ ही पूरा रमै गांव रोया

गांव रमै में शुक्रवार को एक भयानक सड़क हादसे में तीन दोस्तों—साहिल, जसीम और इंतसार की जान चली गई। इस घटना ने पूरे गांव को शोक में डुबो दिया। एक साल पहले जसीम की शादी हुई थी, लेकिन अब दुख का पहाड़ टूट...

Newswrap हिन्दुस्तान, अररियाSun, 7 Sep 2025 12:49 AM
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तीन होनहार युवकों के एक साथ उठे जनाजे, एक साथ ही पूरा रमै गांव रोया

साथ जीने-मरने की कसमें बनी हकीकत, गांव में हर किसी की आंखें नम शुक्रवार शाम बाइक पर सवार तीन दोस्तों की हादसे में एक साथ गयी थी जान तीन युवकों की मौत से टूट चुका पूरा परिवार फारबिसगंज, निज संवाददाता। शुक्रवार का दिन रमै और आसपास के लोगों के लिए कयामत बनकर टूटा। एक ही गांव के तीन जिगरी दोस्त—साहिल, जसीम और इंतसार सड़क हादसे के शिकार हो गए। शनिवार को जब एक साथ तीनों होनहार युवकों जनाजे उठे, तो गांव का माहौल मातम में डूब गया। हर किसी की आंखें नम थी और चेहरा उदास। ये तीनों दोस्त हमेशा साथ रहते थे।

गांव में लोग कहते थे कि लगता है ये तीनों दोस्त साथ जीने-मरने की कसमे खा ही है। और संयोग से हुआ भी ऐसा ही। किस्मत ने ऐसी करवट ली कि ये कसमे हकीकत बन गईं। बाइक से निकले तीनों का सफर मौत की मंजिल पर खत्म हो गयी। साहिल जो मुबारक का पुत्र था, पांच भाई-बहन में था। लेकिन पिछले पांच वर्षों में दो भाई और एक बहन पहले ही दुनिया छोड़ चुके थे। परिवार की बाकी उम्मीदें भी इस हादसे ने लील लीं। वहीं जसीम पिता मुख्तार का चिराग बुझ गया और इंतसार पिता मुस्तकीम, जो परिवार का सबसे छोटा और सबका दुलारा था, उसकी अचानक मौत से पूरा परिवार टूट गया। गांव में मातम ऐसा कि किसी के घर का चूल्हा तक नहीं जला। महिलाएं विलाप करती रहीं और पुरुष खामोश होकर आंखों के आंसू पोंछते रहे। घटना के बाद हर कोई यही सवाल पूछ रहा था कि आखिर किस कसूर की इतनी बड़ी सज़ा इन मासूम दोस्तों को मिली? शनिवार को जब तीन जनाजे एक साथ उठे, तो लगा मानो पूरा गांव ही शोक की नदी में डूब गया हो। दोस्तों की यह दर्दनाक दास्तां अब सिर्फ गांव ही नहीं, बल्कि पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है। पूरा गांव एक साथ रोया। ऐ अल्लाह, ऐसा दिन किसी बाप को मत दिखाना- रमै गांव में उस समय का दृश्य बेहद दिल दहला देने वाला था, जब बूढ़े बाप के कांपते कंधों पर जवान बेटे जनाजे को कंधा दिया। आंखों से बहते आंसू थमने का नाम नहीं ले रहा था। हर कोई यही कह रहा था कि यह दर्द किसी भी पिता के लिए असहनीय है। बेटे से पहले पिता की विदाई होनी चाहिए थी, लेकिन किस्मत ने सब बदल दिया। बूढ़े दिल से निकली दुआ थी "ए अल्लाह, ऐसा दिन किसी बाप को मत दिखाना।गांव का माहौल मातम और करुण क्रंदन से भर गया। एक साल पुरानी खुशियां, अब गम का पहाड़- साल भर पहले गांव में जसीम की शादी बड़ी धूमधाम से हुई थी। उस दिन पूरे गांव में खुशियों का समंदर उमड़ पड़ा था। तीनों दोस्त खुशियों में झूम रहे थे और सुनहरे भविष्य के सपने संजोए हुए थे। जसीम और उनकी पत्नी का रिश्ता गांव में मिसाल माना जाता था—लोग उनके प्यार को देख कर नसीहतें देते थे। मगर किसे पता था कि महज़ एक साल बाद ही वही खुशियों का कारवां बिखर जाएगा। पति-पत्नी जो कल तक एक-दूसरे की जान थे, आज जुदाई की मिसाल बन चुके हैं। शादी जिस गांव में हुई थी, वहीं अब दुखों का पहाड़ टूटा पड़ा है। गांववाले उस दिन की हंसी-खुशी याद कर आंसुओं से भीग जाते हैं। दुख की इस घड़ी में भाजपा ओबीसी के जिला अध्यक्ष दिलीप पटेल के अलावे मुखिया नियामत अली, डॉक्टर मुस्तफा, जावेद आलम, इसहार, मुर्शीद आलम, एमडी कलीम, नसीम, महानंद मंडल मुखिया प्रतिनिधि उदयानंद मंडल, संजय मंडल, रईस आलम, हस करीम, याकूब लगातार पीड़ित परिजनों को सांत्वना देकर ढांढस बंधा रहे हैं.. होनी को कौन टाल सकता है।

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