यूरिया नहीं पहुंचने से नरपतगंज क्षेत्र में मचा है हाहाकार
नरपतगंज । (ए.सं.) बाढ़ और प्राकृतिक आपदा का लगातार कहर झेल रहे नरपतगंज क्षेत्र...

नरपतगंज । (ए.सं.)
बाढ़ और प्राकृतिक आपदा का लगातार कहर झेल रहे नरपतगंज क्षेत्र के किसानों को अब यूरिया की किल्लत ने परेशान कर रखा है। सुबह होते ही जहां बाजारों में बड़ी संख्या में किसान खाद खरीदने के लिए पहुंच जाते हैं। अधिकतर महिलाएं घर का चूल्हा चौका बंदकर बाजार में दिनभर खाद के लिए भटकती रहती है लेकिन उन लोगों को मायूसी ही हाथ लगती है। पिछले तीन दिनों से नरपतगंज के सभी खाद दुकानों से यूरिया खाद पूरी तरह नदारद है। बड़ी संख्या में किसान जब बाजार में खाद दुकानों के संचालकों से पूछते हैं कि यूरिया कब मिलेगा। तो संचालक भी इसका जवाब नहीं दे पाते है। अधिकारियों को मोबाइल पर फोन लगाया जाता है तो उनसे बात तक नहीं हो सकती है कि यूरिया कब मिलेगा। जिन किसानों ने खेत में फसल की बुआई कर दी है उन लोगों को तो गंभीर समस्या उत्पन्न होने लगी है। मौसम विभाग के अनुसार अगले दो दिनों में बारिश होने की संभावना जताई है। अगर बरसात हो जाती है तो सभी किसान को एक साथ ही यूरिया की जरूरत होगी लेकिन बाजारों में यूरिया किसी भी दुकान में नहीं है। यही सोचकर किसान घबरा रहे है। किसानों का कहना है कि पहले तो धान की फसल बाढ़ में डूब गई लेकिन रबी फसल के सीजन के शुरुआत से ही बुआई से लेकर यूरिया तक के खाद के लिए किसानों को दर—दर की ठोकरें खानी पड़ रही है। छोटे किसान तो लाइन में लगकर किसी तरह एक आध कट्टे यूरिया ले भी चुके हैं लेकिन जो बड़े किसान हैं जिन्हें 25 से 50 बोरी यूरिया की जरूरत पड़ती है। वैसे किसान में तो हाहाकार मचा हुआ है। सूत्रों की मानें तो जब तक खाद का रेक नहीं पहुंच जाता तब तक यूरिया की किल्लत बनी रहेगी आखिर सवाल उठता है कि खेती सीजन बीत जाने के बाद या फसल खराब होने के बाद किसान यूरिया लेकर क्या करेंगे। किसानों में दिनोंदिन आक्रोश बढ़ता जा रहा है। किसानों का कहना है कि सरकार खेती को लेकर इस बार पूरी तरह फेल दिख रही है।किसानों ने जिलाधिकारी से अविलंब यूरिया खाद मुहैया कराने की मांग की है।
दिसंबर बीतने को है और आधे से ज्यादा खेत पड़े हैं खाली: धान का कटोरा कहे जाने वाले नरपतगंज के धनहा में इस बार रबी के सीजन के बावजूद दिसंबर महीना बीतने को है लेकिन अधिकतर खेत खाद के अभाव में खाली पड़े हुए है। जबकि कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि नवंबर के अंतिम सप्ताह तक रबी फसल की खेती करीब—करीब पूरी हो जाती है। इस बार खाद की किल्लत के कारण शुरुआत में जहां किसानों को डीएपी नहीं मिल सकी । जिस कारण बआई में दिक्कत हुई। जिन किसानों ने किसी तरह कुछ डीएपी खाद से तो अधिकतर मिक्सर खाद डालकर बुआई की है। अब उनके समक्ष यूरिया की किल्लत उत्पन्न होने से परेशानी बढ़ गई है। एक तो देर से बुआई हुई है और यूरिया नहीं मिलने से पटवन के बाद अगर समय पर यूरिया नहीं डाला गया तो फसलों के पौधे पूरी तरह खराब होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। इस कारण किसानों के चेहरे पर मायूसी छाई हुई है।
क्या कहते है बीएओ: नरपतगंज में यूरिया की किल्लत के बाबत बीएओ विजय कुमार ठाकुर ने बताया कि खाद का रैक पहुंचने के बाद ही बाजार के साथ दुकानों में यूरिया आवंटित हो सकेगा। इस दिशा में हमलोग प्रयासरत हैं।
