गुणवंती में दो दिवसीय संभागीय सेमिनार सह योग साधना शिविर का हुआ आयोजन
रानीगंज में गुणवंती पंचायत में दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन हुआ। मुख्य प्रशिक्षकों ने कहा कि मानव को सामाजिक और आध्यात्मिक नियमों का पालन करना चाहिए। पाप और अपराध की परिभाषा पर पुनरावलोकन की आवश्यकता...

रानीगंज। एक संवाददाता। शनिवार को प्रखंड के गुणवंती पंचायत में दो दिवसीय संभागीय सेमिनार सह योग साधना शिविर का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में आये लोगों को संबोधित करते हुए मुख्य प्रशिक्षक आचार्य रणधीर देव, आचार्य रक्तमुक्तानंद अवधूत आचार्य कृत भूषणानंद आदि ने कहा की "पापस्य कारण त्रयम" के विषय अत्यंत प्रेरणादायी और चेतनास्पद विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि मानव एक सामाजिक प्राणी है, इसलिए उसे केवल सामाजिक नियमों का ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक नियमों का भी पालन करना चाहिए। जब कोई व्यक्ति धार्मिक या आध्यात्मिक नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसे पाप कहा जाता है, और जब वह कानूनी नियमों का उल्लंघन करता है, तो वह अपराध कहलाता है।
उन्होंने कहा कि पाप का आधार केवल धार्मिक अंधविश्वास नहीं होना चाहिए, बल्कि वह मौलिक मानव मूल्यों पर आधारित होना चाहिए। आचार्य ने कहा कि आज का युग 20 वीं सदी के उत्तरार्ध और 21वीं सदी का मानव अब धार्मिक अंधविश्वासों से ऊपर उठकर मौलिक मानव मूल्यों को ही अपने जीवन का केंद्र बनाना चाहता है। इसलिए पाप और अपराध की परिभाषा पुनरावलोकन की मांग करती है।आचार्य ने पाप और अपराध के तीन मूल कारणों को रेखांकित करते हुए कहा कि भौतिक और मानसिक पोषण की कमी, संग्रहित पोषण का अनुपयोग मानसिक और भौतिक जड़ता पर जोर देकर कहा कि समाज में अत्यधिक संचय, अंधानुकरण और जड़ता को केवल बौद्धिक दृष्टिकोण से नहीं हटाया जा सकता। इसके लिए सद्विप्रों अर्थात ऐसे आध्यात्मिक योद्धाओं की आवश्यकता है जो विवेक, नैतिक बल और आवश्यकता पड़ने पर लौह-हस्त से समाज की जड़ता को तोड़ सकें।
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