डॉ. रंजना व रेहाना के गीत व गजलों ने महफिल में बांधा समा
अररिया में बज्मे हसन के बैनर तले आयोजित शाम-ए-गज़ल कार्यक्रम में प्रसिद्ध लोक गायिका डॉ. रंजना झा ने गजलें गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर बुजुर्ग शायरा रेहाना नवाब ने भी अपने कलाम से...

बज्मे हसन के बैनर तले हुआ शाम -ए- गजल का आयोजन प्रसिद्ध लोक गायिका डॉ. रंजना झा की गजलों पर झूमे श्रोता
कोलकाता की बुजुर्ग शायरा रेहाना नवाब ने सुनाए कलाम
बुजुर्ग साहित्यकार भोला पंडित प्रणयी सहित पांच सम्मानित
जिला जज की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली नगमा तरन्नुम भी सम्मानित
अररिया, संवाददाता
शनिवार की देर शाम बज्मे हसन के बैनर तले आयोजित शाम -ए- गजल में प्रसिद्ध लोक गायिका डॉ. रंजना झा की गजलों पर श्रोता झूम उठे। वहीं कोलकाता की बुजुर्ग शायरा रेहाना नवाब ने कलाम के माध्यम से महफिल में चार चांद लगा दिया। यूं तो रंजना झा की ख्याति मैथिली और भोजपुरी फोक गीतों के लिए है, लेकिन अपने ढाई घंटे के कार्यक्रम में उन्होंने अपनी गजल गायिकी से समां बांध दिया। शुरुआत उन्होंने जुबैरुल हसन गाफिल की दो गजलों की प्रस्तुति से की। जिसकी धुन भी खुद उन्होंने तैयार की थी। असलम हसन की एक ग़ज़ल को उन्होंने स्वर और संगीत दिया। साथ ही एहसान शाम की गजल और अमीर खुसरो के गीत प्रस्तुत कर तो उन्होंने श्रोताओं को देर तक झूमने के लिए मजबूर कर दिया। वहीं जब जिले के कलाकार अमर आनंद के साथ उन्होंने दमादम मस्त कलंदर गाना शुरू किया तो सारा हॉल तालियों से गूंजता रहा। यह आयोजन सेवानिवृत्त एडीजे और हास्य व्यंग के चर्चित शायर स्व जुबैरुल हसन गाफिल की स्मृति में किया गया। आयोजक थे भारतीय राजस्व सेवा के वरिष्ठ अधिकारी असलम हसन। श्री हसन मुंबई कस्टम में कमिश्नर हैं। इससे पहले कार्यक्रम का उद्घाटन अधिकारी वसीम अहमद, असलम हसन, दीपक दास, जफरुल हसन, प्रो अब्दुल गनी, अशफाक आलम, अरशद हसन, अशरफ हसन और अहमर हसन आदि ने किया। कार्यक्रम का संचालन शिक्षक अब्दुल गनी लबीब और मुशीर आलम ने किया।
फनकार और साहित्यकार कभी मरता नहीं:
अतिथियों का स्वागत करते हुए असलम हसन ने कहा कि उनके पिता ने पूरी निष्ठा और ईमानदारी से अपने पद और जिम्मेदारियों का निर्वहन किया। वो केवल हास्य व्यंग के ही नहीं बल्कि अपनी संजीदा शायरी के लिए भी देश भर में अपनी पहचान रखते थे। श्री हसन ने कहा कि फनकार और साहित्यकार कभी मरता नहीं है, अपनी कृतियों के माध्यम से हमेशा लोगों के दिलो दिमाग में जीवित रहता है। उन्होंने कहा कि अपने पिता की याद में ही इस कार्यक्रम के आयोजन का निर्णय लिया गया और बज्मे हसन के सभी सदस्यों ने अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाई। उन्होंने कहा कि इसी कार्यक्रम से जुबैरुल हसन गाफिल मेमोरियल अवार्ड की शुरुआत की जा रही है। हिंदी साहित्य में अमूल्य योगदान के लिए बुजुर्ग साहित्यकार भोला पंडित प्रणयी के अलावा जिन तीन लोगों को मरणोपरांत ये अवार्ड दिया जा रहा है उन में जिले के लोकप्रिय आवामी शायर और उद्घोषक हारून रशीद गाफिल, साहित्यिक पत्रिका परती पलार के संस्थापक संपादक राज मोहन सिंह राघव, मंझे हुए पत्रकार और कई पुस्तकों के लेखक अब्दुल कादिर शम्स शामिल हैं।
विवेकानंद नाट्य मंडली भी सम्मानित:
70 और 80 के दशक में अपने नाट्य मंचन से धूम मचाने वाली कमलदाहा गांव की विवेकानंद नाट्य मंडली को भी ये पुरस्कार दिया गया। इस अवसर पर विशेष रूप से मौजूद नगमा तरन्नुम को भी संस्था को ओर से सम्मानित किया गया। वहीं कार्यक्रम से पूर्व साहित्यकार रजी अहमद तन्हा ने भी स्वर्गीय गाफिल की साहित्यिक और सामाजिक योगदान पर प्रकाश डाला। जबकि मुख्य कार्यक्रम से पहले छांव फाउंडेशन के अफ्फान अहमद कामिल ने डा रंजना झा और रेहाना नवाब का परिचय कराया।
इस मौके पर जिप अध्यक्ष आफताब अजीम, रिटायर्ड अधिकारी शमीम अख्तर, पटना से आए एडीजे अनवर शमीम, केडिओ के अध्यक्ष जियाउल कमर, प्रो रऊफ अनवर, डा फरहत आरा, प्रो जाहिद अनवर, इंजीनियर मंजूर आलम, जमशेद आदिल, डा शमशाद आलम, एलपी नायक, दीन रजा अख्तर, तौसीफ अनवर, डा कमर फलाही, शब्बीरूल हक, हाजी नैयरुज्जमा, मो मोहसिन, मामून रशीद, हामिद रजा, रहबान अली राकेश, असरारुल हसन, कैसरुल हसन, अहसन रजा, अरशद अनवर अलिफ सहित सैकड़ों साहित्य प्रेमी और गणमान्य लोग उपस्थित थे।
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