ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News बिहार अररियाकोचिंग संस्थानों में नियमों की होती है अनदेखी

कोचिंग संस्थानों में नियमों की होती है अनदेखी

गुजरात के सूरत में कोचिंग संस्थान में आग लगने से करीब डेढ़ दर्जन से अधिक बच्चों की मौत के बाद जिले में चल रहे कोचिंग संस्थानों की व्यवस्था पर भी सवाल उठने लगे हैं। कहीं फूस की झोपड़ी तो कहीं टीन छत के...

गुजरात के सूरत में कोचिंग संस्थान में आग लगने से करीब डेढ़ दर्जन से अधिक बच्चों की मौत के बाद जिले में चल रहे कोचिंग संस्थानों की व्यवस्था पर भी सवाल उठने लगे हैं। कहीं फूस की झोपड़ी तो कहीं टीन छत के...
1/ 2गुजरात के सूरत में कोचिंग संस्थान में आग लगने से करीब डेढ़ दर्जन से अधिक बच्चों की मौत के बाद जिले में चल रहे कोचिंग संस्थानों की व्यवस्था पर भी सवाल उठने लगे हैं। कहीं फूस की झोपड़ी तो कहीं टीन छत के...
गुजरात के सूरत में कोचिंग संस्थान में आग लगने से करीब डेढ़ दर्जन से अधिक बच्चों की मौत के बाद जिले में चल रहे कोचिंग संस्थानों की व्यवस्था पर भी सवाल उठने लगे हैं। कहीं फूस की झोपड़ी तो कहीं टीन छत के...
2/ 2गुजरात के सूरत में कोचिंग संस्थान में आग लगने से करीब डेढ़ दर्जन से अधिक बच्चों की मौत के बाद जिले में चल रहे कोचिंग संस्थानों की व्यवस्था पर भी सवाल उठने लगे हैं। कहीं फूस की झोपड़ी तो कहीं टीन छत के...
हिन्दुस्तान टीम,अररियाSun, 26 May 2019 12:18 AM
ऐप पर पढ़ें

गुजरात के सूरत में कोचिंग संस्थान में आग लगने से करीब डेढ़ दर्जन से अधिक बच्चों की मौत के बाद जिले में चल रहे कोचिंग संस्थानों की व्यवस्था पर भी सवाल उठने लगे हैं। कहीं फूस की झोपड़ी तो कहीं टीन छत के नीचे बगैर निबंधन के चल रहे सैकड़ों कोचिंग सेंटरों में न तो अग्निशमन की व्यवस्था है और ना ही दूसरी सुविधाएं।

शहर के विभिन्न गली मुहल्लों में कहीं झोपड़ीनुमा एक कमरा तो कहीं दो कमरा में कोचिंग सेंटर चल रहा है। ऐसे कोचिंग संचालकों को न तो छात्रों की चिंता है और ना ही अधिकारियों का भय। दर्जनों छात्रों से मोटी रकम वसूलने वाले अधिकांश संचालकों को सिलेबस व विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले निजी कोचिंग संस्थाओं पर नियंत्रण के लिए बनाये गये बिहार कोचिंग संस्थान अधिनियम के कानून कायदे तक की समुचित जानकारी नहीं है। ऐसे में बेखौफ प्रबंधन अधिनियम की धज्जियां उड़ाकर बेहतर शिक्षा के नाम पर मनमाने फीस वसूल रहे हैं। इन कोचिंग संस्थानों के पास अच्छे उपस्कर, पर्याप्त रोशनी, पेयजल व्यवस्था, शौचालय की सुविधा, स्वच्छ वातावरण, अग्निशमन की व्यवस्था, आकस्मिक चिकित्सा और पार्किंग सहित अन्य सुविधाएं भी नहीं है। शहर के कई चर्चित कोचिंग संस्थानों में तो बच्चों की संख्या इतनी है कि ठीक से बैठने तक की जगह नहीं होती है। छात्रों को छोटे से कमरों में जैसे-तैसे बैठाया जाता है और शुल्क के रूप में विषय के अनुसार या फिर ठेका पर ही सभी विषयों की एक मुश्त मोटी रकम ली जाती है।

दिलचस्प यह कि भले ही कोचिंग में योग्य शिक्षक व सुविधाएं न हो मगर प्रबंधक बच्चों को नामांकन के समय सफलता की पूरी गारंटी देने से नहीं चूकते हैं। कई कोचिंग संस्थान तो दिनभर स्कूल के समय भी चलते रहता है। बताते चलें कि सरकारी स्तर पर निजी कोचिंग संस्थानों पर नकेल के लिए शुरू हुए प्रयास जिले में महज दिखावा साबित हो रहा है। प्रशासनिक सख्ती नहीं रहने से अधिकांश कोचिंग अपना रजिस्ट्रेशन कराना भी मुनासिब नहीं समझते। इसके लिए प्रबंधकों से अधिक जिम्मेदार शिक्षा विभाग हैं।

जुर्माने के साथ निबंधन रद्द करने का है नियम: जानकारों की मानें तो, निबंधित कोचिंग संस्थान अगर रजिस्ट्रेशन नियमावली का उल्लंघन करने पर पहली बार पकड़े जाते हैं तो उन पर 25 हजार का जुर्माना किया जायेगा। जबकि दूसरी बार दोषी साबित होने पर एक लाख रुपये का जुर्माना भरना होगा। तीसरी बार भी लगातार दोषी पाए जाने पर कोचिंग संस्थान को बंद कर दिया जाएगा। मगर विभागीय सूत्रों की मानें तो अबतक जिले में एक भी कोचिंग सेंटर पर कार्रवाई नहीं हुई है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें