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बरसात का दस्तक होते ही कटाव की आशंका से सहमे लोग

बरसात का दस्तक होते ही बकरा नदी के कटान की आशंका से ग्रामीण चिंतित होने लगे हैं। कुर्साकांटा व सिकटी प्रखंड के नदी किनारे बसे दर्जनों गांव के लोगों को अब अपना घर नदी में समाने का भय सताने लगा...

बरसात का दस्तक होते ही कटाव की आशंका से सहमे लोग
हिन्दुस्तान टीम,अररियाMon, 15 Jun 2020 12:05 AM
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बरसात का दस्तक होते ही बकरा नदी के कटान की आशंका से ग्रामीण चिंतित होने लगे हैं। कुर्साकांटा व सिकटी प्रखंड के नदी किनारे बसे दर्जनों गांव के लोगों को अब अपना घर नदी में समाने का भय सताने लगा है।

राजनैतिक व प्रशासनिक अनदेखी के कारण कटाव निरोधी कार्य नहीं होने से किसानों को भी अपनी जमीन नदी में समाने की चिंता हो रही है। इस वर्ष समय से पूर्व हो रही बारिश से सभी सशंकित हैं। यहां बता दें कि यदि एक माह के भीतर बकरा नदी के कटान से गांव को बचाने का कार्य पूरा नहीं किया गया तो एक दर्जन गांव—टोलों के दर्जनों परिवार का घर नदी में विलीन हो सकता है। सिकटी प्रखंड का पीरगंज, डैनियां, खुटाहरा, तीरा, परड़िया आदि सहित कुर्साकांटा प्रखंड का असराहा, भूमपोखर, खुटाहरा, भागतीरा, डहुआबाड़ी, परड़िया आदि गांव के दर्जनों परिवार का घर बकरा नदी के हर साल बढ़ते कटाव से नदी किनारे आ गया है। हर वर्ष कटान के बाद जनप्रतिनिधि व अधिकारी लोगों को सांत्वना देते हैं कि अब किसी गांव को कटने नहीं दिया जायेगा। लेकिन फिर स्थिति वही हो जाती है। अब सबसे बड़ा प्रश्न यह कि आखिर कबतक लोगों के खून-पसीने की मेहनत से बना घर, पुरखों की जमीन नदी में समाती रहेगी ? कोरा आश्वासन से लोगों के कान पक गए हैं। इस बार भी मात्र एक माह में बकरा नदी का तांडव फिर से आरंभ होने वाला है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि कोई जनप्रतिनिधि इस एक माह में गांवों को बचाने की दिशा में क्या प्रयास करते हैं। ग्रामीण रघुनाथ सिंह, सुदीप राय, बिनोद राय, सुरेंद्र सिंह, सुमन झा आदि ने सांसद से इस ओर त्वरित कार्रवाई करवाने की मांग की है। इस बाबत पूछने पर सांसद प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि संसद भवन में वे कई बार इस जटिल समस्या को उठा चुके हैं। लेकिन बड़ी योजना के आरंभ होने में समय लगेगा। सांसद ने कहा कि इस बार लोगों का घर नदी में नहीं कटे ऐसे नदी किनारे बसे गांव—टोलों को बचाने का प्रयास वे कर रहे हैं।

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