तीन माह की जगह केवल एक महीने की आई 35 प्रतिशत एमडीएम राशि
अररिया जिले के 1935 स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना के तहत हेडमास्टर और वेंडर तीन माह से राशि की प्रतीक्षा कर रहे थे। अक्टूबर में केवल 35% राशि मिली, जिससे वेंडरों ने सामान देने से मना कर दिया।...

बची राशि मिलाकर जिला ने विद्यालयों को भेजे अक्टूबर के 45%, वेंडरों को भुगतान के निर्देश वेंडरों ने इतनी कम राशि लेने से किया इंकार, जनवरी से राशन बंद करने की दी धमकी
तनाव में एमडीएम संचालित स्कूलों के हेडमास्टर, कहा: आखिर कैसे चलाएंगे मध्याह्न भोजन
तीन माह से एमडीएम राशि की प्रतीक्षा में थे हेडमास्टर, एक माह का का आया वह भी 35 प्रतिशत
जिले के1935 प्रारंभिक स्कूलों में संचालित हैं मध्याह्न भोजन योजना, प्रतिमाह जरूरत है तीन करोड़
हिन्दुस्तान विशेष
अररिया, वरीय संवाददाता
जिले में एमडीएम संचालित 1935 स्कूलों के हेडमास्टर व वेंडर तीन माह की एकमुश्त राशि की प्रतीक्षा में थे। लेकिन निदेशालय पटना से आई तो केवल एक माह का और वह भी केवल 35 प्रतिशत राशि। ऐसे में हेडमास्टरों व वेंडरों को शॉक लगला लाजिमी है। हालांकि जिला ने पूर्व की बची राशि मिलाकर प्रत्येक स्कूल को खर्च का 45 प्रतिशत भेजी है। यह राशि विद्यालयों, हेडमास्टरों व वेंडरों के लिए ऊंट के मुंह में जीरा का फोरन साबित हो रही है। जिले के कई वेंडरों ने तो इतनी कम राशि लेने से इंकार करते हुए जनवरी से राशन बंद करने की भी धमकी दी। इधर तनाव से गुजर रहे हेडमास्टरों को समझ में नहीं आ रहा कि वे क्या करें। इनके लिए इतने कम पैसे ‘पहने या निचोड़ें वाली बात हो गयी है। कई हेडमास्टरों ने कहा कि यदि वेंडर पूरी तरह राशन देना बंद कर दे तो फिर स्कूलों में एमडीएम का संचालन कैसे होगा। कहीं किचन में ताला न लग जाय। यदि ऐसा हुआ तो जिले के करीब पांच लाख बच्चें को एमडीएम मिलना बंद हो जाएगा।
हालांकि एमडीएम के जिला समन्वयक सरोज कुमार तिवारी का कहना है कि बहुत जल्द राशि आने वाली है। जनवरी माह में पैसे की कमी नहीं रहेगी। सारी समस्याएं दूर हो जाएगी।
वहीं एमडीएम डीपीओ रोहित कुमार चौरसिया ने बताया कि अक्टूबर माह में 35 प्रतिशत ही राशि आई है। पहले के अवशेष जोड़कर प्रत्येक विद्यालयों को 45 प्रतिशत की राशि भेज दी गयी है। राशि निकासी कर वेंडरों को भुगतान करने का निर्देश दिया गया है। बताया कि 165 स्कूलों के बचे पैसे को मिलाकर जोकीहाट व सिकटी प्रखंड को पहले ही एमडीएम की राशि दी जा चुकी है। इन दोनों प्रखंडों का अक्टूबर माह तक क्लीयर है। जिले के कई हेडमास्टरों ने बताया कि इतनी कम राशि मिलने के कारण वेंडर ने सामग्री देने से मना कर दिया है। एक जनवरी से वेंडर ने सामान देने से साफ मना कर दिया है। अक्टूबर माह से ही वेंडर को भुगतान नहीं किया गया है। यहां बता दें कि जिले के1935 प्रारंभिक स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना संचालित हैं। इन विद्यालयों के लिए प्रतिमाह तीन करोड़ की जरूरत होती है।
45% की राशि में किनको करें भुगतान:
मानसिक तनाव झेलने की बात कहते हुए कई प्रधानाध्यापकों ने बताया कि 45% की राशि में किस वेंडर को भुगतान करें। एलपीजी कनेक्शन, अंडा, किराना और सब्जी वाले, सबको भुगतान करना है। खर्च 100% और भुगतान मात्र 45% यह समझ से परे है। और यह भुगतान भी पीपीए के माध्यम से। इसे जमा करने के लिए जिला मुख्यालय दो बार जाना होगा। दो दिन उस पर समय खर्च करना होगा और आवागमन खर्च भी।
बोले शिक्षक संघ के नेता:
प्राथमिक शिक्षक संघ (ब्रजनंदन शर्मा ग्रुप) के जिला अध्यक्ष राम प्रताप वर्मा ने कहा कि राशि के अभाव में इन दिनों जिले के हेडमास्टर मानसिक तनाव से गुज़र रहे हैं। इसका असर उनके शैक्षणिक कार्यों पर पड़ रहा है। परिवार व बच्चों की जरूरतों को छोड़कर एचएम कब तक अपना पैसा एमडीएम मद में लगाएंगे। यह स्थिति बहुत ही निराशजनक है। शीघ्र समस्या का समाधार होना चाहिए।
बोले पदाधिकारी:
माह अक्टूबर के खर्च का 45% राशि विद्यालयों को भेज दिया गया है। जिन विद्यालयों के द्वारा वेंडर को भुगतान नहीं किया गया है, उन सभी विद्यालय दो दिनों के अंदर वेंडर को भुगतान करना सुनिश्चित करें। सिकटी व जोकीहाट प्रखंड का क्लीयर है।
-रोहित कुमार चौरसिया, एमडीएम डीपीओ, अररिया।
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