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कुर्साकांटा के अधिकांश स्कूलों में खेल मैदान नहीं, खेल प्रतिभा का कैसे हो विकास

कुर्साकांटा के अधिकांश स्कूलों में खेल मैदान नहीं, खेल प्रतिभा का कैसे हो विकास

संक्षेप: कुर्साकांटा प्रखंड के 140 प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में से केवल आधा दर्जन के पास खेल मैदान हैं। इस कारण बच्चे खेल नहीं पा रहे हैं, जिससे उनकी खेल प्रतिभा का विकास नहीं हो रहा है। सरकार ने शारीरिक...

Wed, 20 Aug 2025 02:10 AMNewswrap हिन्दुस्तान, अररिया
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खेल के मैदान के अभाव में बच्चे नहीं कर पा रहे हैं खेल कूद, खेल प्रतिभा हो रही है कुंठित सरकार ने प्रखंड के मध्य विद्यालयों में शारीरिक शिक्षक की तो बहाली की पर मैदान नहीं कुर्साकांटा प्रखंड के 140 प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में से आधा दर्जन के पास ही खेल मैदान कुर्साकांटा, निज प्रतिनिधि बच्चों के समग्र विकास के लिए पढ़ाई के साथ-साथ खेल का महत्वपूर्ण योगदान होता है। लेकिन स्कूलों में खेल का मैदान नहीं होने से बच्चे खेल नहीं पाते हैं। इस कारण बच्चों में खेल प्रतिभा का विकास नहीं हो पाता है। स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रखंड के कुल 140 प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में से केवल आधा दर्जन हीं विद्यालयों के पास खेल का मैदान है।

यही नहीं सरकार ने प्रखंड के मध्य विद्यालयों में शारहरिक शिक्षक भी बहाल किये हंै। बावजूद खेल के मैदान नहीं होने के खेल की घंटी नहीं बजती है। इस कारण शाररिक शिक्षक चाह कर भी बच्चों में खेल प्रतिभा विकसित नहीं कर पा रहे हैं। उन्हें बच्चों को पाठ्य पुस्तक हीं पढ़ाने पड़ते हैं। स्कूलों में भवन के अलावे बस अंगना है। यहां बच्चों के लिए उछल कूद करना भी मुश्किल काम है। खेल के मैदान के अभाव में बच्चे खेल प्रतियोगिता में अपना जौहर दिखाने से बंचित हो जाते है। जबकि संकुल स्तरीय प्रतियोगिता से लेकर प्रखंड व जिलास्तर और राज्य स्तर तक स्कूली बच्चों के लिए प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। लेकिन बच्चे जिलास्तर तक जाते जाते पिछे छूट जाते हैं। हालांकि 15 से 20 वर्ष पूर्व तक बच्चे टिफीन में न केवल फुटबॉल, वालीबॉल, क्रिकेट, कबड्डी आदि खेल खेलते थे, बल्कि एनसीसी के प्रति भी काफी रुझान था। मगर जहां आज खेल कूद चंद स्कूल तक ही सिमट कर रह गया है। वहीं एनसीसी अब किसी भी स्कूल में नहीं हो रहा है। अब खेलने के समय बच्चे मध्याह्न भोजन का आनन्द लेते हैं। इसके बाद वर्ग संचालन प्रारंभ हो जाता है। राज्य सरकार ने वर्ष 2013 में खेल नीति लागू किया था। तब बच्चों एवं उनके अभिभावकों को ऐसा लगा कि इस इलाके के बच्चे भी खेल में अररिया जिला का नाम रोशन करेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। बोले पदाधिकारी: बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए खेल जरूरी है। इसके लिए खेल मैदान भी उतना ही आवश्यक है। वे सीओ से इस बारे में बात करेंगे। सरकारी भूमि की तलाश की जाएगी। मिलने पर तुरंत स्कूलों को खेलने के लिए आवंटित कर दी जाएगी। नेहा कुमारी, बीडीओ, कुर्साकांटा