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दीक्षा से मंत्र बुद्धि व भगवान की प्राप्ति होती है: शंकाराचार्य

आयोजित श्रद्धालुओं की संगोष्ठी में जगन्नाथपुरी धाम के शंकराचार्य ने श्रद्धालुओं से संवाद किया। श्रद्धालुओं के संवाद का जवाब...

दीक्षा से मंत्र बुद्धि व भगवान की प्राप्ति होती है: शंकाराचार्य
हिन्दुस्तान टीम,अररियाFri, 24 May 2019 11:49 PM
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आयोजित श्रद्धालुओं की संगोष्ठी में जगन्नाथपुरी धाम के शंकराचार्य ने श्रद्धालुओं से संवाद किया। श्रद्धालुओं के संवाद का जवाब दिए।

इससे पहले महाराज के चरण पादुका को माथे से स्पर्श करने की होड़ सी लगी रही। लोगों ने कतार बद्ध होकर चरण पादुका का दर्शन कर उसे नमन किया तथा शंकराचार्य से आर्शीवाद प्राप्त किए। आशीर्वाद लेने वालों में नेपाल के बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी मौजूद थे।

इस दौरान संवाद कार्यक्रम के तहत सोनम अग्रवाल ने पूछा की दीक्षा क्या होता है? जबकि नेपाल के श्रद्धालुओं ने पूछा कि कर्म बड़ा होता है या भाग्य? जवाब में जगत गुरु शंकराचार्य ने कहा कि दोनों में कौन बड़ा है इसका फासला निकालना कठिन है।

मगर एक दृष्टि से उन्होंने कर्म बड़ा होने की बात कही। कहा कि मनुष्य सर्वथा प्राबबध्य के अधीन होता है। यह पौरुष और भाग्य की कहानी पर आधारित है। इस दौरान कंुती के जीवन कथा पर प्रकाश डाला गया तथा दुर्बासा द्वारा चतुर्मास की चुनौती और श्राप की धमकी का उल्लेख किया गया।

उन्होंने महात्मा को दिव्यदर्शी बताया। इसके साथ ही तीन पुत्रों को परिभाषित करते हुए कहा कि पहला पुत्र ऐसा हो जो धर्मराज की स्थापना करें। इस दौरान नकुल और सहदेव का भी चित्रण किया गया। शंकराचार्य ने कहा कि जीवन में दीक्षा आवश्यक है। दीक्षा से मंत्र बुद्धि और भगवान की प्राप्ति होती है। मंत्र में तो एटम बम से भी अधिक शक्ति होता है। उन्होंने मंत्र और साधना को भी परिभाषित किया।

फोटो- फारबिसगंज 03, शंकराचार्य के चरण पादुका को नमन करते विधायक सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़।

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