पीएचसी में लगी आग ने खोली स्वास्थ्य सुरक्षा की पोल
जीवन रक्षक दवाइयां का असुरक्षित ठिकाना ,आखिर कौन है इसके जिम्मेदार आग लगी अथवा

जीवन रक्षक दवाइयां का असुरक्षित ठिकाना ,आखिर कौन है इसके जिम्मेदार आग लगी अथवा लगाई गई, सीसीटीवी से खुलेगा राज फारबिसगंज, निज संवाददाता रविवार की सुबह फारबिसगंज का आसमान काले धुएं से भर गया। यह धुआं सिर्फ दवाइयों का नहीं था, बल्कि उन बच्चों की उम्मीदों का था जो इन जीवन रक्षक दवाइयों पर निर्भर थे। पीएचसी के स्टोर रूम और कोल्ड चैन में लगी भीषण आग से करोड़ों की दवाइयां राख हो गईं और लोगों के मन में सवालों का तूफान खड़ा हो गया। जानकर बताते हैं कि 18 साल पुरानी इस इमारत में, जो कभी विधायक फंड से बनवाई गई थी, दवाइयों का भंडारण किया गया था।
रखरखाव के अभाव में यह भवन कब गिर जाए, इसका भरोसा नहीं था। इसके बावजूद यहां करोड़ों की कीमती दवाइयां रखी थीं। परिसर में अवैध टेंपो गाड़ियों का कब्जा और गेट पर नशेड़ियों का जमघट सुरक्षा की पोल खोलता है। सामाजिक कार्यकर्ता प्रताप नारायण मंडल ने भावुक होकर कहा यह हादसा नहीं, यह मासूमों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ है। जिन दवाओं पर बीमार बच्चों और गर्भवती महिलाओं का जीवन टिका था, वो राख हो गईं। अब सवाल है- जिम्मेदार कौन है? स्थानीय लोगों का कहना है कि जब पूरी रात बिजली गुल थी, तो शॉर्ट सर्किट की थ्योरी कमजोर लगती है। जनरेटर चलने का भी कोई स्पष्ट सबूत नहीं मिला है। ऐसे में घटना साजिश हो सकती है, इस आशंका से लोग इनकार नहीं कर रहे। उन्होंने मांग की है कि सीसीटीवी फुटेज खंगाली जाए और असली कारण सामने लाया जाए। हालांकि सिविल सर्जन डॉ. के.के. कश्यप ने मौके पर पहुंचकर प्रारंभिक जांच के बाद शॉर्ट सर्किट से आग लगने की संभावना जताई है, लेकिन लोगों का कहना है कि यह सिर्फ तकनीकी जांच का मामला नहीं, बल्कि जीवन सुरक्षा की जिम्मेदारी का भी सवाल है।
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