जहां एक ओर स्थानीय पिपरा घाट पर परमान नदी द्वारा बनाई गई नई धारा को बंद करने में इंजीनियर जुट गए हैं वहीं दूसरी ओर टूटे तटबंध की मरम्मत नहीं होने से ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है । विगत 18 जून को हिन्दुस्तान में यह खबर प्रमुखता से प्रकाशित हुई थी कि किस तरह टूटे तटबंध के बगल से परमान नदी नई धारा बना ली है जिसका खामियाना संबंधित क्षेत्रवासियों को भुगतना पड़ेगा।
बताया जाता है कि टूटे तटबंध के पास ही परमान नदी पर बिशनपुर से पिपरा पथ में करीब 5.5 8 करोड़ की लागत से आरसीसी पुल का निर्माण हो रहा है । हालांकि इस कार्य को विगत अगस्त 2019 में ही पूरा हो जाना था मगर निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका । पुल निर्माण के दौरान नदी के उत्तरी भाग में पानी की निकासी जाम कर देने के बाद दक्षिणी छोर से नदी में एक नई धारा बना ली थी जो आने वाले समय में परेशानी का सबब बन सकता था। हालांकि ग्रामीणों को उम्मीद नहीं है कि जिस तरह से मिट्टी से भराई कार्य हो रहा है यह स्थाई तौर पर रहेगा लेकिन इस पथ को एप्रोच पथ के अधीन आ जाने से इस पर मजबूती से कार्य करने की जरूरत है। इधर टूटे तटबंध की मरम्मत की शुरुआत नहीं होने से ग्रामीणों में आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है । अगर दो—चार दिनों में मरम्मत कार्य प्रारम्भ नहीं हुआ तो फिर ग्रामीणों की तबाही का चौथा वर्ष हो जाएगा । बाढ़ को लेकर शहर से पूर्वी भाग हमेशा परेशान रहा है मगर टूटे तटबंध को लेकर करीब एक दर्जन पंचायतों के लोगों की हंसी गायब हो गई है। इस मौके पर ग्रामीणों में राजकुमार साह, प्रदीप कुमार साह, राजीव साह, सुनील साह, ललन साह, संजय साह, लाल गोविंद पासवान, राजकुमार पासवान, सुबोध साह, सतीश साह, मुरलीधर साह, रघुनंदन साह, धर्म नाथ मंडल, रविंद्र मंडल ,अशोक मंडल, जितेंद्र मंडल ,मोहम्मद सुहान ,मोहम्मद अल्ताफ, मोहम्मद रियाज, मोहम्मद समसुल ,मोहम्मद अजीम, मोहम्मद खुर्शीद ,चंदन कुमार साह, नरेश मंडल सहित बड़ी संख्या में लोगों ने कहा कि टूटे तटबंध को लेकर तबाही क्षेत्र का नशीब बन गया है । जिस तरह से स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों ने क्षेत्र के पीडि़तों की भावना से खिलवाड़ करने का काम किया है इससे उन लोगों का विश्वास टूट गया है । अभी से बाढ़ से बचने के उपाय में लग गए हैं। प्रशासन उन पीडि़तों के जख्म पर 06 हजार का सहयोग देकर अपनी ड्यूटी पूरी कर लेते हैं मगर उन लोगों को तबाही और बर्बादी का आकलन पैसों से नहीं किया जा सकता है।