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बड़ी इमारतों के निर्माण से बंद हुई जलनिकासी की राह

अररिया। निज संवाददाता वर्ष 1987 और 2017 के बाढ़ की भीषण त्रासदी को झेल चुके

बड़ी इमारतों के निर्माण से बंद हुई जलनिकासी की राह
हिन्दुस्तान टीम,अररियाSun, 22 May 2022 11:51 PM
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अररिया। निज संवाददाता

वर्ष 1987 और 2017 के बाढ़ की भीषण त्रासदी को झेल चुके अररिया नगर परिषद क्षेत्र में जल निकासी की समस्या का स्थायी निदान की दिशा में कोई सार्थक प्रयास नहीं हो रहा है।शहर की आबादी बढ़ने और नये-नये इलाकों में बन रहे बड़ी-बड़ी इमारतें जल निकासी में बाधक बन रहा है।पहले शहर का पानी सरल ढंग से बाहर निकल जाया करता था। लेकिन, अब मुश्किल हो गया। जिन खाली जगहों में पानी बहता था, आज वहां आबादी बस गई है और बिल्डिंग बन गयी, नतीजा यह है कि पानी शहर में ही रह जाता है। दरअसल शहर के पूर्वी व उत्तरी दिशा में परमान नदी और पच्छिम व दक्षिण से कोसी में नदी की धारा बहती है। लेकिन,इन दोनों ही इलाकों की स्थिति पहले जैसी नहीं रही। नदी किनारे खाली जगह को ऊंचे दामों में बेचा जा रहा है। उस पर बड़ी-बड़ी इमारत खड़ी हो गई हैं। जरूरत थी उस भूमि के अधिग्रहण की। लेकिन, ऐसा नहीं किया गया। यही हाल पूर्वी वाले भाग का है।पूर्वी व उत्तरी वाले मोहल्ले का पानी आसानी से पनार नदी में जाता था।लेकिन, इस इलाके में भी नई आबादी तेजी से बसी है।लिहाजा पानी निकासी का रास्ता अवरुद्ध हो गया है।यही कारण है कि हर साल बरसात के समय शहर के आजाद नगर,निज़ाम नगर और खरहैया बस्ती,ककुड़वा बस्ती, मिल्लत नगर आदि मोहल्लों में बाढ़ और बरसात के पानी से जमाव होता है। नदी किनारे ऊंचे इमारतों के निर्माण से जल निकासी की राह बंद हो गया है।इसके स्थाई निदान के लिए शासन- प्रशासन मौन है।हालांकि नगर परिषद प्रशासन का कहना है कि ऐसी जगहों पर भवन निर्माण के लिए नगर परिषद नक्शा स्वीकृत नहीं करती है।बाबजूद इन इलाकों में बेरोकटोक भवन निर्माण हो रही है।इसे देखने की फुर्सत नगर परिषद प्रशासन को नही है।ऐसे इन इलाकों में नाले की भी कमी है।बताया जाता है कि नालों की सफाई भर से समस्या का निदान संभव नहीं है। बल्कि, शहर से पानी निकल कर कहां जाएगा, इसका पुख्ता प्रबंध करना होगा। तभी जलजमाव की समस्या से निजात मिल सकता है।जानकारों की मानें तो भूमाफिया इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं।कोसी नदी किनारे जमीन बेचने घर बनाने के समय पानी की निकासी का ध्यान नहीं रखा जाता, क्योंकि बस्तियों को भूमाफिया बसाते हैं।कारण है कि नदी किनारे की जमीन आसानी से शहर की अन्य जमीन से कम कीमत में बेचा जा जाता है और जनता को भगवान भरोसे छोड़ दिया जाता है।इन इलाकों में बस्तियां बसाते समय पानी की निकासी की समस्या को नजरअंदाज किया जाता है। कई बार जल्दबाजी में नालों के ऊपर ही घरों का निर्माण कर दिया जाता है। इसकी पोल तब खुलती है, जब बारिश के दौरान जगह-जगह पानी भर जाता है। जल निकासी के लिए जगह ही नहीं बचती। दूसरी ओर शहरों में कई स्थानों पर मकान बहुत ही पास-पास बने होते हैं। गालियां भी बहुत तंग हैं और जल निकासी के भी पुख्ता इंतजाम नहीं है। इसलिए थोड़ी सी बारिश में ही शहर जलमग्न हो जाते हैं। यही कारण है कि शहरों के लिए बारिश आफत बन जाती है। इन सभी समस्याओं से निजात पाने के लिए नगर परिषद प्रबंधन को अधिक ध्यान देना होगा।

शहर में नाले का है अतिक्रमण :

शहर का शायद ही कोई ऐसा हिस्सा है, जहां का नाला अतिक्रमित नहीं है। इसे अतिक्रमित करने वालों में हर तबके के लोग शामिल हैं। अमीर हो या गरीब, जिसे जहां मौका मिला उसने अपने आवास के सामने नालों को समेट लिया। कई जगहों का हाल तो ऐसा हो गया है कि नाला की सफाई के दौरान कुदाल तक नहीं डाला जा सकता है। कई घरों व दुकानों के सामने नालों को ढंक दिया गया है। लोग उसके ऊपर दुकान चलाते हैं। कई जगह नाले पर घर बना लिया है। यही कारण है कि कई नालों का अस्तित्व खत्म हो गया है। जानकारों की मानें तो बार्बादी बढ़ने के बावजूद अगर पुराने नालों को अतिक्रमण मुक्त करा लिया जाए तो समस्या का निदान कुछ हद तक आसान हो जाएगा।चांदनी चौक से लेकर कोसी पुल तक के नाले की बात करें तो नाले पर दुकानें खड़ी है।यही हाल चांदनी चौक से तेरापंथ भवन तक के नाले का है। यह कहा जा सकता है अतिक्रमण की समस्या से कोई भी नाला अछूता नहीं है।

आबादी के हिसाब से नहीं हैं पर्याप्त नाले :

आबादी के अनुपात में शहर में पर्याप्त नाले नहीं है और जो है वह काम के नहीं है। ऐसा नहीं है कि नाला का निर्माण नहीं कराया गया है। विगत दस वर्षों में नगर परिषद की योजना, मुख्यमंत्री शहरी विकास योजना, सांसद, विधायक, एमएलसी कोष सहित कई योजनाओं से करोड़ों रुपये की राशि से नालों का निर्माण कराया गया। लेकिन, गुणवत्ता की कमी के कारण व सही मानक का उपयोग नहीं करने की वजह से अधिकांश नाले ध्वस्त हो गए हैं। जो बच गए हैं वह जाम पड़े हुए हैं।शहर में जल जमाव की समस्या गंभीर है, यह जानकारी विभाग को भी है।

बोले चेयरमैन:

जल निकासी के मार्ग पर बस्तियां बस गई है। अररिया के लोगों ने 2017 का बाढ़ देखा है।शहर में कई दिनों तक पानी लगा रहा।इसको लेकर बड़े प्रोजेक्ट की जरूरत है। इस समस्या से सरकार व प्रशासन को अवगत कराया जा चुका है। समय रहते इस पर काम नहीं किया गया तो स्थिति और भी भयावह हो सकता है।

-रितेश कुमार राय, चेयरमैन, नगर परिषद, अररिया

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