सड़क किनारे और डिवाइडर पर न बांधें पशु, अन्यथा लगेगा जुर्माना
जिला सड़क सुरक्षा समिति ने पशुपालकों को सलाह दी है कि वे अपने पशुओं को सड़कों के किनारे या डिवाइडर पर न बांधें। ऐसा करने से सड़क पर हादसे की संभावना बढ़ जाती है। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि उल्लंघन...

जिला सड़क सुरक्षा समिति ने एडवाइजरी जारी कर पशु पालकों को किया सचेत किनारे और डिवाइडर के बीच पशुओं का बांधना खतरनाक, बनी रहती है हादसे की आशंका
सड़क किनारे बड़े पैमाने पर सुखाये जाते हैं मक्का, धान व गेहूं, लोग हादसे के होते हैं शिकार
अररिया, संवाददाता
डीएम की अध्यक्षता वाली जिला सड़क सुरक्षा समिति ने एक एडवाइजरी जारी कर पशु पालकों को सड़क किनारे और सड़क के बीच बने डिवाइडर पर पशु नहीं बांधने का सख्त निर्देश दिया है। कहा गया है कि सड़क सुरक्षा के दृष्टिकोण से सड़कों के किनारे और डिवाइडर के बीच पशुओं का बांधना खतरनाक है। क्योंकि ऐसे पशुओं के अचानक सड़क पर आने की स्थिति में दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। लिहाजा पशुपालक अपने पशुओं को निजी शेड में ही बांधें। सरकार द्वारा शेड निर्माण को लेकर समय समय पर सहायता भी प्रदान की जाती है। ऐसा करने से पशुओं को सुरक्षित रखने और सड़कों पर वाहन परिचालन में परेशानी नहीं होगी। सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी आयेगी। ये भी स्पष्ट किया गया है कि अगर इस निर्देश का उल्लंघन होता है तो संबंधित पशुपालक दंड के भागी होंगे और उनके पशुओं को जब्त किया जायेगा।
डीटीओ सुशील कुमार ने कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से यह बहुत जरूरी है कि पशुपालक अपने-अपने मवेशियों को सड़क किनारे और सड़क के बीच बने डिवाइडर पर पशु नहीं बांधे। इससे आम पब्लिक के साथ-साथ इन पशुओं की जान पर भी खतरा बना रहता है।
निजी उपयोग के लिए सरकारी सड़क न करें उपयोग:
डीटीओ ने किसान सड़कों से अपील की है कि वे निजी उपयोग के लिए सरकारी सड़क अतिक्रमण न करें। जैसे सड़क पर मक्का सुखाना, गेहूं व धान सुखाना। यहां बता दें कि जिले के कमोवेश सभी सड़कों के किनारे यहां तक की एनएच किनारे किसान मक्का सुखाते हैं। इससे सड़क अतिक्रमण हो जाती है। मक्का पर फिसलन ज्यादा होती है। यदि कोई बाइक व अन्य गाड़ियां सड़क पर पसारे गये मक्का होकर गुजरती है तो वे हादसे के शिकार हो जाते हैं। इस बार तो कई प्रखंड इलाकों में पुलिस ने बजाप्ते लाउड स्पीकर से एनाउंस कर सड़क पर फसल नहीं सुखाने की अपील की थी। बताया गया कि कई किसान ऐसे हैं जो सड़क पर ही पशुओं को नहलाते भी हैं। ऐसे ले लोग आवागन कैसे करे, यह बड़ा सवाल है। शायद इसी जिला प्रशासन इस दिशा में काफी सख्त है।
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