श्रद्धा व भक्ति के साथ मना अनंत चतुर्दशी का त्योहार
अररिया में शनिवार को श्रद्धालुओं ने अनंत चतुर्दशी का व्रत श्रद्धा और भक्तिभाव के साथ मनाया। भक्तों ने भगवान विष्णु से सुख, शांति और समृद्धि की प्रार्थना की और दाएं हाथ में धागे बांधे। मेले का आयोजन...

सुख शांति और समृद्धि के लिए भगवान विष्णु से की प्रार्थना पूजा-अर्चना कर भक्तों ने प्रतीक के रूप में हाथ में धागे बांधें अनंत के 14 गांठों में प्रत्येक गांठ एक-एक लोक का प्रतीक अररिया, निज प्रतिनिधि जिलेभर में शनिवार को श्रद्धा व भक्तिभाव के साथ अनंत चतुर्दशी का व्रत मनाया गया। व्रत की तैयारी में श्रद्धालु कई दिनों से लगे हुए थे। श्रद्धालुओं ने अपने-अपने घरों में पूजा-अर्चना कर प्रतीक के रूप में दायें हाथ में धागे बांधें। सुबह होते ही लोग स्नान कर पूजा कर अनंत धारण किया। भक्तों ने भगवान से सुख, शांति व समृद्धि के लिए प्रार्थना की।
बताया जाता है कि अनंत भगवान श्रीहरि विष्णु को कहा जाता है। इनकी पूजा श्रद्धालु संकटों से रक्षा करने व घरों में सुख समृद्धि आने के लिए करते हैं। पूजा के बाद चौदह गांठों वाले सूत्र को अनंत भगवान का स्वरूप मानकर पुरुष दाये व महिलाएं ने बाये बाजू पर धारण करती हैं। अनंत पूजा के मौके पर जिले के अलग-अलग जगहों पर भव्य मेले का भी आयोजन किया गया। मेले में कई तरह के धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। मान्यता है कि अनंत के चौदह गांठों में प्रत्येक गांठ एक-एक लोक का प्रतीक है। इसकी रचना भगवान विष्णु ने की है। सभी जगह एकत्रित होकर श्रद्धालुओं ने अनंत भगवान की पूजा धूमधाम से की। इस दौरान अनंत चतुर्दशी व्रत को लेकर सुबह से ही भगवान की पूजा करने के लिए मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी थी। अनंत चतुर्दशी व्रत को लेकर सभी घरों में पकवान बनाया गया। महिलाएं पवित्र ढंग से तैयार किये गये आटे से पूड़ी व पूआ बनाया व इसे भगवान पर चढ़ाया गया। इसके बाद लोगों ने प्रसाद रूप में पूआ-पकवान को ग्रहण किया। पंडित अशोक झा ने बताया कि 14 गांठ वाले धागे को बाजू में बांधने से भगवान विष्णु जो आदि व अनंत से परे हैं, उनकी कृपा प्राप्त होती है। अनंत चतुर्दशी का संबंध महाभारत काल से भी है। कौरवों से जुए में हारने के बाद पांडव जब वन-वन भटक रहे थे, तब एक दिन श्रीकृष्ण पांडवों के पास आये व युधिष्ठिर से कहा कि हे धर्मराज जुआ खेलने के कारण देवी लक्ष्मी आपसे नाराज हो गयीं हैं। इन्हें प्रसन्न करने लिए आपको अपने भाइयों के साथ अनंत चतुर्दशी का व्रत रखना चाहिए, तब पांडवों ने यह व्रत रखा था।
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