पानी घटते ही शुरू हुई तटबंध मरम्मत की मांग
पानी घटने के साथ ही पीपरा के टूटे तटबंध मरम्मती की मांग फिर शुरू हो गयी है। बता दें कि पिपरा सहित एक दर्जन पंचायतों के लाखों की आबादी को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है । जहां एक तरफ ...
पानी घटने के साथ ही पीपरा के टूटे तटबंध मरम्मती की मांग फिर शुरू हो गयी है। बता दें कि पिपरा सहित एक दर्जन पंचायतों के लाखों की आबादी को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है । जहां एक तरफ पिछले चार वर्षों से आज तक टूटे तटबंध की मरम्मती नहीं हो पायी वहीं दूसरी ओर आवागमन का एकमात्र साधन बना परमान नदी पर बनने वाली पूल के भी इस वर्ष पूरा होने के आसार खत्म हो गयी है ।
इस तरह से प्रभावित क्षेत्र की एक बड़ी आबादी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बता दें विगत अगस्त 2017 में पिपरा घाट स्थित परमान नदी का तटबंध टूटने से करीब एक दर्जन पंचायत के लाखों की आबादी हर वर्ष बाढ़ में तबाह होता रहा है । हजारों एकड़ जमीन में लगी फसलें बर्बाद होती रही है और आवागमन का घोर संकट उत्पन्न होता रहा है । क्योंकि टूटे तटबंध से बहने वाली पानी की धार इतनी मजबूत होती है इससे हर वर्ष ग्रामीण कई सड़कें टूट कर बर्बाद हो जाता है । इन तमाम समस्याओं को नजरअंदाज करते हुए प्रशासनिक अधिकारी या फिर राजनेता दोनों ने सिर्फ प्रभावित क्षेत्र की जनता को भरोसा देने का काम किया है। कहते हैं मानसून के आगमन के बाद नेपाल की वर्तमान स्थिति को लेकर वैसे भी परमान नदी का समय—समय पर रौद्र रूप देखने को मिलता रहा है।
हर वर्ष समय से पूर्व नेपाल से पानी के आगमन को लेकर क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति बनती रही है। इतना ही नहीं बाढ़ के समय में लगातार परिवर्तन देखने को मिलता रहा है । 2017 में जब तटबंध टूटा था तो वह अगस्त का महीना था । ताजा स्थिति यह है कि इस बार जून के महीने में ही बाढ़ का आगमन हो गया। लोगों को आशंका है अगर समय से पूर्व नेपाल की पानी परमान में दुबारा प्रवेश करती है तो फिर जुलाई में भी बाढ़ का रूप देखने को मिल सकता है । दूसरी ओर पिपरा सहित अन्य पंचायत के लोग इस बात से सशंकित है कि टूटे तटबंध की मरम्मत नहीं हो पाई ,उसके बाद पुल का निर्माण नहीं हो पाया ,ऐसे में आने वाले समय क्षेत्र वासियों के लिए किसी गंभीर संकट से कम नहीं है। इधर ग्रामीणों का कहना है कि जून की बाढ़ तो झलक थी जो ट्रेलर दिखाकर जख्म देकर चली गयी मगर अब जो बाढ़ का आगमन होगा उसका गूंज कई दिनों तक सुनाई देगा। यह भी आरोप लगाया कि समय सीमित है इसी में शासन,प्रशासन और जनप्रतिनिधि मरम्मती कार्य करावें अन्यथा अब ग्रामीणों को बिरोध प्रदर्शन के लिए तैयार रहना चाहिए।