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सालभर से गोदाम में जंग खा रहे 45.53 लाख के डस्टबिन

फारबिसगंज । (नि. सं.) इन फारबिसगंज नगर परिषद की सेहत ठीक नहीं दिख रही है।

सालभर से गोदाम में जंग खा रहे 45.53 लाख के डस्टबिन
हिन्दुस्तान टीम,अररियाSat, 19 Jun 2021 05:21 AM
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फारबिसगंज । (नि. सं.)

इन फारबिसगंज नगर परिषद की सेहत ठीक नहीं दिख रही है। नप लूट की संस्कृति से उबर नहीं पा रही है। ऐसा तो नहीं है तो नप में सिर्फ कमीशन के लिए ही सामग्री खरीदे जाते हैं। ऐसा इसलिए कि विगत एक वर्ष से नप के गोदाम में खरीदी गई करीब 200 डस्टबिन जंग की भेंट चढ़ रही है। आज तक इस डस्टबिन का इस्तेमाल नहीं हो पाया है । नप के आधिकारिक जानकारी अनुसार विगत तीन जुलाई 2020 को 45.53 लाख की लागत से करीब 200 डस्टबीन खरीदे गए थे। शहर के विभिन्न जगहों पर कचरा व गंदगी को लेकर इस डस्टबिन की जरूरत बताई गई थी। मगर आज तक इसका इस्तेमाल नहीं हुआ और विगत एक वर्ष से गोदाम में सभी डस्टबिन को जंग के हवाले कर दिया गया है । अधिकारिक जानकारी अनुसार विगत तीन जुलाई 2020 को कुल 45. 53 लाख की लागत से 200 डस्टबिन खरीदा गया था। विगत नौ जुलाई 2020 को इसका भुगतान भी कर दिया गया । प्रत्येक डस्टबिन की कीमत 19 हजार 100 रुपये थी और 18 फीसदी जीएसटी के बाद प्रति डस्टबिन की कीमत 22 हजार 538 रुपये हो गए। कहा तो यहां तक जा रहा है कि इस डस्टबीन की खरीददारी के बाद एक प्रतिनिधि और तत्कालीन ईओ के बीच कमीशन को लेकर काफी हाय तोबा मची थी। मगर इन सबसे इतर आखिर किस परिस्थिति में इस डस्टबिन को इस्तेमाल नहीं हो रहा है। अगर इसकी जरूरत नहीं थी तो फिर इसे क्यों खरीदी गई थी। कहीं कमीशन की आढ़ में शहरवासियों से ली गई टैक्स का दुरुपयोग तो नहीं हो रहा है। चर्चा पर यकीन करें तो नप में जिस तरह से कमीशन को लेकर डस्टबीन की खरीद हुई और उसका इस्तेमाल नही हो रहा है। यह नप में लूट संस्कृति का उदाहरण बन गया है। नप के जानकार बताते है कि खरीदी गई डस्टबीन गोदाम में पड़ा है मगर कमीशन की ललक में दूसरा 70 लाख का टेंडर भी निकालने की तैयारी हो गयी थी जिसे ईओ द्वारा ही रोक दिया गया। ईओ में खुद इस बात की पुष्टि की है। सवाल है कि आखिर कब तक नप में लूट की संस्कृति हावी रहेगा।

क्या कहते हैं नप के ईओ: नप के कार्यपालक पदाधिकारी जयराम प्रसाद ने बताया कि यह खरीददारी उनके आने से पूर्व हुई है। मगर डस्टबीन का इस्तेमाल नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है। डस्टबीन लगाने में करीब 5 लाख का खर्च है । इस राशि का समायोजन टेंडर में ही निहित होना चाहिए मगर ऐसा नहीं हुआ है।

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