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पुआल कूड़ा नहीं, खेती का गहना

है ब्लॉक, नहीं मिलेगा लाभ -14 पंचायतों के कृषि समन्वयक व किसान सलाहकार के वेतन भुगतान पर भी लगी रोक -पिछले वर्ष भी हुई थी तीन दर्जन किसानों पर...

पुआल कूड़ा नहीं, खेती का गहना
हिन्दुस्तान टीम,आराMon, 29 Nov 2021 03:00 PM
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-कृषि विभाग के जन जागरूकता व कार्रवाई के बाद भी नहीं रुक रहा पराली जलाने का मामला

-35 किसानों का अब तक निबंधन पोर्टल से किया गया है ब्लॉक, नहीं मिलेगा लाभ

-14 पंचायतों के कृषि समन्वयक व किसान सलाहकार के वेतन भुगतान पर भी लगी रोक

-पिछले वर्ष भी हुई थी तीन दर्जन किसानों पर कार्रवाई

-खेतों में पराली जलाने से पर्यावरण को खतरा से लेकर नष्ट होती है उर्वरा शक्ति

80 प्रतिशत तक अनुदान फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किसानों को यंत्रों पर मिल रहा

आरा। हमारे संवाददाता

पुआल कूड़ा नहीं, खेती का गहना है। यह अवशेष, नहीं विशेष है। इसे मिट्टी में मिलाना है, कभी नहीं जलाना है...। कृषि विभाग का यह स्लोगन फसल अवशेष प्रबंधन की महत्ता बताने के लिए काफी है। इसे गांव-गांव में कृषि विभाग की ओर से प्रचारित व प्रसारित कराया जा रहा है, ताकि फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर किसानों में जागरूकता पैदा हो सके। कृषि विभाग ने इसे अमली जामा पहनाने के लिए अपना प्रयास तेज कर दिया है। बावजूद इसके जगदीशपुर प्रखंड में खेतों में पराली जलाने की घटनाएं नहीं रुक रही हैं। पराली जलाने के आरोप में कृषि विभाग ने अब तक कुल 35 किसानों का निबंधन ब्लॉक करते हुए रद्द कर दिया है। इसके अलावा 14 कृषि समन्वयक समेत किसान सलाहकारों के वेतन भुगतान पर रोक लगा दी गई है। तीन हार्वेस्टर संचालक व चालक पर भी प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। पिछले वर्ष में भी जिले में जगदीशपुर प्रखंड में पराली जलाने की सर्वाधिक घटनाएं दर्ज की गई थीं। इस साल भी यह क्रम जारी है। फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किसानों को यंत्रों पर 80 प्रतिशत तक अनुदान सरकार दे रही है, परंतु किसान फसल अवशेष प्रबंधन के लिए यंत्रों का लाभ नहीं ले रहे हैं। फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर गांव-गांव में कृषि विभाग की ओर से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। कृषि विभाग के अनुसार फसल अवशेष जलाने से मिट्टी का तापमान बढ़ने के कारण मिट्टी में उपलब्ध सूक्ष्म जीवाणु, केचुआ आदि मर जाते हैं। साथ ही जैविक कार्बन, जो पहले से ही हमारी मिट्टी में कम हैं और भी जलकर नष्ट हो जाते हैं। फल स्वरुप मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है।

एक टन पुआल जलाने से वातावरण को नुकसान

-3 किलोग्राम पार्टिकुलेट मैटर

-60 किलोग्राम कार्बन मोनोऑक्साइड

-1,460 किलोग्राम डाइऑक्साइड

-199 किलोग्राम राख

-2 किलोग्राम सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जन होता है

पुआल जलाने से मानव जीवन को नुकसान

-सांस लेने में तकलीफ

-आंखों में जलन

-नाक में तकलीफ

-गले की समस्या

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एक टन पुआल नहीं जला मिट्टी में मिलाने से फायदा

नाइट्रोजन- 20 से 30 किलोग्राम

पोटाश- 60 से 100 किलोग्राम

सल्फर- 5 से 7 किलोग्राम

ऑर्गेनिक कार्बन- 600 किलोग्राम

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फसल अवशेष प्रबंधन यंत्रों पर बढ़ी अनुदान राशि

स्ट्रा बेलर, हैप्पी सीडर, जीरो टील सीड, रीपर कम बाइंडर, स्ट्रा रिपर, रोटरी मल्चर, सुपर सीडर- 80 प्रतिशत

कोट

किसानों से अपील है कि फसल की कटनी हार्वेस्टर से की गई है तो खेत में फसलों के अवशेष पुआल, भूसा आदि जलाने के बदले खेत की सफाई करने के लिए बेलर मशीन का उपयोग करें। अपनी फसलों के अवशेष को खेतों में जलाने के बदले उसमें वर्मी कंपोस्ट बनाएं या मिट्टी में मिलाएं अथवा पलवार विधि से खेती कर मिट्टी को बचाएं।

मनोज कुमार

डीएओ, भोजपुर

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