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कोरोना के इलाज से जुड़ी दवाओं की किल्लत, कैसे हो इलाज

-पल्स ऑक्सीमीटर प्रिंट रेट से अधिक में हो रही बिक्री, फ्लो मीटर मार्केट से आउट जसज ज जसजज जसजज ज ज ज...

कोरोना के इलाज से जुड़ी दवाओं की किल्लत, कैसे हो इलाज
हिन्दुस्तान टीम,आराFri, 30 Apr 2021 10:50 PM
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आरा। हिन्दुस्तान प्रतिनिधि

कोरोना के इलाज से जुड़ी कई महत्वपूर्ण दवाइयों की इस समय किल्लत हो गई है। थोक से लेकर खुदरा दवा विक्रेताओं को मुश्किल से दवाएं मिल रही हैं। कई दवाओं की कीमत थोक में खुदरा विक्रेताओं से बढ़ाकर ली जा रही है। वहीं दवाओं की किल्लत होने पर दूसरे ग्रुप की दवा देकर भरपाई की जा रही हैं। पल्स ऑक्सीमीटर प्रिंट रेट से काफी अधिक दाम पर मिल रहा है। ऑक्सीजन फ्लो मीटर मार्केट से आउट है। भांप लेने वाली मशीन और सर्जिकल गलव्स की कीमतों में इजाफा हुआ है। स्थिति यह है कि अज़ीथरल-500 सभी दवा दुकानों पर उपलब्ध नहीं है। जहां पुराना स्टॉक है, वहां मिल जा रही है, नहीं तो दूसरी कंपनी की दवा दी जा रही है। आरा में दो दुकानदार ही इसके स्टॉकिस्ट हैं। एवरमरटिन-12 एमजी भी दूसरी कंपनी का ही दिया जा रहा है। एक दवा दुकानदार ने बताया कि किसी तरह काम चलाया जा रहा है। मल्टी विटामिन ए टू जेड और जिनकोविट पटना में ही थोक में प्रिंट रेट पर मिल रहा है। इस कारण स्थानीय थोक दुकानदार या तो बेच नहीं रहे हैं और दूसरी स्थिति में महंगा देना पड़ रहा है। यही स्थिति विटामिन-सी की भी हैं। मार्केट में सभी जगह आसानी से उपलब्ध नहीं है। इंजेक्शन मोनोसेफ़ और जोन एक एमजी में पिछले एक सप्ताह से मिलने में परेशानी हो रही है।

तिगुने रेट पर मिल रही भाप मशीन

कोरोना काल में भाप मशीन की मांग बढ़ गई है। डॉक्टर इस समय सभी को भाप लेने की सलाह दे रहे हैं। मांग के बाद स्टीम मशीन आउट ऑफ मार्केट हो गया है। पहले एक मशीन की कीमत दो से ढाई सौ रुपये थी। अब यह तिगुने रेट पर मिल रही है। यही स्थिति पल्स ऑक्सीमीटर की है। सामान्य दिनों में यह छह से आठ सौ रुपये में मिल जाता था। अभी ढाई सौ प्रिंट वाला प्लस ऑक्सीमीटर 22 सौ रुपये में मिल रहा है। महावीर टोले की एक चर्चित सर्जिकल दुकान पर तो इसके लिए पैरवी भी करनी या करवानी पड़ती है। वहीं पांच सौ रुपये में एक डिब्बा मिलने वाला सर्जिकल गलव्स साढ़े छह से सात सौ रुपये में मिल रहा है।

सोशल मीडिया पर चल रही फ्लो मीटर की चर्चा

आरा सदर अस्पताल या मार्केट में ऑक्सीजन फ्लोमीटर नहीं मिलने की चर्चा सोशल मीडिया पर भी चल रही है। स्तानीय संसद सह मंत्री आरके सिंह से अपनी रसूख का इस्तेमाल कर फ्लो मीटर उपलब्ध कराने का अनुरोध किया जा रहा है।

सरकारी अस्पताल में भी दवाओं का संकट

सरकारी अस्पतालों में भी कुछ दवाओं की परेशानी चल रही है। मांग के अनुसार दवा की आपूर्ति नहीं की जा रही है। अज़ीथ्रोमायसिन की पांच लाख टेबलेट की मांग की गई थी। इसके बदले पांच हजार टेबलेट ही भेजा गया है। मांग के अनुपात में आपूर्ति नहीं होने पर प्रखंडों में परेशानी हो रही है। इस समय इस दवा की खपत बढ़ गई है। वहीं विभाग आपूर्ति करने में लेट कर रहा है। वहीं डेकसोना भी सिर्फ आरा सदर अस्पताल और जगदीशपुर अनुमंडलीय में आपूर्ति की जा रही है।

केस एक

फ्लो मीटर नहीं रहने पर पटना ले गये मरीज

बड़हरा से गुरुवार को एक मरीज सांस की तकलीफ होने पर आरा पहुंचता है। दो निजी अस्पताल में ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं होने पर सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर और हॉस्पिटल मैनेजर ने मरीज के परिजनों को बताया कि फ्लो मीटर नहीं है। कोई मरीज डिस्चार्ज होगा तो मिल सकेगा। इधर, मरीज का ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा था। इसके बाद परिजनों ने उन्हें पटना ले जाना ही बेहतर समझा।

केस दो

पटना से रात में आया फ्लो मीटर तो चढ़ा ऑक्सीजन

सहार की एक महिला मरीज श्वांस संबंधी समस्या से पहले से ही परेशान हैं। हाल के दिनों में उन्हें आरा सदर अस्पताल में ऑक्सीजन चढ़ाया गया था। ठीक हो गई थीं। गुरुवार को फिर से उनकी परेशानी शुरू हो गई। लेकिन, आरा में फ्लोमीटर उपलब्ध नहीं हो सका। इसके बाद मरीज के परिजनों ने किसी तरह देर रात पटना से फ्लो मीटर मंगाया तो उन्हें ऑक्सीजन चढ़ाया जा सका।

केस 3

गड़हनी में किट में कम दवाएं मिलने पर शिकायत

गड़हनी में कोरोना पॉजिटिव आने के बाद मरीज को पीएचसी की ओर से जो किट दिया गया है, उसमें राज्य सरकार की गाइड लाइन के अनुरूप सभी प्रकार की दवाएं उपलब्ध नहीं थीं। इस पर मरीज को बाहर से कुछ दवाएं खरीदनी पड़ी। उसे बताया गया कि ये दवाएं अस्पताल में नहीं हैं। इस पर मरीज ने स्थानीय विधायक व राज्य सरकार के शिकायत पोर्टल पर शिकायत की है।

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कोविड निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन खत्म होते ही बढ़ रही परेशानी

जिला प्रशासन की ओर से आरा शहर के चिह्नित निजी कोविड अस्पतालों में भी ऑक्सीजन की किल्लत से मरीजों की परेशानी बढ़ जा रही है। शुक्रवार को केजी रोड स्थित निजी हॉस्पिटल में भर्ती एक मरीज का ऑक्सीजन खत्म होने वाला था और अस्पताल में अतिरिक्त ऑक्सीजन की उपलब्धता नहीं थी। लिहाजा मरीज के परिजन ऑक्सीजन कहां मिलेगा, इस जुगाड़ में जुट गये। इसी तरह चंदवा के पास स्थित हॉस्पिटल में गुरुवार को एक मरीज पहुंचा। उसका ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा था। वहां बताया गया कि ऑक्सीजन अभी नहीं है। व्यवस्था में प्रबंधन लगा है। तब तक मरीज की स्थिति देख परिजन उसे आरा सदर अस्पताल में ले जाने को विवश हुए।

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अगिआंव : ऑक्सीजन खत्म, अस्पताल में कम आ रहे मरीज

फोटो : अगिआंव पीएचसी में मरीजों के अभाव में खाली पड़े बेड

संवाद सूत्र

अगिआंव। अगिआंव अस्पताल में जहां एक ओर एक सप्ताह से ऑक्सीजन खत्म है, वहीं दूसरी ओर बढ़ते कोरोना संक्रमण के खौफ को लेकर अस्पताल में पहुंचने वाले दैनिक मरीजों की संख्या में भारी कमी आई है । अस्पताल के ओपीडी की संख्या दहाई में सिमट कर रह जा रही है। शुक्रवार को अगिआंव पीएचसी की कुछ ऐसी ही स्थिति रही। सभी छह बेड खाली पड़े थे और दूरदराज से छोटी-मोटी समस्याओं को लेकर पहुंचने वाले मरीजों की 12 बजे तक कुल संख्या नौ ही थी। कोरोना संक्रमण को ले लोगों में इतना खौफ है कि लोग टीका लेने के लिए अस्पताल पहुंचने से कतरा रहे हैं। एक स्वास्थ्यकर्मी ने बताया कि अब जो भी ग्रामीण इलाज या टीका लेने के लिए आ रहे हैं, उनकी सबसे पहले कोविड की जांच की जा रही है, जिसके कारण लोग अस्पताल आने में कतरा रहे हैं । आंकड़े बताते हैं कि कोरोना संक्रमण के फैलाव से पहले प्रत्येक दिन पहुंचने वाले मरीजों की संख्या 80 से लेकर डेढ़ सौ तक होती थी, लेकिन अब मरीज अस्पताल में बहुत कम संख्या में इलाज के लिए आ रहे हैं। अगिआंव पीएचसी में ऑक्सीजन के बारे में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी प्रेम लाल चौधरी ने 27 अप्रैल को पत्र लिख कर भोजपुर सीएस से ऑक्सीजन की डिमांड की, लेकिन अब तक अगिआंव पीएचसी को ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं कराया गया है।

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निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन नहीं होने से सामान्य मरीज भी परेशान

-ऑक्सीजन व जरूरी दवाओं के अभाव में मरीजों को नहीं लिया जा रहा भर्ती

-निजी में भर्ती होने वाले मरीजों की ऑक्सीजन खत्म होने पर बढ़ रही परेशानी

उदवंतनगर। एक संवाददाता

कोरोना संक्रमण व वायरल फीवर के बढ़ते प्रकोप से लोग परेशान हैं। गर्मी के मौसम में ज्यादातर लोग वायरल फीवर व मियादी बुखार से पीड़ित हैं। ऐसे में लोग गांव के डॉक्टरों से इलाज करा ठीक भी हो रहे हैं, लेकिन अस्पताल जाने की नौबत आने पर लोगों को आरा शहर के निजी अस्पतालों में भर्ती नहीं लिया जा रहा है। वैसे तो आरा शहर के कई निजी क्लीनिक बंद हैं। कुछ खुले भी हैं तो जरूरी स्वास्थ्य उपकरण के अभाव में मरीजों को भर्ती नहीं ले रहे हैं। आरा शहर से सटे जीरो माइल के पास स्थित कौशल्या समय हॉस्पिटल के मैनेजर बब्लू सिंह से बात करने पर बताया कि अस्पताल तो खुला है, लेकिन बीते सात दिनों से ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। साथ ही जरूरी दवायें भी होलसेल दुकानदारों से नहीं मिल पा रही हैं। ऐसे में गंभीर मरीजों को भर्ती लेना उचित नहीं है। वैसे अस्पताल खुला है, लेकिन मरीजों को भर्ती नहीं लिया जा रहा है। बता दें कि इस इमरजेंसी अस्पताल से गंभीर मरीजों को राहत मिलती रही है, लेकिन कुछ दिनों से मरीज बैरंग लौट रहे हैं। बताया कि दवा के कुछ होलसेल दुकानदार दवाओं की किमत बढ़ा कर बेच रहे हैं या सीधे उपलब्ध नहीं होने की बात कह पल्ला झाड़ दे रहे हैं। खासकर बुखार के डोलो पारासिटामोल सहित मोनोसेफ जोन इंजेक्शन भी हर जगह नहीं मिल पा रहा है। इन सभी कारणों से अस्पताल कम ही खुल रहे हैं।

गांव के डॉक्टर भी अब देने लगे जवाब

जरूरी दवायें नहीं मिलने से गांव के डॉक्टर भी अब जवाब देने लगे हैं। ग्रामीण डॉक्टरों की मानें तो बुखार के मरीजों को ठीक करने में पारासिटामोल व मोनोसेफ इंजेक्शन कारगर है। लेकिन, होलसेल दुकानदारों के पास ये दवायें नहीं मिल पा रही हैं तो कुछ जगह इन जरूरी दवाओं के दाम प्रिंट से भी बढ़ाकर दिये जा रहे हैं। ऐसे में मरीज को ठीक करने में परेशानी हो रही है।

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