अफसरों ने की कई पीडीएस दुकानों की जांच
-मुफ्त अनाज के वितरण के समाप्ति पर स्टॉक खत्म नहीं जसज जसज जजसज जसज जजसज जसज जजसज जसज...
कोईलवर। एक संवाददाता
कोरोना महामारी के मद्देनजर कार्डधारकों को राज्य व केंद्र सरकार की ओर से सौंपी गई अतिरिक्त अनाज की खेप अंतिम दिन तक नहीं बंट पाई है। कई जनवितरण दुकानों पर अनाज नही बंट पाने से स्टॉक खत्म नहीं होने की बात बताई गई। बता दें कि मई माह में राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार की ओर से जारी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में दुगुना अनाज मुफ्त में लाभुकों को दिए जाने का प्रावधान है। प्रति माह लाभुकों को पांच किलो मिलने वाले अनाज की जगह इस बार मुफ्त में दस किलो अनाज की आपूर्ति किए जाने की बात बताई गई है। इस बाबत बीडीओ बीरबहादुर पाठक व सीओ अनुज कुमार ने बताया कि आपूर्ति पदाधिकारी रजनीकांत ओझा के साथ अलग-अलग पंचायतों में जांच की गई है। पदाधिकारियों ने बताया कि उनके द्वारा अलग-अलग दुकानों की जांच कर ही क्लीन चिट दी गई है। इसमें सही वितरण,मूल्य निर्धारण, उचित वजन के साथ-साथ सही आवंटन पर बनाई प्रश्नावली की जांच पर ही मुहर लगाई गई है। आश्चर्य की बात यह है कि इस बार कई जनवितरण दुकानदारों ने गोदाम से निकले एक भी बोरे में उचित वजन नही दिए जाने की शिकायत की है। हर बोरे में दो से तीन किलो कम अनाज की आपूर्ति की बात कही जा रही है। आलम यह है कि गोदाम में पलदारी के लिए दस रुपये प्रति क्विंटल दुकानदारों द्वारा दिये जाते रहे हैं। इस माह मुफ्त बांटे जाने वाले अनाज के वितरण में विभागीय अधिकारियों के नाम पर प्रति क्विंटल 35 रुपए की मांग किए जाने की बात खासी चर्चा में है। बहरहाल, हर बोरे में कम अनाज व एक निश्चित रकम खर्च किए जाने के बावजूद पॉश मशीन से लाभुकों के बीच उचित वितरण कर शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लेना किसी आश्चर्य से कम नहीं लगता।