पिछले साल पिता को खोया और अब सदमे से मां भी चल बसी, बच्चे बेसहारा
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बिहिया। निज संवाददाता
पिछले साल पिता को खोया। उसी समय से सदमे में रह रही मां भी आखिरकार एक माह पहले चल बसी। इसके बाद दस साल के मासूम भाई व दसवीं पास बहन बेसहारा हो गये हैं। फिलवक्त तो इनकी देखभाल बड़े पापा कर रहे हैं, लेकिन दोनों की आगे की लंबी जिंदगी पड़ी है। यह आगे कैसे बढ़ेगी और बेटी की शादी कैसे होगी, यह चिंता मासूम भाई-बहनों के अलावा देखभाल करने वाले बड़े पापा को भी सता रही है। यह दर्दभरी कहानी भोजपुर जिले के बिहिया प्रखंड के तीयर गांव की है।
बताया जा रहा है कि तीयर गांव निवासी जयराम गिरी की पिछले साल पहले दशहरा में नवमी के दिन हार्ट अटैक से मौत हो गई। सदमे में पत्नी की तबीयत भी खराब चलने लगी। एक माह पहले उनकी भी मौत हो गई। इसके बाद इनके दोनों बच्चे दीपक व नीजू फिलहाल बड़े पापा जगदीश गोस्वामी के पास रह रहे हैं। पैसे के अभाव में दोनों की पढ़ाई ठप है। घर की स्थिति दयनीय है। घर मिट्टी का है। किसी तरह गुजर-बसर कर रहे हैं। दीपक के पिता कई वर्षों से अपने भाई से अलग रहते थे। लेकिन, दीपक के समक्ष चौथी बहन की शादी करने का संकट आ गया है।
आर्थिक अभाव में माता-पिता का समुचित इलाज नहीं हो सका
दीपक जयराम गिरी का इकलौता पुत्र है, जबकि उसकी चार बहन हैं। तीन बहनों की शादी हो चुका है। पिता की मौत के समय नौ साल का ही था। मां किसी तरह उसका पालन-पोषण कर रही थी। इसी बीच मां मीना कुंवर की भी तबीयत खराब रहने लगी। गरीबी और पैसे की कमी के कारण समुचित इलाज नहीं हो पाया। कोरोना काल में आखिरकार मां भी बीते 12 मई को आखिरकार जिंदगी की जंग हार गई। इससे दोनों बच्चे अनाथ हो गये।
दस साल का दीपक बहन की शादी कैसे कर सकेगा
सबसे बड़ा संकट यह है कि दस साल का दीपक आखिरकार अपनी 18 साल की हो चुकी बहन की शादी कैसे कर सकेगा? पैसे के अभाव में दोनों की पढ़ाई भी बाधित है। भाई दीपक कुमार ने कक्षा पांच और बहन नीजू कुमारी ने दसवीं तक पढ़कर पढ़ाई छोड़ दी है। अगर पढ़ने की सुविधा मिलती तो दोनों पढ़ते-लिखते।
दोनों की फिलहाल देखभाल कर रहे बड़े पापा
मानवता को लेकर भाई से अलग होने के बाद भी बेसहारा भतीजा व भतीजी की देखरेख फिलहाल बड़े पापा कर रहे हैं। ऐसे में भतीजी की शादी की बड़ी समस्या है। आखिर कैसे होगी नीजू की शादी। बड़े पापा जगदीश गोस्वामी बताते हैं कि वे दोनों की देखरेख तो कर रहे हैं पर मदद मिल जाती तो अनाथ बच्चों को बहुत सहारा हो जाता। भतीजी की शादी में भी सहूलियत हो जाती।