गर्व : राजेंद्र ओखली @ का आविष्कार, पेटेंट के लिए तैयार
हाल में पोषणयुक्त अनाजों की बढ़ती मांग के बीच बिजली चालित राजेंद्र ओखली @ भोजपुर का आविष्कार है। यह बिहार ही नहीं पूरे देश में धूम मचाने को तैयार है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि पूसा के...
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हाल में पोषणयुक्त अनाजों की बढ़ती मांग के बीच बिजली चालित राजेंद्र ओखली @ भोजपुर का आविष्कार है। यह बिहार ही नहीं पूरे देश में धूम मचाने को तैयार है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि पूसा के निर्देशन में भोजपुर के बिहिया के राजा बाजार स्थित विनोद इंजीनिर्यंरग ने इसे तैयार किया है। वीडियो के माध्यम से इसकी प्रगति से रूबरू होने के बाद कृषि विवि पूसा की टीम बिहिया आकर अवलोकन कर चुकी है। इस दौरान सामान्य के साथ नौ परत वाले सवां धान से चावल निकालने का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।
टीम में शामिल विवि के सहायक प्राध्यापक प्रो सुभाष चंद्र व सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑन फूड प्रोर्सेंसग की निदेशिका डॉ उषा सिंह ने इसे हरी झंडी दे दी। इसके बाद यह विवि में अंतिम परीक्षण के लिए भेज दी गई है। वहां कुटाई के बाद ओखली से निकलने वाले अनाजों में पोषण संबंधी डेटा को सूचीबद्ध किया जा रहा है। साथ ही मशीन में प्रयुक्त तकनीकी को पेटेंट कराने के लिए कृषि विवि की ओर से जरूरी कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
राजेंद्र ओखली की विशेषताएं व लाभ
परंपरागत ओखली व ढेंकी की तुलना में कार्यक्षमता पांच-छह गुणा अधिक, श्रम व समय की बचत, पौष्टिक व स्वादिष्ट खाद पदार्थों के उत्पादन के लिए उपयुक्त, सवां व अन्य विलुप्त हो रहे अनाजों के प्रसंस्करण एवं मूल्य संवद्र्धन के लिए उपयोगी, महिलाओं के घरेलू उपयोग के लिए भी उपयुक्त, मशीन में सिंगल फेज का मोटर लगे रहने से घर में प्रयुक्त पावर प्लग से जोड़ सहजता से संचालन, बिजली चालित होने से अन्य कार्य करते हुए भी इसका उपयोग, तैयार उत्पाद से भूसी निकाल सफाई करना है व टूटे दानों को अलग करने की सुविधाओं से लैस।
पूसा कृषि विवि व विनोद इंजीनियरिंग के बीच एएमयू पर हस्ताक्षर
ओखली निर्माण के लिए पूसा कृषि विवि और विनोद इंजीनिर्यंरग के बीच एएमयू पर पहले ही हस्ताक्षर हो चुका है। इसके तहत इसका व्यावसायिक उत्पादन व विपणन का अधिकार विनोद इंजीनियरिंग को प्राप्त हुआ है। इसका मूल्य 65 हजार रुपये (भाड़ा अतिरिक्त) निर्धारित किया गया है। डॉ सुभाष चंद्र ने डिजाइन तैयार किया और विनोद इंजीनियरिंग ने इसका निर्माण कर दिया। प्रो चंद्र ने इसे अद्भुत बताते हुए कहा कि इसका लाभ छोटे किसानों समेत जीविका दीदी व पैकेटिंग कर पोषणयुक्त अनाजों की मार्र्केंटग करने वाले युवाओं को मिल सकेगा। इसमें टूटन कम हो रही और अनाज का पोषण भी बरकरार है। यह मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद उपयोगी है।
यह बिजली चालित ओखली घरों से विलुप्त हो चुकी पत्थर की ओखली-मूसल व ढेंकी का आधुनिकतम रूप है। पहले अधिक मानव श्रम लगने के बाद भी खाने योग्य अनाज तैयार करने में काफी समय लगता था। यह ओखली मोटर के सहारे चल रही है। मुझे खुशी है कि मैं कृषि विवि की उम्मीदों पर खरा उतरने में सफल रहा।
-विनोद शर्मा, बिहया (भोजपुर)
