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बड़हरा में 52 वर्षों से हिंदू- मुस्लिम साथ मिलकर मनाते हैं छठ

कांच ही बांस के बहंगिया..... बहंगी लचकत जाये.....। यह गीत बड़हरा में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग महापर्व छठ पूजा में गाते हैं। प्रखंड के रामसागर गांव सामाजिक सद्भाव का एक मिसाल...

बड़हरा में 52 वर्षों से हिंदू- मुस्लिम साथ मिलकर मनाते हैं  छठ
हिन्दुस्तान टीम,आराMon, 12 Nov 2018 11:04 AM
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कांच ही बांस के बहंगिया..... बहंगी लचकत जाये.....। यह गीत बड़हरा में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग महापर्व छठ पूजा में गाते हैं। प्रखंड के रामसागर गांव सामाजिक सद्भाव का एक मिसाल है। आस्था का महापर्व छठ पूजा हिंदू - मुस्लिम वर्ष 1967 से मिलकर मनाते हैं। दोनों समुदाय के लोग करीब 52 वर्षों से छठ पूजा का व्रत करते हैं। बताया जाता है कि हिंदू- मुस्लिम समुदाय के लोग आपसी भाई चारे के साथ वर्ष 1967 में गांव में सूर्य मंदिर का निर्माण कराया था। साथ ही रामसागर, रामशहर, देवरथ, गुलाब छपरा, मनिछपरा, छितनी के बाग, पड़ितपुर, मटुकपुर, बड़हरा, रामपुर, लाला के टोला, सेमरिया, पड़रिया,केशोपुर,करजा और भुसहुला समेत विभिन्न गांव के लोगो द्वारा मंदिर के निर्माण कार्य के दौरान चंदा दिया गया था। इसके बाद भव्य रूप से मंदिर का निर्माण हुआ है। सूर्य मंदिर के निर्माण के बाद से ही अब तक मुस्लिम समुदाय के लोग छठ व्रत करते हैं। दोनों धर्म के लोग मिलजुलकर भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर पूजा- अर्चना करते हैं। छठ पूजा के दौरान सूर्य मंदिर के प्रांगण में तीन दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। दोनों धर्म के युवकों के द्वारा नाटक समेत विभिन्न कार्यक्रम किया जाता है। आपसी भाईचारे के साथ मिलजुल कर सांस्कृतिक कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए कार्य किया जाता है। साथ ही छठ पूजा के पहले से ही प्रखंड के करजा,भुसहुला,केशोपुर, नेकनामटोल, सेमरिया,पड़रिया, बड़हरा, रामपुर और रामशहर समेत 16 गांव में घूम-घूम कर चंदा इकट्ठा किया जाता है। लोगों की मान्यता है कि भगवान भाष्कर मनोकामना को पूर्ण करते हैं। स्थानीय मुखिया सुमित कुमार सिंह ने बताया कि हिंदू- मुस्लिम समुदाय मिलकर रामसागर में आस्था का महापर्व छठ पूजा को मनाते हैं। दोनों धर्मों के मिलजुलकर छठ व्रत करने से समाज में एक संदेश जाता है।

मनोकामना पूर्ण होने के बाद करने लगे छठ

रामसागर गांव निवासी मोहम्मद अली ने बताया कि भगवान भाष्कर से करीब आधा दर्जन मन्नतें मनोकामना पूर्ण करने की कामना की थी। इसके बाद भगवान भाष्कर ने मनोकामना को पूर्ण कर दिया। इसके बाद से ही आस्था का महापर्व छठ पूजा करते हैं। भगवान भाष्कर की पूजा-अर्चना से बीमारी से लड़ने का क्षमता भी मिला था।

तीन दिवसीय कार्यक्रम में शामिल होते हैं मुस्लिम समुदाय के लोग

सूर्य मंदिर के प्रांगण में आस्था का महापर्व छठ पूजा को लेकर तीन दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में दोनों धर्म के लोगों की अहम भूमिका होती है। कार्यक्रम को सफल बनाने में मुस्लिम समाज के मंजूर, शमीम, जहांगीर, खालिक, मजीद, अलीराज मियां और आमिरुल हक समेत कई लोग शामिल है।

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