बोले आरा : आंबेडकर छात्रावास के बच्चों को समय पर नहीं मिलता अनुदान
आंबेडकर छात्रावास में रह रहे अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्रों को पिछले तीन महीनों से अनुदान नहीं मिला है, जिससे उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। छात्रावास में 200 से अधिक...
आंबेडकर छात्रावास मुख्य रूप से अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के गांव से आने वाले बच्चों को पढ़ाई के साथ रहने के लिए बनाया गया है। यहां सरकार की तरफ से बच्चों को हरेक तरह की सुविधा मुहैया कराई जाती है। लेकिन, आरा के कतिरा मोड़ स्थित वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय से सटे आंबेडकर छात्रावास में रहने वाले विद्यार्थियों को बीते तीन माह से अनुदान नहीं मिला है। इससे उन्हें आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। यह छात्रावास अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के दो सौ से अधिक छात्रों के लिए आश्रय स्थल है, जहां इंटर, स्नातक और स्नातकोत्तर के विद्यार्थी रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं। विद्यार्थियों का कहना है कि सरकार से मिलने वाला अनुदान समय पर नहीं मिलने से उनके दैनिक खर्चे प्रभावित हो रहे हैं और काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। अन्य बुनियादी सुविधाओं की भी दरकार है, ताकि वे यहां आराम से रह अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें।
आरा शहर के आंबेडकर छात्रावास के दो सौ से अधिक विद्यार्थियों को हर माह सरकार एक हजार रुपये बतोर अनुदान देती है। यह राशि छात्रों के भोजन, अध्ययन सामग्री और अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए उपयोग में लाई जाती है। कुछ माह पहले तक यह अनुदान नियमित रूप से दिया जाता था। लेकिन, अब इसमें देरी हो रही है। छात्रों का कहना है कि यह अनुदान उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। कारण कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं है कि वे पढ़ाई के साथ अन्य खर्चों को वहन कर सकें। इस छात्रावास में रहकर अधिकतर छात्र इंटर और ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें से कई विद्यार्थी एसएससी, बीएसएससी, बीपीएससी सहित अन्य परीक्षाओं की भी तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में आर्थिक तंगी उनके अध्ययन पर असर डाल रही है। छात्रावास में रहने वाले विद्यार्थियों का कहना है कि सरकार को जल्द से जल्द अनुदान जारी करना चाहिए, ताकि उनकी पढ़ाई बाधित नहीं हो। छात्रावास में रहने वाले अधिकतर छात्र आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से आते हैं। ठंड के मौसम में इन्हें ऊनी वस्त्र और कंबल की जरूरत होती है। लेकिन, इसके लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं है। छात्रों का कहना है कि यदि सरकार ऊनी वस्त्र और कंबल उपलब्ध कराये तो वे ठंड के मौसम में बिना किसी परेशानी के पढ़ाई कर सकते हैं। छात्रावास में खेल सामग्री की भी कमी है। छात्रों का कहना है कि शारीरिक विकास के लिए खेल अत्यंत आवश्यक है। लेकिन, यहां आवश्यक खेल उपकरण उपलब्ध नहीं हैं। यहां जिम और मनोरंजन की भी व्यवस्था होनी चाहिए। शरीर के विकास के साथ साथ मन भी सही रहना चाहिए। आंबेडकर के प्रधान संजीत कुमार बताते हैं कि पीने वाले पानी की काफी समस्या है। लाइब्रेरी में पुस्तक की भी बहुत बड़ी समस्या है। सुरक्षाकर्मी और सफाईकर्मी का समय पर पैसा नहीं दिया जा रहा है। विद्यार्थियों का आरोप है कि सरकार की ओर से इनका वेतन अधिक है, जो कि एजेंसियों की ओर से काटकर दिया जा रहा है। इस कारण सुरक्षाकर्मी और सफाईकर्मी अपना काम ढंग और समय से नहीं करते हैं। छात्रावास को लेकर जिला कल्याण अधिकारी और हॉस्टल अधीक्षक कोई भी निर्णय करते हैं तो उसमें छात्रावास प्रधान की कोई सहमति नहीं ली जाती है। यहां के स्थायी ठेकेदारों की ओर से कोई भी काम मनमाने ढंग से कराया जाता है। यहां 50 लड़कों पर एक रसोइया है, जिससे खाना बनाना बहुत मुश्किल है। विद्यार्थियों ने बताया कि हमारी जिला कल्याण अधिकारी से मांग है कि 25 लड़कों पर एक रसोइया को नियुक्त किया जाए। आंबेडकर छात्रावास के प्रधान विकास कुमार बताते हैं कि समय से छात्रों को राशन नहीं मिल रहा है न ही समय से एक हजार रुपये अनुदान राशि मिल पा रही है। इससे विद्यार्थियों की पढ़ाई पर इसका प्रतिकूल असर पड़ रहा है। छात्रावास में नामांकन मेरिट सूची के अनुसार होता है। सरकार से मांग है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के जितने बच्चों का विश्विद्यालय में नामांकन होता है, उन सभी बच्चों को छात्रावास का आवंटन हो। मेरिट आधार पर आवंटन से बहुत से गरीब बच्चे छात्रावास में नहीं रह पाते हैं, जिसकी वह क्लास नहीं करते और उनकी पढ़ाई बाधित हो जाती है। खाली जमीन पर बिहार सरकार को एक और आंबेडकर छात्रावास बनाना चाहिए। एजेंसी प्रथा खत्म होनी चाहिए ताकि सबका वेतन समय पर और सही से मिल सके।
यहां के दो छात्र बन चुके हैं विधायक
इस छात्रावास की सामाजिक व राजनीतिक पृष्ठभूमि भी महत्वपूर्ण है। पूर्व विधायक मनोज मंजिल और अगिआंव के वर्तमान विधायक शिवप्रकाश रंजन इसी छात्रावास में रहकर अपनी पढ़ाई पूरी की थी। आज वे समाज में ऊंचे पद पर हैं। लेकिन, वर्तमान में रह रहे छात्रों की स्थिति दयनीय होती जा रही है। छात्रों का कहना है कि यदि सरकार इस छात्रावास की स्थिति को सुधारने पर ध्यान दे, तो यहां से निकलने वाले विद्यार्थी भी अपना सफल भविष्य बना सकते हैं। छात्रावास में स्मार्ट क्लास तो है, लेकिन एक साथ सभी बच्चे क्लास नहीं कर सकते हैं। छात्रावास में लाइब्रेरी भी उपलब्ध है, लेकिन उसमें एसी नहीं है। छात्रों का कहना है कि गर्मी के मौसम में अत्यधिक गर्मी के कारण अध्ययन में दिक्कत होती है। पसीना से पूरी किताब खराब हो जाती है। उनका कहना है कि यदि सरकार लाइब्रेरी में एसी की व्यवस्था कर दे तो पढ़ाई का माहौल बेहतर हो सकता है।
मेस में रसोइया और छात्रावास एजेंसी के हवाले होने से दिक्कतें
छात्रावास के मेस में आवश्यक सुविधाओं की कमी के कारण भोजन प्रबंधन में गंभीर दिक्कतें आ रही हैं। सरकार के कल्याण विभाग की ओर से 50 लड़कों पर एक रसोइया की नियुक्ति की गई है, जिन्हें खाना बनाने के साथ खुद बर्तन भी धोना है। इससे छात्रों को न समय से खाना मिलता है और न सही से पढ़ ही पाते हैं। 50 छात्रों के भोजन की तैयारी के लिए यह संख्या सही नहीं है। भोजन की मात्रा और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए 25 छात्रों पर एक रसोइया होना चाहिए। छात्रावास एजेंसी के हवाले होने से कोई भी चीज खराब होती है, तो समय से नहीं बनती है। बनने के बाद उसका ज्यादा बिल बना कर भी दिया जाता है। इस पर रोक लगनी चाहिए।
शिकायतें
1. छात्रावास में अनुदान राशि मिलने में देरी से परेशानी हो रही है। समय पर मिले, इसकी व्यवस्था होनी चाहिए।
2. सरकार की ओर से छात्रावास में रसोइया की व्यवस्था की गई है, लेकिन राशन उन्हें खरीद कर देना पड़ता है।
3. एक रसोइया से काम नहीं चल पाता। इससे उन्हें खाना पकाने और राशन एवं सब्जियों की खरीद में मदद करनी पड़ती है।
4. समय पर सुरक्षाकर्मी और सफाईकर्मी को वेतन नहीं मिलता है, जिससे कि वो मन से काम नहीं करते हैं।
5. ऑनलाइन क्लास के लिए 100 छात्रों पर एक कंप्यूटर और एक प्रोजेक्टर है। एक ही समय में दो क्लास हों तो विवाद हो जाता है।
सुझाव
1. समय पर अनुदान जारी किया जाए, ताकि छात्रों की आर्थिक समस्या हल हो सके।
2. लाइब्रेरी में एसी और पर्याप्त किताबों की व्यवस्था की जाए, ताकि पढ़ाई का वातावरण सुधरे।
3. खेल सामग्री और खेल ग्राउंड उपलब्ध कराया जाए, ताकि छात्रों का मानसिक और शारीरिक विकास हो सके।
4. 25 छात्रों पर एक रसोइया होना चाहिए ताकि समय पर भोजन मिल सके।
5. छात्रावास में 50 विद्यार्थियों पर एक कंप्यूटर है। यह पर्याप्त नहीं है। इसकी संख्या बढ़ाई जानी चाहिए।
बयां किया दर्द
मैं बीएसएससी की तैयारी कर रहा हूं, लेकिन लाइब्रेरी में एसी नहीं होने से गर्मी के दिनों में पढ़ाई कर पाना बहुत कठिन हो जाता है। पसीने से किताबें गीली हो जाती हैं और ध्यान भी भटकता है। अगर लाइब्रेरी में एसी लग जाए तो हमें बहुत फायदा होगा। हम प्रशासन से अनुरोध कर चुके हैं, लेकिन समाधान नहीं हुआ।
-रंजीत कुमार
छात्रावास में इंटरनेट की सुविधा है, लेकिन कंप्यूटर एक ही होने से परेशानी होती है। इससे अधिकतर बच्चों को मोबाइल पर ऑनलाइन क्लास करनी पड़ती है। मोबाइल से हम मॉक टेस्ट अच्छे से नहीं दे पाते। सरकार को छात्रावास में कंप्यूटर की संख्या बढ़ानी चाहिए। एक प्रोजेक्टर भी है, तो उसका समय निर्धारित है।
-बिट्टू कुमार
शहर में एससी-एसटी के लिए आंबेडकर छात्रावास तीन में सिर्फ 100 छात्रों के रहने की सुविधा है। जबकि यहां अगल-बगल बहुत सी बेकार जमीन पड़ी है। इंटर के बाद ही प्रवेश मिलता है। सरकार को दो और छात्रावास की संख्या बढ़ानी चाहिए, क्योंकि कई विद्यार्थी प्रवेश से वंचित रह जाते हैं।
-प्रदीप कुमार
तीन महीने से अनुदान नहीं मिलने से बहुत दिक्कत हो रही है। किताबें खरीदने और अन्य जरूरतों के लिए पैसे नहीं हैं। कई बार घर से मांगना पड़ता है, लेकिन वहां भी स्थिति अच्छी नहीं है। सरकार को इसे जल्द जारी करना चाहिए। बिना पैसे के रहना और पढ़ाई करना मुश्किल हो रहा है।
-आकाश कुमार
छात्रावास में खेल सामग्री की कमी है। जरूरत की तुलना में भी नहीं है। इससे शारीरिक विकास प्रभावित हो रहा है। मानसिक थकान दूर करने के लिए खेलना जरूरी है। लेकिन यहां क्रिकेट, बैडमिंटन या फुटबॉल जैसी चीजें ही हैं। सरकार को और इनडोर व आउट डोर खेल सामग्री उपलब्ध करानी चाहिए।
- नीतीश कुमार
ठंड के दिनों में ऊनी वस्त्रों और कंबल की कमी से बहुत परेशानी होती है। कल्याण विभाग से जो कंबल मिलते हैं, वह ओढ़ने लायक नहीं मिलते हैं। रात में ठंड से बचने के लिए हम दो-दो चादर ओढ़ते हैं, फिर भी ठंड लगती है। अगर सरकार हमें उच्च क्वालिटी का ऊनी वस्त्र और कंबल उपलब्ध करवा दे तो हमें राहत मिलेगी।
-विश्वकर्मा कुमार
छात्रावास में बिजली है। ठंडी में कोई दिक्कत नहीं, लेकिन गर्मी में कट जाती है। गर्मी में बिना पंखे और लाइट के पढ़ाई करना बहुत मुश्किल हो जाता है। अगर छात्रावास में इन्वर्टर या जनरेटर की व्यवस्था हो, तो समस्या हल हो सकती है। मच्छर भी बहुत लगते हैं। फॉगिंग करानी चाहिए।
- कृष्णा कुमार
छात्रावास का खाना कभी- कभी अच्छा नहीं लगता। सरकार की तरफ से खाने का सामान उपलब्ध होना चाहिए। कभी-कभी खाना छोड़ बाहर से कुछ लाना पड़ता है। मगर सभी के पास पैसे नहीं होते कि वे रोज बाहर से कुछ खरीद सकें। अगर मेस की गुणवत्ता में सुधार हो जाए, तो हमें बेहतर भोजन मिल सकता है।
- विवेक कुमार
पूर्व विधायक मनोज मंजिल और अगिआंव के वर्तमान विधायक शिवप्रकाश रंजन इसी छात्रावास में रह कर पढ़े हैं। इनकी उपलब्धि से गर्व महसूस होता है। हम भी मेहनत कर रहे हैं। सही मार्गदर्शन मिले तो कुछ अच्छा करेंगे। दोनों व्यक्तित्व को हमारे लिए थोड़ा समय निकलना चाहिए।
-अभिषेक कुमार
यहां रहने वाले छात्रों का ज्यादातर समय पढ़ाई में बीतता है, लेकिन मानसिक तनाव कम करने के लिए खेलना भी जरूरी है। छात्रावास में कोई खेल मैदान या जिम की सुविधा नहीं है। अगर जिम या कुछ खेल उपकरण मिल जाएं तो फायदेमंद होगा। इसकी व्यवस्था करानी चाहिए।
-विकास कुमार
पहले छात्रावास में अनुदान समय पर आता था। तब बड़ी राहत थी। पिछले कुछ महीने से पता नहीं, क्यों देरी हो रही है। राशन के लिए पैसे खुद ही देने पड़ते हैं। दैनिक खर्चे भी प्रभावित हो रहे हैं। घर के हालात ठीक होते, तो यहां रह कर क्यों पढ़ते?
-लालजीत कुमार
छात्रावास में कंप्यूटर लैब नहीं है। अगर सरकार एक कंप्यूटर लैब की व्यवस्था कर दे, तो हमें कोडिंग और अन्य टेक्निकल चीजें सीखने में बहुत मदद मिलेगी। कई प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में भी कंप्यूटर जरूरी होता है। समाज कल्याण विभाग को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।
- नीतीश कुमार
मेस में एक ही रसोइया होने से हमें भी उनका हाथ बंटाना पड़ता है। कभी राशन तो कभी बाजार से सब्जी खरीद कर लानी पड़ती है। जिस दिन बाजार नहीं जाते, उस दिन सब्जी काटनी पड़ती है। रोटियां सेंकनी पड़ती हैं। नहीं करेंगे तो समय पर खाना नहीं मिल जाएगा। व्यवस्था में सुधार होना चाहिए।
-संजीत कुमार
लाइब्रेरी में किताबों की संख्या बहुत कम है। कई बार एक ही किताब के लिए चार-पांच छात्रों को इंतजार करना पड़ता है। प्रशासन को चाहिए कि यहां ज्यादा किताबें उपलब्ध कराए। इससे हमारी तैयारी में सुधार होगा। किताबों की खरीदारी के लिए फंड जारी करना चाहिए।
- पीयूष कुमार
हमारे छात्रावास में मेडिकल सुविधा बस नाम की है। सरकार को यहां एक डॉक्टर की तैनाती करनी चाहिए। मुफ्त इलाज के लिए अस्पतालों में सुविधा मिलनी चाहिए। छात्रावास में रहने वालों के लिए मेडिकल बीमा की सुविधा मिले। विभाग को यहां मेडिकल कैंप लगाने की व्यवस्था करनी चाहिए।
- संजीव कुमार
लाइब्रेरी में किताबें हैं। अखबार और मैग्जीन भी आते हैं। कमी है तो बस मेंटर की। कोई यह बताने वाला नहीं है कि क्या पढ़ें और क्या नहीं पढ़ें। सही मार्गदर्शन नहीं मिलने से भविष्य को लेकर मन में डर बना रहता है। विभाग की ओर से कॅरियर गाइड बहाल करना चाहिए।
- सुजीत कुमार
हमारे छात्रावास में सिर्फ एक रसोइया है, जो 50 छात्रों के लिए अकेले खाना बनाता है। इससे कई बार खाने में देरी हो जाती है और हमें बिना खाए ही क्लास जाना पड़ता है। सरकार को दो और रसोइया नियुक्त करना चाहिए, ताकि समय पर भोजन मिल सके।
-हीरोज कुमार
छात्रावास में नियमित रूप से अधिकारियों का निरीक्षण नहीं होता। अगर प्रशासन समय-समय पर यहां का दौरा करे और समस्याओं को सुने, तो कई दिक्कतें खुद ही हल हो जाएंगी। हमें अपनी शिकायतें लेकर बार-बार दफ्तरों के चक्कर लगाने पडते हैं। नोडल अधिकारी की तैनाती होनी चाहिए।
- संजीत कुमार
छात्रावास में गर्मी के दिनों में पानी और बिजली की समस्या हो जाती है। बिजली कटने से ठंडा पानी नहीं मिल पाता है। जेनरेटर और कूलर की सुविधा मिलनी चाहिए। सरकार व विभाग की ओर से जेनरेटर, इन्वर्टर व वाटर कूलर की सुविधा मुहैया करानी चाहिए। तब कुछ राहत मिल सकेगी।
-विकास कुमार
छात्रावास में रहने वाले छात्रों को कंप्यूटर लैब और इंग्लिश स्पोकेन की सुविधा मिलनी चाहिए ताकि वह अपना स्किल डेवलप कर सके। बिना कौशल विकास के अभी कोई भी रोजगार का साधन उपलब्ध नहीं हो रहा है। छात्रों के बेहतर भविष्य के लिए कौशल विकास पर जोर दिया जाना चाहिए।
-आशुतोष कुमार
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