बिहार में साइबर अपराधियों का बचना अब नहीं आसान, यूं मिलेगा सटीक लोकेशन; क्या है प्लान
वर्तमान में साइबर अपराधी अपना ठिकाना बदलते रहते हैं या उच्च तकनीक की मदद से अपने मोबाइल लोकेशन या कंप्यूटर के आईपी एड्रेस को लगातार बदलते रहते हैं। फ्रॉर्ड करने के लिए इंटरनेट कॉल की भी मदद ली जाती है।
बिहार के सभी 44 साइबर थानों को एक कोर नेटवर्क से जोड़ने की तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए एक पोर्टल बनाने की योजना है। यह एक आधुनिक किस्म का नेटवर्किंग सिस्टम होगा। इससे सभी थाने आपस में जुड़ने के साथ ही सीधे ईओयू (आर्थिक अपराध इकाई) के साइबर कोर सेंटर से जुड़ जाएंगे। इसकी मदद से साइबर अपराधियों तथा पूरे राज्य में होने वाले साइबर अपराधों पर नजर रखी जा सकेगी। सभी साइबर थानों का आपस में समन्वय बेहतर होने से अपराधियों की पूरी कुंडली (डोजियर) का आदान-प्रदान सरल तरीके से हो सकेगा।
इससे साइबर अपराध में शामिल अपराधियों की गिरफ्तारी में भी काफी मदद मिलेगी। सी-डैक संस्थान की पटना इकाई के साथ एक विशेष समझौते के तहत इस विशेष कोर नेटवर्क सिस्टम को विकसित कर सभी थानों को जोड़ने की प्रक्रिया को अमलीजामा पहनाया जा रहा है।
छद्म दुनिया के अपराधियों को पकड़ने में इस तरह का विशेष नेटवर्किंग सिस्टम काफी कारगर साबित होगा। इसके तैयार होने के बाद पहले कुछ समय के लिए ट्रायल मोड पर चलाया जाएगा। इसके बाद इसके चालू वित्तीय वर्ष के अंत तक पूरी तरह से काम शुरू कर देने की संभावना है।
वर्तमान में साइबर अपराधी अपना ठिकाना बदलते रहते हैं या उच्च तकनीक की मदद से अपने मोबाइल लोकेशन या कंप्यूटर के आईपी एड्रेस को लगातार बदलते रहते हैं। फ्रॉर्ड करने के लिए इंटरनेट कॉल की भी मदद ली जाती है। इससे सामान्य तौर पर इस तरह के मोबाइल नंबर या आईपी एड्रेस को ट्रैक करना संभव नहीं होता है। इसके लिए उच्च तकनीक की आवश्यकता होती है।
इस पोर्टल की मदद से इस तरह के नंबर का सटीक लोकेशन पकड़ना आसान होगा। सभी थाने जुड़ने से साइबर अपराधियों की जानकारी का आदान-प्रदान तुरंत हो सकेगा, जिससे इनकी गिरफ्तारी आसान हो जाएगी। कहां-किस थाने में मुकदमे लंबित हैं और इसका कारण क्या है, इसकी सही जानकारी मिलेगी।
सीसीटीएनएस की तर्ज पर होगा यह सब
मानवजीत सिंह ढिल्लों (डीआईजी, ईओयू), ने बताया कि सभी साइबर थानों को पहली बार एक साथ जोड़ा जा रहा है और इसके लिए एक कंट्रोल पोर्टल तैयार किया जा रहा है। इस प्रणाली का नामाकरण भी जल्द होगा। यह मौजूदा समय में सभी थानों को जोड़ने वाले सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्किंग सिस्टम) प्रणाली से एकदम अलग होगा। इस प्रणाली को सिर्फ साइबर थानों के लिए तैयार की जा रही है।
सभी साइबर थानों को जोड़ने की कवायद शुरू की जा रही है। इसकी रूपरेखा जल्द ही तैयार कर ली जाएगी। इससे रीयल टाइम में साइबर अपराधियों की जानकारी साझा हो सकेगी। अपराधियों को पकड़ने और साइबर क्राइम को नियंत्रित करने में यह काफी कारगर साबित होगा।
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