Hindi NewsBihar Newsaese thodi na kar sakte hain, 50 saal baad jaage aur application laga de Delhi High Court to BJP Leader Ashwini Choubey
ऐसा थोड़ी न होता है, आप 50 साल बाद जागे और अर्जी लगा दिए... BJP नेता से क्यों बोले मीलॉर्ड

ऐसा थोड़ी न होता है, आप 50 साल बाद जागे और अर्जी लगा दिए... BJP नेता से क्यों बोले मीलॉर्ड

संक्षेप: भाजपा नेता की याचिका सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस मनोज जैन की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई। तब पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि इस मामले में 5 दशक बाद अदालत का रुख क्यों किया?

Tue, 4 Nov 2025 02:53 PMPramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली
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बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने भूतपूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र की संदेहास्पद मौत मामले की 50 साल बाद फिर से जांच की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया है। दिल्ली हाई कोर्ट में दायर क एक हस्तक्षेप याचिका में उन्होंने अदालत की निगरानी में नए सिरे से जाँच की माँग की है। अपनी अर्जी में चौबे ने दावा किया है कि तत्कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र की हत्या के लिए गलत लोगों को दोषी ठहराया गया है और केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) ने हत्याकांड की पूरी और सही जांच नहीं की है।

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2 जनवरी, 1975 को बिहार के समस्तीपुर में एक रेलवे परियोजना का उद्घाटन करते समय ग्रेनेड विस्फोट में ललित नारायण मिश्र की हत्या कर दी गई थी। उस समय वह कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक थे। इस मामले की तब CBI से जांच कराई गई थी। सीबीआई ने इस हत्याकांड के लिए सामाजिक-आध्यात्मिक संगठन आनंद मार्ग के सदस्यों को जिम्मेदार ठहराया था। इस समूह से जुड़े चार लोगों - संतोषानंद, सुदेवानंद, गोपालजी और रंजन द्विवेदी - को हत्या के लगभग चार दशक बाद 2014 में दिल्ली की एक अदालत ने दोषी ठहराया था।

चौबे ने दायर की है हस्तक्षेप याचिका

अश्विनी चौबे ने अब उन्हीं दोषियों द्वारा दायर अपील अर्जी में हस्तक्षेप याचिका दायर की है। उन्होंने अपनी अर्जी में तर्क दिया है कि मिश्र की हत्या एक बड़े राजनीतिक विवाद का परिणाम थी जिसका उद्देश्य जनप्रिय और एक शक्तिशाली नेता से छुटकारा पाना था, जो अंततः इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार के लिए एक चुनौती बन सकते थे।

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भाजपा नेता की हस्तक्षेप याचिका सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस मनोज जैन की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई। तब पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि इस मामले में पांच दशक बाद अदालत का रुख क्यों किया? पीठ ने चेतावनी दी कि अगर भाजपा नेता अपनी बात साबित करने में विफल रहते हैं, तो उन्हें इसकी असाधारण कीमत चुकानी पड़ेगी।

पीठ ने क्या कहा?

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान अदालत ने टिप्पणी की, "आप ऐसा थोड़ी न कर सकते हैं कि 50 साल बाद कोई अर्जी लगा दे और बोले इसमें दोबारा जाँच होनी चाहिए।" पीठ ने आगे कहा, "अगर हम इसे खारिज करते हैं, तो इसकी कीमत बहुत अधिक होगी।" इसके बाद अदालत ने इस मामले की सुनवाई करने की तारीख 11 नवंबर तय कर दी।

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इंदिरा सरकार को खतरा था, चौबे का दावा

अश्विनी चौबे ने अपनी याचिका में दावा किया है कि ललित नारायण मिश्र, जयप्रकाश नारायण से मिलने के बाद तत्कालीन इंदिरा सरकार के खिलाफ जेपी आंदोलन में शामिल होने वाले थे, जबकि वह खुद उसी सरकार में मंत्री थे। लेकिन उससे पहले ही उनकी हत्या कर दी गई। चौबे ने अपनी याचिका में कहा, "याचिकाकर्ता यानी अश्विनी चौबे को स्पष्ट रूप से याद है कि जेपी आंदोलन के दौरान केंद्र सरकार के लगभग सभी नेताओं ने उस आंदोलन की आलोचना की थी, सिवाय ललित नारायण मिश्र के जो बिहार से ताल्लुक रखते थे और तत्कालीन रेल मंत्री थे।"

भाजपा नेता के क्या तर्क

चौबे ने अक्टूबर 1978 की बिहार सीआईडी ​​रिपोर्ट, फरवरी 1979 की न्यायविद वीएम तारकुंडे की रिपोर्ट और 1978 में द इंडियन एक्सप्रेस अखबार द्वारा की गई जाँच का हवाला देते हुए याचिका में तर्क दिया है कि सीबीआई ने जांच का रुख बदलकर आनंद मार्गी सदस्यों को दोषी ठहराया है। गौरतलब है कि चौबे द्वारा उद्धृत सीआईडी ​​रिपोर्ट में कहा गया है कि सीबीआई ने दिल्ली में सत्ता के करीबी लोगों को बचाने के लिए मिश्र की मौत के लिए आनंद मार्गियों को दोषी ठहराया था।

Pramod Praveen

लेखक के बारे में

Pramod Praveen
भूगोल में पीएचडी और पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर उपाधि धारक। ईटीवी से बतौर प्रशिक्षु पत्रकार पत्रकारिता करियर की शुरुआत। कई हिंदी न्यूज़ चैनलों (इंडिया न्यूज, फोकस टीवी, साधना न्यूज) की लॉन्चिंग टीम का सदस्य और बतौर प्रोड्यूसर, सीनियर प्रोड्यूसर के रूप में काम करने के बाद डिजिटल पत्रकारिता में एक दशक से लंबे समय का कार्यानुभव। जनसत्ता, एनडीटीवी के बाद संप्रति हिन्दुस्तान लाइव में कार्यरत। समसामयिक घटनाओं और राजनीतिक जगत के अंदर की खबरों पर चिंतन-मंथन और लेखन समेत कुल डेढ़ दशक की पत्रकारिता में बहुआयामी भूमिका। कई संस्थानों में सियासी किस्सों का स्तंभकार और संपादन। और पढ़ें
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