एडमिशन स्कूल में, हाजिरी साइबर कैफे में; बिहार में डीबीटी के लिए फर्जीवाड़े का खुला खेल
स्कूल वाले साइबर कैफे को आईडी और पासवर्ड सौंप दे रहे हैं। जो बच्चे स्कूल नहीं आते हैं वे कैफे में जाकर हाजिरी बनवा लेते हैं। उपस्थिति बनाने के नाम पर कैफे संचालक अभिभावकों से उगाही कर रहे हैं।

बिहार में डीबीटी के लिए हाईस्कूलों में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। बच्चों की उपस्थिति स्कूल नहीं, साइबर कैफे में बन रही है। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को सभी योजनाओं का लाभ डीबीटी यानि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर से मिलता है। योजनाओं का लाभ लेने के लिए 75 फीसदी उपस्थिति जरूरी है। इसके लिए सभी स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि स्कूल में नामांकित हर एक बच्चे की उपस्थिति को लेकर चिन्हित करें कि कितने दिन ये स्कूल में उपस्थित हुए हैं। इसमें कई स्तर पर स्कूलों का फर्जीवाड़ा सामने आया है।
खबर की पड़ताल में जानकारी मिली है कि स्कूल वाले साइबर कैफे को आईडी और पासवर्ड सौंप दे रहे हैं। जो बच्चे स्कूल नहीं आते हैं वे कैफे में जाकर हाजिरी बनवा लेते हैं। उपस्थिति बनाने के नाम पर कैफे संचालक अभिभावकों से उगाही कर रहे हैं। यह स्थिति तब है जब हाईस्कूलों को उपस्थिति बनाने के लिए कंप्यूटर और प्रिंटर बोर्ड की ओर से उपलब्ध कराये गए हैं। शिक्षा विभाग की जांच में कई स्कूलों में यह गड़बड़ी सामने आई है। इसके बाद डीईओ ने हर एक स्कूल में इसकी जांच शुरू करवाई है। सभी प्रखंडों में अलग-अलग टीम जांच कर रही है।
40 से 50 फीसदी बच्चों की उपस्थिति फर्जी
मामला सामने आने पर जांच शुरू हुई तो हाईस्कूलों में 40 से 50 फीसदी तक फर्जी 75 प्रतिशत उपस्थिति बनाने का मामला सामने आया। जिन स्कूलों में जांच के दौरान 100-150 बच्चे मिले, वहां 75 फीसदी उपस्थिति के दायरे में हजार से 1200 बच्चे को रखा गया है। अधिकांश स्कूलों में मुश्किल से 5-10 को ही 75 फीसदी उपस्थिति से बाहर रखा गया है। मुजफ्फरपुर के डीईओ अजय कुमार सिंह ने कहा कि अलग-अलग स्कूलों में जब बच्चों की 75 फीसदी से संबंधित रिपोर्ट मांगी गई तो यह मामला खुला कि वे स्कूल में नहीं साइबर कैफे में उपस्थिति बनवा रहे हैं। इतना ही नहीं, स्कूल वालों को यह भी पता नहीं है कि किन बच्चों की कितनी उपस्थिति बनाई गई है। इसपर स्पष्टीकरण मांगने के साथ ही दोबारा स्कूल में बनवाने का निर्देश दिया गया है।
पैसे देंगे तो बच्चा आ जाएगा 75 फीसदी के दायरे में
दर्जनों अभिभावकों ने इस संबंध में विभाग के पास शिकायत की थी कि उनके पास फोन आ रहा है कि उनका बच्चा 75 फीसदी उपस्थिति पूरा नहीं कर रहा है। ऐसे में अगर वे 200 रुपये देंगे तो 75 फीसदी में उसका नाम जोड़ दिया जाएगा और उसे सभी लाभ भी मिलेगा। इस शिकायत की जांच शुरू हुई तो कई स्तर पर फर्जीवाड़ा सामने आया। स्कूल अपनी आरामतलबी और लापरवाही में बच्चों की सूची कैफे संचालक को सौंपकर निश्चिंत हैं और कैफे वाले बच्चों से उगाही कर रहे हैं।