
बिहार के 27 % विधायक,सांसद और विधान पार्षद राजनीतिक परिवार से, इन नेताओं के परिजनों का दबदबा
संक्षेप: हर जिले में एक-दो ऐसे परिवार हैं, जिनकी वहां की सियासत में डंका बजती रही है। शाहाबाद की बात करें तो बक्सर जिला में राजद के छह बार विधायक और फिर सांसद रहे जगदानंद सिंह के सांसद पुत्र सुधाकर सिंह उनकी विरासत थामे हैं। भोजपुर जिला में आजादी के बाद से एक ही परिवार का दबदबा है।
बिहार के 27 फीसदी विधायक, सांसद और विधान पार्षद राजनीतिक परिवारों से आते हैं। यहां पुरुष जनप्रतिनिधियों के मुकाबले महिला जनप्रतिनिधियों के मामले में वंशवाद की जड़ें अधिक गहरी हैं। बिहार की 57 फीसदी महिला जनप्रतिनिधि किसी न किसी राजनीतिक परिवार से जुड़ी हुई हैं। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के आंकड़ों की मानें तो देश में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक के बाद बिहार की राजनीति में सबसे अधिक जनप्रतिनिधि वंशवाद से चुन कर आये हैं।
लोजपा (रा)-हम के 50 फीसदी जनप्रतिनिधि परिवार से जुड़े
एडीआर के आंकड़ों के मुताबिक राष्ट्रीय दलों में कांग्रेस के सबसे अधिक 32%, भाजपा के 17% जनप्रतिनिधि राजनीतिक परिवार से हैं। वहीं, बिहार के क्षेत्रीय दलों में से लोजपा (रा), हम और आजसू के 50-50 % जबकि राजद और जदयू के 31-31% जनप्रतिनिधि वंशवाद के उदाहरण हैं। हालांकि, संख्या के लिहाज से तेलगुदेशम पार्टी (टीडीपी), समाजवादी पार्टी, एनसीपी (शरतचंद्र पवार), एनसीपी आदि दलों में राजनीतिक परिवार से चुने गये विधायक, सांसद और विधान पार्षदों की संख्या अधिक है।
बिहार की राजनीति में कई चुनिंदा परिवारों का दबदबा
बिहार की वर्तमान राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी, पूर्व मंत्री शकुनी चौधरी आदि परिवार का दबदबा है। साथ ही उप प्रधानमंत्री रहे बाबू जगजीवन राम, पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, भागवत झा आजाद, कर्पूरी ठाकुर, डॉ अनुग्रह नारायण सिन्हा, बीपी मंडल, रामानंद तिवारी, नरेंद्र सिंह सहित कई बड़े नेताओं की अगली पीढ़ी भी राजनीति में सक्रिय हैं। इनके अलावा भाई-भाई, पति-पत्नी, बाप-बेटी, चाचा-भतीजा की रिश्तेदारी रखने वाले नेताओं की भरमार है।
गया-नवादा में दशकों से परिवार की राजनीति
मगध क्षेत्र के गया जी इलाके में दशकों से परिवार की राजनीति होती रही है। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और पूर्व सांसद राजेश कुमार के परिवार का दबदबा रहा है। वर्तमान में मांझी की पुत्रवधु और समधन विधायक जबकि पुत्र विधान पार्षद हैं। राजेश कुमार के बेटे सर्वजीत बोधगया से विधायक हैं। नवादा में दो यादव परिवार का दबदबा रहा है। 1990 में पहली बार विधायक बने कृष्णा यादव के बाद उनके भाई राजवल्लभ यादव, फिर राजवल्लभ की पत्नी विभा देवी विधायक रहीं।
कृष्णा यादव के बेटे अशोक यादव विधान पार्षद हैं। नवादा का दूसरा ताकतवर परिवार युगल किशोर यादव का है, जो पहली बार 1969 में गोविंदपुर से विधायक बने। उनके निधन के बाद उनकी पत्नी गायत्री देवी विधायक बनीं। वर्तमान में उनके बेटे कौशल यादव और बहु पूर्णिया यादव नवादा की राजनीति में सक्रिय हैं और दोनों विधायक रह चुके हैं। जमुई इलाके में पूर्व मंत्री स्व नरेंद्र सिंह के परिवार का दबदबा रहा। उनसे पहले उनके स्वतंत्रता सेनानी पिता कृष्णा सिंह राजनीति में आये थे और तीन बार विधायक रहे। नरेंद्र सिंह के तीन बेटे अभय सिंह, अजय प्रताप और सुमित सिंह भी विधायक बने। वर्तमान में इस परिवार के सुमित सिंह बिहार सरकार में मंत्री हैं।
हर जिले में एक-दो ऐसे परिवार हैं, जिनकी वहां की सियासत में डंका बजती रही है। शाहाबाद की बात करें तो बक्सर जिला में राजद के छह बार विधायक और फिर सांसद रहे जगदानंद सिंह के सांसद पुत्र सुधाकर सिंह उनकी विरासत थामे हैं। भोजपुर जिला में आजादी के बाद से एक ही परिवार का दबदबा है। आरा मुफ्फसिल सीट पर पांच बार विधायक रहे अंबिका शरण सिंह के पुत्र राघवेंद्र प्रताप सिंह बड़हरा विधानसभा से सात बार के विधायक हैं।
दूसरा राजनीतिक परिवार रामानंद तिवारी का है। वे 1952 से 1969 तक लगातार चार बार जीते। उनकी विरासत को पुत्र शिवानंद तिवारी लम्बे समय तक आगे बढ़ाते रहे। अब पौत्र राहुल तिवारी इस सीट से लगातार दूसरी बार विधायक हैं। चार बार विधायक रहे सुनील पांडेय भी राजनीति में स्थापित नाम हैं। उनकी पत्नी गीता पांडेय चुनाव लड़ चुकी हैं। पुत्र विशाल प्रशांत तरारी से अभी भाजपा विधायक हैं।
कृष्णा सिंह-सूरजभान-अनंत सिंह के इर्द-गिर्द मोकामा की राजनीति
मोकामा की राजनीति कृष्णा सिंह, सूरजभान सिंह और अब अनंत सिंह के परिवार के इर्द-गिर्द रही है। सूरजभान के भाई चंदन सिंह नवादा से सांसद रहे। बहनोई रमेश राय विभूतिपुर से लोजपा के टिकट पर 2015 में विधानसभा लड़े। पत्नी वीणा देवी मुंगेर से सांसद रही हैं। मोकामा से दो बार विधायक और राजद सरकार में मंत्री रहे दिलीप कुमार सिंह के परिवार का भी बड़ा असर रहा है। बाहुबली कहे जाने वाले दिलीप के छोटे भाई अनंत सिंह लगातार पांच बार मोकामा से विधायक रहे। जेल जाने पर उनकी पत्नी नीलम देवी विधायक बनीं। पटना की बांकीपुर विधानसभा सीट से चार बार के विधायक और सरकार में मंत्री नितिन नवीन पिता नवीन किशोर सिन्हा के निधन के बाद उनकी विरासत संभाले हैं।
इन नेताओं के परिजनों का दबदबा
● लालू प्रसाद (पूर्व मुख्यमंत्री) : राबड़ी देवी (पत्नी), तेज प्रताप यादव (पुत्र), तेजस्वी प्रसाद यादव (पुत्र), मीसा भारती (पुत्री), रोहिणी आचार्य (पूर्व प्रत्याशी, सारण)।
● स्व. रामविलास पासवान (पूर्व केंद्रीय मंत्री) : चिराग पासवान (पुत्र), अरुण भारती (दामाद), पशुपति कुमार पारस (भाई, पूर्व सांसद), प्रिंस राज (भतीजा, पूर्व सांसद)।
● जीतन राम मांझी (केंद्रीय मंत्री) : संतोष कुमार सुमन (पुत्र), दीपा मांझी (बहु), ज्योति देवी (समधन)
● शकुनी चौधरी (पूर्व मंत्री) : पार्वती देवी (पत्नी), सम्राट चौधरी (पुत्र)
● डॉ अनुग्रह नारायण सिन्हा (बिहार के पहले उप मुख्यमंत्री) : सत्येंद्र नारायण सिन्हा (पुत्र, पूर्व मुख्यमंत्री), किशोरी सिन्हा (पुत्रवधु), निखिल कुमार (पौत्र)
● जगजीवन राम (उप प्रधानमंत्री) : मीरा कुमार (पुत्री), अंशुल अविजीत (नाती)।
● जगन्नाथ मिश्रा (पूर्व मुख्यमंत्री) : नीतीश मिश्रा (पुत्र, कैबिनेट मंत्री), ऋषि मिश्रा (पौत्र, पूर्व विधायक)
● रामलखन सिंह यादव (पूर्व केंद्रीय मंत्री) : जयवर्धन यादव (पौत्र)
● कर्पूरी ठाकुर (पूर्व मुख्यमंत्री) : रामनाथ ठाकुर (पुत्र, सांसद)
● भागवत झा आजाद (पूर्व मुख्यमंत्री) : कीर्ति आजाद (पुत्र, सांसद), राजवर्द्धन आजाद (पुत्र, एमएलसी)
● रामानंद तिवारी (पूर्व मंत्री) : शिवानंद तिवारी (पुत्र, पूर्व मंत्री), राहुल तिवारी (पौत्र, विधायक)
● तुलसीदास मेहता (पूर्व वित्तमंत्री) : आलोक मेहता (पुत्र, पूर्व मंत्री), सुहेली मेहता (पुत्री, पूर्व प्रत्याशी)
● जतदानंद सिंह (पूर्व मंत्री) : सुधाकर सिंह (पुत्र, सांसद), अजीत सिंह (पुत्र, पूर्व प्रत्याशी)
● तस्लीमुद्दीन (पूर्व केंद्रीय मंत्री) : सरफराज आलम (पुत्र, पूर्व सांसद), शाहनवाज आलम (पुत्र, पूर्व मंत्री)
● मदन प्रसाद जायसवाल (पूर्व सांसद) : संजय जायसवाल (पुत्र, सांसद)
● आनंद मोहन (पूर्व सांसद) : लवली आनंद (पत्नी, पूर्व सांसद), चेतन आनंद (पुत्र, विधायक)
● दिग्विजय सिंह (पूर्व केंद्रीय मंत्री) : श्रेयसी सिंह (पुत्री, विधायक)





