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Hindi News ऑटो17 की उम्र में पढ़ाई छोड़ इस शख्स ने बना दी 554 करोड़ की हेलमेट कंपनी, देसी ब्रांड को बना दिया ग्लोबल

17 की उम्र में पढ़ाई छोड़ इस शख्स ने बना दी 554 करोड़ की हेलमेट कंपनी, देसी ब्रांड को बना दिया ग्लोबल

स्टीलबर्ड को शून्य से शिखर तक पहुंचाने में इसके एमडी राजीव कपूर का अहम रोल रहा है। आज राजीव को हेलमेट किंग के नाम से जाना जाता है। आज ये 554 करोड़ की कंपनी बन चुकी है। यहां पढ़ें इनकी पूरी कहानी।

17 की उम्र में पढ़ाई छोड़ इस शख्स ने बना दी 554 करोड़ की हेलमेट कंपनी, देसी ब्रांड को बना दिया ग्लोबल
Narendra Jijhontiyaलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीTue, 17 Oct 2023 05:07 PM
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टू-व्हीलर की सेफ्टी को लेकर कंपनियां लगातार काम कर रही हैं, लेकिन इन्हें फोर-व्हीलर की तरह सुरक्षित बनाना बेहत मुश्किल काम है। टू-व्हीलर राइडर के लिए सबसे बड़ी सेफ्टी उसका हेलमेट ही है। हेलमेट राइडर के सिर को सुरक्षित रखता है। देश के अंदर हेलमेट बेचने वाली कई कंपनियां आ चुकी हैं, लेकिन स्टीलबर्ड सभी कंपनियों में आगे है। इसके बाद हेलमेट की लंबी और एडवांस्ड रेंज मौजूद है। बेहतर क्वालिटी की दम पर ये एशिया की भी नंबर वन कंपनी बन चुकी है। स्टीलबर्ड को शून्य से शिखर तक पहुंचाने में इसके एमडी राजीव कपूर का अहम रोल रहा है। आज राजीव को हेलमेट किंग के नाम से जाना जाता है। आज ये 554 करोड़ की कंपनी बन चुकी है। तो चलिए आज इनके हेलमेट किंग बनने की पूरी कहानी जानते हैं।

राजीव कपूर का बचपन एक संयुक्त परिवार में दादा-दादी, चाचा-चाची माता-पिता और भाई बहनों के बीच में बीता। उन्हें स्कूली शिक्षा के साथ परिवार से अच्छे संस्कार भी मिले। राजीव की बचपन से ही खेलों में बहुत दिलचस्पी रही। वे वैसे तो सभी खेलों में भाग लिया करते थे, लेकिन बेडमिंटन राजीव का प्रिय खेल रहा। वे जिस भी खेल में भाग लेते उसे चुनौती की तरह लेते और जब तक उसमें विजय प्राप्त नहीं कर लेते चैन से नहीं बैठते थे। राजीव मानते हैं कि शायद यही एक तरीका है जो इंसान को हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।

अपनी स्कूल शिक्षा के समय से ही वे अपने पिताजी के साथ फैक्ट्री में जाया करते थे। उनके पिताजी की फैक्ट्री गणेश नगर में थी। जब स्कूल की छुट्‌टी होती तो उनके पिताजी उन्हें अपने साथ फैक्ट्री ले जाया करते थे। फैक्ट्री उस समय ज्यादा बड़ी नहीं थी, लेकिन उनके पिताजी उन्हें बताते और समझाते थे कि किस प्रकार हेलमेट तैयार होते हैं। वे भी बहुत उत्सुक्ता से हेलमेट मेकिंग को देखते कि किस शिद्दत से लोग फैक्ट्री में काम कर रहे हैं। राजीव अपनी स्कूलिंग पूरी करते ही फैक्ट्री के काम काज से जुड़ गए और कॉलेज की पढ़ाई भी साथ-साथ करते रहे।

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राजीव बताते हैं कि मुझे वो काम सौंपा जाता था जो किसी और के बस का नहीं होता था। मैं हर काम को चुनौती की तरह लेता था। पिताजी ने बहुत बुनियादी काम से मुझे इस फील्ड की शिक्षा दी। वे इस तरह मुझे इस काम में एक्सपर्ट बनाते जा रहे थे कि मुझे पता ही नहीं चला कि यह तो मेरी ट्रेनिंग हो रही है। इसलिए मैं अपने पिताजी को अपना सबसे बड़ा गुरु मानता हूं। उन्होंने बचपन से मुझे इस तरह तैयार किया कि मैं आज हर तरह की जिम्मेदारी बहुत बखूबी निभा सकता हूं। उन्होंने हर जिम्मेदारी को पूरी शिद्दत से निभाया। आज स्टीलबर्ड मेरी जिंदगी बन गया है। मेरी सांसों में स्टीलबर्ड बसता है।

आज हम बाकी कंपनियों को देखते हैं तो पाते हैं कि ज्यादातर कंपनियों ने प्रमोशन के लिए अपने ब्रांड को प्रमोट करने के लिए ब्रांड एंबेसडर बनाए हुए हैं लेकिन स्टीलबर्ड की बात करें तो इन्होंने अब तक अपना कोई ब्रांड एंबेसडर नहीं बनाया। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि राजीव ऐसा मानते हैं कि स्टीलबर्ड खुद अपने आप में एक ब्रांड इमेज है। 1964 से स्टीलबर्ड ब्रांड है। इन सालों में स्टीलबर्ड के हेलमेट्स ने ना जाने कितनी ही पीढ़ियों की जान बचाई है। ना जाने कितने लोगों के लिए यह सेफ्टी कवच बना और आज भी लोगों की पहली पसंद बना हुआ है। आज जो युवा स्टीलबर्ड के हेलमेट खरीद रहे हैं उनके पिताजी और दादा-नाना ने भी स्टीलबर्ड के ही हेलमेट पहने हैं।

स्टीलबर्ड कंपनी के एमडी राजीव कपूर का कहना है कि स्टीलबर्ड परिवार देश की सेवा कर सके यही वह चाहता है। इसलिए हम हमेशा से अपना टैक्स पूरी तरह से देते आए हैं। जब ड्यूटी 200 प्रतिशत भी होती थी तब भी हमने अपना पूरा टैक्स चुकाया है। कभी टैक्स चोरी नहीं की। यह भी एक वजह है कि हमारी कंपनी अपना सर हमेशा ऊंचा करके रखती है। हमारा मानना है कि जो अपने देश का सम्मान करता है देश भी उसे बहुत सम्मान देता है। हमने ऐसी ही भावना के साथ जीना सीखा है।

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2002 में उनकी मायापुरी यूनिट में भयंकर आग लग गई थी। उसी दिन सुबह चार करोड़ का माल एक्सपोर्ट होना था किंतु वह सब तहस-नहस हो गया। उस समय हम एक्सपेंशन कर रहे थे और 21 करोड़ का लोन भी था। हमारा संयुक्त परिवार भी अलग हो रहा था। 2002 में यह रकम बहुत बड़ी थी। तब हमने दोबारा बिजनेस की नई यात्रा शुरु की। यह एक बहुत मुश्किल भरा दौर था, लेकिन आत्मबल और पत्नी के सहयोग से इस मुश्किल दौर को पार करना मुमकिन हो गया। आज स्टीलबर्ड कंपनी निरंतर आगे बढ़ती जा रही है। कंपनी के हिमाचल प्रदेश में चार प्लांट हैं। दिल्ली में दो ऑफिस हैं। एक ऑफिस इटली में भी है। एक ऑनलाइन कंपनी है जोकि पंचकूला में है।

कंपनी अपने बड्‌डी प्लांट में 150 करोड़ के निवेश से शुरु हुई ईपीएस विनिर्माण सुविधा को जोड़ने के लिए निवेश करने जा रही है ताकि हेलमेट की गुणवत्ता से समझौता न किया जा सके। जिसके बाद कंपनी रोज 50,000 हेलमेट बना सकेगी। देश के सभी टू व्हीलर निर्माता कंपनी को स्टीलबर्ड ही अपने हेलमेट सप्लाई करता है। स्टीलबर्ड एकमात्र ब्रांड है जो यूरोपीय मानक ईसीई 2006 के अनुसार हेलमेट बनाने के लिए प्रमाणित है।

इसके अलावा स्टीलबर्ड कंपनी पूरे भारत में स्टीलबर्ड राइडर शॉप्स बना रही है। यह एक्सक्लूसिव राइडर्स शॉप्स होंगी जहां स्टीलबर्ड की सारी रेंज मिलेगी इसके अलावा कंपनी अपना एक्सक्लूसिव शोरूम भी खोलने जा रही है जहां 3000 से ज्यादा हेलमेट मिलेंगे। इसके साथ ही अब राजीव ने ऑनलाइन बिजनेस में भी निवेश किया है। उनका ऑनलाइन प्लेटफॉर्म हाल ही में 10,000 रिसेलर में से 175 रैंकिंग के साथ एमेजॉन पर रिसेलर के रूप में जगह बनाए हुए है। इसके साथ ही देश भर में 1000 विशिष्ट शॉपी के साथ दुनिया की सबसे बड़ी हेलमेट शॉपी की श्रृंखला स्थापित करना भी कंपनी का लक्ष्य है।

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