विदेशों में भी बढ़ी भारतीय वाहनों की डिमांड, 2030 तक भारत होगा दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटो उद्योग; अभी GDP में 7.1% योगदान
क्रेंद्र सरकार ने एक बयान में कहा है कि भारतीय ऑटो उद्योग 2030 तक दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उद्योग बन सकता है। भारतीय ऑटो उद्योग का अभी देश की GDP में 7.1% का योगदान है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं।

सरकार ने सोमवार को कहा कि भारत का ऑटोमोटिव उद्योग 2030 तक दुनिया में तीसरे नंबर पर पहुंच जाएगा। ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट्स के लिए ₹25,938 करोड़ की पीएलआई जैसी स्कीम इस सेक्टर को ग्रो करने में मदद कर रही हैं। भारी उद्योग मंत्रालय (MHI) प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव-ऑटो स्कीम के परफॉर्मेंस रिव्यू पर मंगलवार को एक बैठक आयोजित कर रहा है। इसमें स्टेकहोल्डर के साथ बैठक की अध्यक्षता भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडे करेंगे। इस आयोजन में इस योजना के माध्यम से उपलब्ध अवसरों को समझने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
रेंज और पावर में पहले ही दमदार थी ये इलेक्ट्रिक बाइक, अब नया कलर भी ग्राहकों को अपनी तरफ खींचेगा
मंत्रालय ने कहा कि एमएचआई ऑटोमोटिव उद्योग के पीएलआई-ऑटो आवेदकों को योजना के महत्वपूर्ण स्टेकहोल्डर में से एक मानता है। बैठक में जिन स्टेकहोल्डर के उपस्थित रहने की उम्मीद है उनमें पीएलआई-ऑटो आवेदक, टेस्टिंग एजेंसियां आदि शामिल हैं, जो अपने ज्ञान और अनुभव साझा करेंगे और चिंताओं और चुनौतियों का समाधान करेंगे।
2030 तक दुनिया में तीसरे नंबर पर होगा ऑटो उद्योग
इन योजनाओं के व्यापक प्रभाव से ऑटोमोटिव उद्योग का विकास होगा और यह अनुमान है कि भारतीय ऑटोमोटिव उद्योग 2030 तक दुनिया में तीसरे नंबर पर होगा। एमएचआई ऑटोमोटिव उद्योग के पीएलआई-ऑटो आवेदकों को महत्वपूर्ण हितधारकों में से एक मानता है। ऐसा एक आधिकारिक बयान में कहा गया है।
सकल घरेलू उत्पाद में इस सेक्टर का योगदान
इसमें इस बात पर जोर दिया गया कि देश के अंदर एडवांस ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (AAT) उत्पादों के स्थानीयकरण और डेवलप के टारगेट को ऑटोमोटिव उद्योग के समर्थन और विकास के बिना हासिल नहीं किया जा सकता है। भारत में ऑटोमोटिव उद्योग अर्थव्यवस्था के मुख्य स्तंभों में से एक है। मजबूत बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज के साथ यह विकास का एक प्रमुख चालक है। राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में इस सेक्टर का योगदान 1992-93 में 2.77 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 7.1 प्रतिशत हो गया है। यह 19 मिलियन से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करता है।
टू-व्हीलर और पैसेंजर कारों की बाजार हिस्सेदारी
भारत में ऑटोमोबाइल बाजार में, 2021-22 के दौरान दोपहिया वाहनों और यात्री कारों की बाजार हिस्सेदारी क्रमशः 77 प्रतिशत और 18 प्रतिशत रही। यात्री कारों की बिक्री में छोटी और मिड साइज की कारों का दबदबा है।
2024 तक भारत का लक्ष्य साल
भारत का लक्ष्य साल 2024 भारत का लक्ष्य इयर 2024 के अंत तक अपने ऑटो उद्योग के साइज का दोगुना करके ₹15 लाख करोड़ करना है। अप्रैल 2000 से सितंबर 2022 तक उद्योग में 33.77 बिलियन अमेरिकी डॉलर का एफडीआई प्रवाह हुआ है, जो इसी अवधि के दौरान भारत में कुल एफडीआई प्रवाह का लगभग 5.48 प्रतिशत है।
