Hindi Newsऑटो न्यूज़If you are looking to buy a car now then know BS-4 better or BS-6

अभी कार खरीदना चाह रहे हैं तो जान लें आपके लिए बीएस-4 बेहतर या फिर बीएस-6

देशभर में 1 अप्रैल 2020 से भारत स्टेज-6 नॉर्म्स लागू होने वाला है। जिसके बाद बाजार में बिकने वाली हर कार इन कड़े उत्सर्जन मानदंडों का पालन करेगी। लेकिन नए खरीदारों और मौजूदा कार मालिकों में इसे लेकर...

Ashutosh Ray लाइव हिन्दुस्तान टीम, नई दिल्लीFri, 27 Sep 2019 05:20 PM
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देशभर में 1 अप्रैल 2020 से भारत स्टेज-6 नॉर्म्स लागू होने वाला है। जिसके बाद बाजार में बिकने वाली हर कार इन कड़े उत्सर्जन मानदंडों का पालन करेगी। लेकिन नए खरीदारों और मौजूदा कार मालिकों में इसे लेकर काफी प्रश्न हैं? क्या बीएस6 नॉर्म्स लागू होने के बाद ग्राहक अपनी गैर-बीएस6 कार चलाना जारी रख सकते हैं या आपको अपनी कार कबाड़ में बेचनी पड़ेगी? कुछ ऐसे ही प्रश्नों के जवाब के साथ आज हम हाज़िर हुए हैं जो शायद आपके रातों की नींद हराम कर सकते हैं।

प्रश्न.1 बीएस4 और बीएस6 नॉर्म्स में क्या अंतर है? 
भारत स्टेज-4 (बीएस4) और भारत स्टेज-6 (बीएस6) दोनों ही उत्सर्जन मानदंड है, जो कार से निकलने वाले प्रदूषकों की अधिकतम सीमा निर्धारित करते हैं। बीएस4 की तुलना में बीएस6 मानदंड और भी ज्यादा कड़े हैं। वर्तमान में बीएस4 नॉर्म्स के अनुसार पेट्रोल कार से निकलने वाले नाइट्रोजन ऑक्साइड (एनओएक्स) की अधिकतम 80 मिलीग्राम/किमी मात्रा स्वीकार्य है। बीएस6 नॉर्म्स लागू होने पर इसकी अधिकतम मात्रा 60 मिलीग्राम/किमी हो जाएगी। इसके अलावा डायरेक्ट इंजेक्शन वाली पेट्रोल कारों से निकलने वाले कणिका तत्व (पार्टिक्युलेट मैटर/पीएम) की मात्रा 4.5 मिलीग्राम/किमी तय की गई है।

डीजल कारों के मामले में इन नॉर्म्स को बेहद सख़्त रखा गया है जिसके तहत नाइट्रोजन ऑक्साइड (एनओएक्स) की मात्रा को 250 मिलीग्राम/किमी से घटाकर 80 मिलीग्राम/किमी और हाइड्रोकार्बन+एनओएक्स के उत्सर्जन को 300 मिलोग्राम/किमी से 170 मिलीग्राम/किमी कर दिया गया है। वहीं, कणिका तत्वों के लिए इसकी मात्रा 25 से 4.5 मिलीग्राम/किमी कर दी गई है।

प्रश्न.2 क्या होगा यदि बीएस6 फ्यूल (पेट्रोल/डीजल) को बीएस4 कार में डाल दिया जाए?
बीएस6 नॉर्म्स लागू होने के बाद देशभर के सभी पंपों पर केवल बीएस6 पेट्रोल या डीजल फ्यूल ही उपलब्ध होगा। इन फ्यूल (ईंधन) को बीएस4 या इससे पुरानी कारों में बिना किसी समस्या के उपयोग में लिया जा सकेगा। हालांकि, बीएस6 फ्यूल का उपयोग करने से बीएस4 कारों के पावर आउटपुट और माइलेज में थोड़ी कमी जरूर आ सकती है।

ईंधन में सल्फर होता है, जो इंजन के लुब्रिकेशन में मदद करता है जिससे सिलेंडर में फ्यूल का कुशलता से दहन होता है। चूँकि बीएस6 फ्यूल में बीएस4 फ्यूल की तुलना में सल्फर की मात्रा को घटाया गया है ऐसे में फ्यूल के लुब्रिकेशन गुण को बनाये रखने के लिए इसमें अन्य एडिटिव्स (योजक तत्व) डालें गए हैं।    

प्रश्न.3 यदि बीएस6 इंजन में बीएस4 ईंधन का उपयोग किया जाए तो क्या तब भी यह बीएस6 नॉर्म्स का पालन करेंगे? और क्या इससे इंजन को नुकसान पहुंचा सकता है?
बीएस6 इंजन तब ही बीएस6 उत्सर्जन नॉर्म्स का पालन कर सकेगा जब उसमे बीएस6 ईंधन डाला जाएगा। हालांकि, इसे बीएस4 ईंधन पर भी काम में लिया जा सकता है। नए कार खरीदार इस बात से चिंतिति है कि यदि बीएस 6 इंजन वाली कार में बीएस 4 ईंधन का उपयोग किया जाएगा तो इससे इंजन को नुकसान पहुंच सकता है। लेकिन वास्तव में ऐसा कुछ नहीं होगा। अपनी कुछ कारों में बीएस6 इंजन पेश कर चुकी मारुति सुजुकी, हुंडई और किया मोटर्स के अनुसार बीएस6 पेट्रोल गाड़ियों को बीएस4 पेट्रोल ईंधन पर बिना किसी समस्या के चलाया जा सकता है। 

हालांकि, डीजल कारों को लेकर कुछ मदभेद हैं। उदहारण के लिए, किया मोटर्स ने बीएस6 इंजन वाली सेल्टोस को बीएस4 ईंधन पर बिना किसी समस्या के 1 लाख किमी तक टेस्ट किया है। वहीं, हुंडई मोटर्स ने बीएस6 इंजन में बीएस4 ईंधन के उपयोग को लेकर चिंता जताई है, यह कहते हुए कि यह अंततः समस्याओं को जन्म दे सकता है। 

हम आपको सलाह देते हैं कि देशभर में बीएस6 ईंधन उपलब्ध होंगे के बाद ही बीएस6 डीजल कार ख़रीदे। लेकिन यदि आप वर्तमान में ही नई डीजल कार लेना चाहते हैं और आपकी प्रति दिन औसत ड्राइविंग15 किमी से कम तो आप बिना किसी चिंता के इन्हें खरीद सकते हैं।

प्रश्न.4 क्या बीएस4 की तुलना की तुलना में बीएस6 कारों के माइलेज और परफॉर्मेंस में अंतर होगा?
किसी कार का माइलेज और परफॉर्मेंस कई कारकों पर निर्भर करता है। इनमें से एक कारक इंजन के एयर इंजेक्शन और एग्जॉस्ट गैसों के निकास प्रणाली पर भी निर्भर है। बीएस4 से बीएस6 नॉर्म्स पर जाने से कारों के माइलेज और परफॉर्मेंस पर मामूली फर्क पड़ेगा क्योंकि कार निर्माताओं को इंजन के एयर सक्शन प्रणाली में बदलाव करना होगा। 

हाल ही में बीएस6 पेट्रोल पर अपग्रेड हुई मारुति डिजायर इसका सटीक उदहारण है। एआरएआई के अनुसार डिजायर का बीएस4 वर्ज़न 22 किमी/लीटर का माइलेज देने में सक्षम है वहीं, इसका बीएस6 वर्ज़न 21.21 किमी/लीटर का माइलेज देता है।

प्रश्न.5 क्या बीएस6 ईंधन ज्यादा महंगा होगा?
वर्तमान में केवल दिल्ली-एनसीआर के पेट्रोल पंपों पर बीएस6 ईंधन उपलब्ध हैं जो की आम ईंधन प्राइस पर ही उपलब्ध हैं। हमारे सूत्रों के अनुसार, ईंधन कीमतों को सरकार द्वारा जांच में रखा गया है और 1 अप्रैल 2020 के बाद ईंधनों की प्राइस रेट बढ़ सकती है। कीमतों में वृद्धि होना अनिवार्य भी लग रहा हैं क्योंकि पेट्रोकेमिकल कंपनियों द्वारा क्लीनर बीएस6 ईंधन के उत्पादन हेतु बड़े पैमाने पर रिफाइनरियों को अपग्रेड करना पड़ रहा हैं।

प्रश्न.6 बीएस4 से बीएस6 मानदंडों पर अपग्रेड होने से गाड़ियों की प्राइस में कितना अंतर आएगा? 
बीएस4 से बीएस6 नॉर्म्स पर अपग्रेड होने से पेट्रोल गाड़ियों की कीमत 10 से 20 हज़ार रुपये तक बढ़ सकती हैं। वहीं, डीजल कारों की कीमतों में 80,000 से लेकर 1 लाख रुपये तक की वृद्धि होने का अंदेशा है। मारुति ने हाल ही में स्विफ्ट और अर्टिगा के पेट्रोल मॉडल को बीएस6 नॉर्म्स पर अपडेट किया है जिसके चलते इनकी प्राइस में क्रमशः 15,000 और 10,000 रुपये का इज़ाफ़ा देखा गया।

प्रश्न.7 क्या अभी बीएस4 कार लेना सही होगा या फ़रवरी/मार्च 2020 तक स्टॉक क्लीयरेंस डिस्काउंट का इंतज़ार करें?
यदि आप किसी मौजूदा कार के बीएस6 वर्ज़न हेतु ज्यादा दाम अदा नहीं करना चाहते हैं तो अभी इसका बीएस4 वर्ज़न खरीद सकते हैं। लगभग सभी कार कंपनियों ने अपना मौजूदा स्टॉक निकालने के लिए वर्तमान में कई ऑफर्स की पेशकश कर रही है और जल्द ही ईयर-एन्ड डिस्काउंट भी मिलने लगेंगे। जनवरी 2020 तक सभी कपनियां अपनी बीएस4 कारों का स्टॉक लगभग निपटा देगी। ऐसे में उनपर छूट की गुंजाईश बेहद कम रह जाती है।   

हालांकि, पर्यावरण हमारी प्राथमिकता है और होनी भी चाहिए। ऐसे में यदि आप बीएस6 कार के लिए अतिरिक्त भुगतान करने की क्षमता रखते हैं, तो हम आपको अपनी पसंदीदा कार के बीएस6 मॉडल की प्रतीक्षा करने का सुझाव देते हैं।

प्रश्न.8 क्या आप अपनी पुरानी कार को बीएस6 उत्सर्जन मानदंड को पूरा करने के लिए जरुरी बदलाव कर सकते हैं?
शायद आप अपने तकनिकी ज्ञान, धन और समय के निवेश से ऐसा कर सकें लेकिन ऐसा करना असंवैधानिक होगा।

प्रश्न.9 एडब्लू क्या है? यह उत्सर्जन मानदंडों को कैसे मदद करता है?
एडब्लू, यूरिया और विआयनीकृत पानी (डीआयनोनाइज़्ड वॉटर) से बना एक केमिकल सोल्युशन है। कुछ कार कंपनियों द्वारा इसका उपयोग अपने बीएस6 इंजन में किया जा रहा है जिससे इंजन से निकलने वाली एग्जॉस्ट गैसों को ट्रीट किया जा सकें और नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा में कमी लाई जा सकें। मुख्य रूप से इसका उपयोग डीजल वाहनों में किया जाता है क्योंकि डीजल इंजन पेट्रोल इंजन की तुलना में ज्यादा नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन करते हैं। भारत में जीप कंपास ट्रेलहॉक, मर्सिडीज-बेंज वी-क्लास और मर्सिडीज-बेंज एस-क्लास जैसी कारों में उत्सर्जन मानदंडों को पूरा करने के लिए एडब्लू का उपयोग किया जा रहा हैं।

प्रश्न.10 बीएस6 एरा में सीएनजी वाहनों की क्या स्थिति होगी?
चूंकि सीएनजी फ्यूल पेट्रोल डीजल की तुलना में कम प्रदूषक होता है ऐसे में सीएनजी इंजनों को ज्यादा कड़े बदलावों से नहीं गुजरना होगा। हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों की मौजूदा कमी को पूरी करने के लिए कार निर्माता फ़िलहाल सीएनजी वाहनों को अपना सकते हैं।  

प्रश्न.11 बीएस6 नॉर्म्स के बाद कौनसे नए नियम आएँगे?
बीएस6 नॉर्म्स के बाद कौनसे मानदंड लागू होने इसके बारे में अब तक कोई फैसला नहीं लिया गया है। हालांकि, हमारे उत्सर्जन कानूनों में अगला परिवर्तन ''रियल ड्राइविंग एमिशन (आरडीई)'' साइकिल के रूप में आएगा। इसके तहत एआरएआई नई कारों की टेस्टिंग नियंत्रित वातावरण (आइडियल/कंट्रोल्ड कंडीशन) के बजाय वास्तविक परिस्थितियों में करेगी। इससे कार निर्माताओं को और भी ज्यादा उत्सर्जन पर लगाम कसना होगा क्योंकि प्रयोगशाला की तुलना में वास्तिकता में एग्जॉस्ट गैसों में प्रदूषक कारकों की मात्रा अधिक होती है। 2023 से लागू होने वाले इस आरडीई मानदंडों से कार निर्माता हाइब्रिड और प्योर इलेक्ट्रिक कारों की और पहल करेंगे क्योंकि नए उत्सर्जन नियम बीएस6 से भी ज्यादा सख़्त होंगे। 

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