
आज ‘शांति और विकास के लिए विश्व विज्ञान दिवस’ है। इसके उद्देश्य स्पष्ट हैं- शांतिपूर्ण व स्थिर समाज के लिए विज्ञान की भूमिका को लेकर जागरूकता फैलाना, देशों के बीच विज्ञान को लेकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एकजुटता को बढ़ावा देना…

बादशाहों की सल्तनत समाप्त हुई, नवाबों के ठाठ गए, तो उनके शाही दस्तरख्वान के जायके आम आदमी को मयस्सर हुए। शाही दस्तरख्वान तैयार करने वाले खानसामा दुकान लगाकर बाजार में बैठ गए…

सूफी लोग कहते हैं, जो दिखाई देता है, वही सच नहीं होता, जिंदगी कई तलों पर एक साथ जी जाती है। कभी-कभी हमारे मन में जो सवाल उठता है, उसका जवाब किसी और तल पर बेबूझ तरीके से मिलता है…

पिछले हफ्ते सोने के कारोबार से जुड़ी दो बड़ी घटनाएं हुईं। एक तरफ, चीन ने सोना खरीदने पर दी जाने वाली टैक्स छूट में कटौती का एलान किया और वहां के सबसे बड़े सरकारी बैंकों में से एक ने आम ग्राहकों के बेवजह सोना खरीदने पर रोक लगा दी…

आज (10 नवंबर) जब यूनेस्को की पहल पर टिकाऊ भविष्य के निर्माण में विज्ञान के महत्व को समझते हुए ‘शांति और विकास के लिए विश्व विज्ञान दिवस’ मनाया जा रहा है, तब ब्राजील के बेलेम में 197 देशों के प्रतिनिधि इस बात पर चर्चा करने के लिए जुटे हैं…

हिंदी के एक आचार्य ने कहा कि तुलसी पर बात करने को तरस गया। आचार्य जीवित होते, तो पूछता कि सर जी! इतने दिनों तक हिंदी के सर्वेसर्वा रहकर भी तुलसी पर बात करने को कैसे तरस गए? क्या किसी ने सेंसर लगाया? आप तो जब चाहते…

वह किशोर इतना कमजोर था कि जरा-सा जोर शरीर पर पड़ते ही बिस्तर खोजने लगता था। उसकी इस कमजोरी से माता-पिता भी बहुत परेशान रहते थे। नाना उपाय किए गए, पर कमजोरी दूर न हुई। इसी कमजोरी का नतीजा था कि मन में हमेशा भय बैठा रहता था। वैसे तो पूरे कोरिया में भय का वास था…

जिंदगी की खूबसूरती उसकी अनिश्चितता में ही है। हम बनना कुछ और चाहते हैं, बन कुछ और जाते हैं। इसीलिए सयाने लोग कहते हैं, जीवन के हरेक क्षण को भरपूर जीने वाले लोग ही अपने देश-समाज और इंसानियत को कुछ ऐसा देकर जाते हैं…

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में ट्रेन और मालगाड़ी के टकराने के चंद दिनों बाद ही उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर के चुनार रेलवे स्टेशन पर एक बड़ा रेल हादसा हो गया। यहां पर गंगा स्नान के दिन कई महिलाएं कालका-हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन की चपेट में आकर अपनी जान गंवा बैठीं…

माननीय सदस्यों ने जो कुछ भी कहा है, मैं उनसे सहमत हूं। निस्संदेह मैं यह चाहता हूं कि हमारे देश में सभी के पास रहने के लिए आवास हों। तथापि, दूसरी परियोजना में यह अंतर बहुत बढ़ गया था…

महोदय, मुझे यह प्रस्ताव सदन में पेश करने का सुअवसर 10 अगस्त को मिला था, लेकिन मैं सदन को इस बारे में फिर से स्मरण दिलाने के लिए प्रस्ताव को एक बार पढ़ना चाहता हूं, ‘यह सदन सरकार से अनुरोध करती है कि शहरों और ग्रामीण आवास…

चिन्मय ने पूछा है, इस खोपड़ी से कैसे मुक्ति पाई जाए? इसीलिए आपकी शरण आया हूं। खोपड़ी से मुक्त होने का ख्याल भी खोपड़ी का ही है। मुक्त होने की जब तक आकांक्षा है, तब तक मुक्ति संभव नहीं। क्योंकि आकांक्षा मन का ही जाल और खेल है। मन संसार ही नहीं बनाता…

आवारा श्वानों की समस्या से निजात के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित ताजा निर्देश अनुकरणीय है। न्यायालय ने शुक्रवार को सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, खेल परिसरों, बस डिपो और रेलवे स्टेशनों से आवारा कुत्तों को हटाना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है

आयरलैंड में भारत के राजदूत, अखिलेश मिश्र ने अपनी पत्नी, श्रीमती रीति मिश्र के साथ 4 नवंबर को आयरलैंड के राष्ट्रपति महामहिम डॉ. माइकल डी. हिगिंस से शिष्टाचार भेंट की।

भाग्य ऐसी चीज है, जिसे आप अचेतन में निर्मित करते आए हैं। आप इसे सचेतन में भी निर्मित कर सकते हैं। आप अपने भाग्य को फिर से लिख सकते हैं। आप कहां जाना चाहते हैं, आप तय करें, अपना मार्ग और मंजिल खुद चुनें…

आपको पता है, डेमोक्रेसी (लोकतंत्र) किसे कहते हैं? जिसमें जनता अपनी हुकूमत खुद चुने, पर कौन सी जनता? घर में लेटी जनता नहीं, खेत में काम करती जनता नहीं। फैक्टरी या कंपनी में सिर खपाती जनता नहीं?…

आज राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस है। चिकित्सा विज्ञान में आजकल कई अलग पद्धतियों से कैंसर का उपचार किया जाता है और ये पद्धतियां कई मामलों में कारगर भी साबित हो रही हैं। इनमें से ही एक पद्धति ‘इम्यूनोथेरेपी’ है।

बिहार में पहले चरण के मतदान का शांतिपूर्वक संपन्न होना सुखद और प्रशंसनीय है। शाम पांच बजे तक हुए 60 प्रतिशत से ज्यादा मतदान से स्पष्ट हो गया कि अंतिम रूप से इस बार मतदान प्रतिशत सराहनीय रहने वाला है। पिछले विधानसभा चुनाव से ज्यादा मतदान से विश्लेषकों के कान खड़े हो गए हैं…

वंदे मातरम्... यह केवल उच्चरित शब्द नहीं है, यह भारतीय आत्मा का वह शाश्वत निनाद है, जो डेढ़ शताब्दी से अनवरत गुंजित हो रहा है। यह मात्र गीत नहीं, राष्ट्र-जागरण का वह दिव्य महामंत्र है, जिसने पराधीनता की बेड़ियों…

एक आदमी अपनी सुनने की क्षमता खोता जा रहा था, मगर वह अपनी इस कमजोरी को मानने को तैयार न था और ऐसा दिखावा करता, जैसे उसे कुछ हुआ ही नहीं है। एक दिन, उसके दोस्त ने बताया कि पड़ोस में रहने वाले बुजुर्ग बहुत बीमार हैं…