पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध क्यों होता है जरूरी? पढ़ें महाभारत में वर्णित तर्पण श्राद्ध से जुड़ा किस्सा
- Pitru paksha 2024: पितृपक्ष में श्राद्ध व तर्पण करने से संपूर्ण फल की प्राप्ति होने की मान्यता है। तर्पण श्राद्ध से जुड़ा एक किस्सा महाभारत के एक अध्याय में भी वर्णित है। आप भी जानें पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण करना क्यों जरूरी होता है।
Pitru paksha: पितृपक्ष में व्यक्ति को अपने पितरों की मुक्ति व तृप्ति के लिए श्राद्ध, तर्पण व पिंडदान करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से पितृदोष से छुटकारा मिलता है और वंश कुल की वृद्धि होती है। पंडित अनिल मिश्रा ने के अनुसार, पूर्वजों को पितृपक्ष में तर्पण, श्राद्धक्रम, पिंडदान करने से स्वर्गवासी पितृ गणों को तृप्ति प्राप्त होती है और परिणामस्वरूप वे अपने वंशजों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। ऐसी मान्यता है की पितृपक्ष में सभी पितृगण पृथ्वीलोक में निवास करते हैं और वह उम्मीद करते हैं कि उनके कुल के वंशज उनके नाम से श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण करें जिससे उन्हें तृप्ति मिल सके। इस साल पितृपक्ष 17 सितंबर से प्रारंभ होकर 02 अक्टूबर तक रहेंगे।
महाभारत में भी वर्णित है तर्पण श्राद्ध से जुड़ा प्रसंग- पितृ तर्पण पद्धति के अनुसार तिथि वार तर्पण करने का विधान है। अगर भूलवश या तिथि का ज्ञात नहीं होने पर अमावस्या तिथि को तर्पण किया जा सकता है। तर्पण श्राद्ध से जुड़ा प्रसंग महाभारत के 13 वें अध्याय में जरत्कारु ऋषि का है जो ब्रह्मचर्य जीवन बिताते हुए जंगल में तपस्या कर रहे थे। एक दिन शाम के वक्त ऋषि जंगल में घूम रहे थे तो एक पेड़ पर कुछ पितृगण उल्टा टंगे दिखाई दिए तब ऋषि ने उन पितरों के पास जाकर पूछा कि आप लोग कौन हैं और इस तरह उलटे क्यों टंगे हैं। इसका कारण बताइए। आप सभी की मुक्ति का उपाय क्या है। तब पितरों ने बताया कि हमारे कुल खानदान में वंश परंपरा समाप्त होने के कारण कोई नहीं बचा है जो हम सभी को पितृपक्ष में तर्पण , श्राद्ध, पिंडदान कर सके जिससे मुक्ति मिले।
पितरों ने ऋषि से कहा कि हमारे कुल खानदान में एक व्यक्ति बचा है जिसका नाम जरत्कारु है और वह भी ब्रह्मचर्य जीवन बिता रहा है। यह सुनकर जरत्कारु ऋषि को बड़ा दुख हुआ और बोले की वह अभागा जरत्कारु ऋषि में ही हूं। इतना सुनते ही सभी पितृगण प्रसन्न हो गए और बोले की बड़े ही सौभाग्य की बात है जो आप से मुलाकात हो गई। अगर आप हम सभी को मुक्ति व तृप्ति दिलाना चाहते हो तो जल्दी से जल्दी विवाह करें और अपने कुल में वंश की वृद्धि करें और पितृपक्ष के अवसर पर कुल खानदान के स्वर्गवासी पितृ गणों के नाम से श्राद्धक्रम, पिंडदान, व तर्पण करो जिससे सभी की मुक्ति हो सके।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।