
शनि, चंद्रमा के कारण बनता है यह योग, होते हैं ये नुकसान, कहीं आपकी राशि में तो नहीं बन रहा
संक्षेप: चंद्रमा और शनि के एक साथ होने के कारण यह दोष बनता है। अगर ये दोनों ग्रह कर्क और मकर राशि में, या एक दूसरे के नक्षत्र में हों, तो इस योग का निर्माण होता है। शनि और चंद्रमा के आधार पर किसी कुंडली में पुनर्फू दोष होता है।
चंद्रमा और शनि के एक साथ होने के कारण यह दोष बनता है। अगर ये दोनों ग्रह कर्क और मकर राशि में, या एक दूसरे के नक्षत्र में हों, तो इस योग का निर्माण होता है। शनि और चंद्रमा के आधार पर किसी कुंडली में पुनर्फू दोष होता है। यदि कुंडली में शनि और चंद्रमा एक साथ हों, या चंद्रमा या शनि शनि के घर में हों, या दृष्टि रखते हों, तो पुनर्फू दोष होता है। आपको बता दें कि शनि अनुशासन, मेहनत और देरी के कारक है, वहीं चंद्रमा, इमोशंस, फैसले और माइंड का कारक हैं, ऐसे में इन दोनों के साथ आने से व्यक्ति की लाइफ में जीवन में भावनात्मक संतुष्टि का अभाव रहता है। भावनात्मक असुरक्षा रहती है। इंसान रिश्तों को लेकर चयनात्मक हो जाता है। उसे प्रेम की कमी महसूस हो सकती है।

कुंडली में बनें यह पुनर्फू दोष तो क्या होता है
अगर आपकी कुंडली में यह दोष बना हुआ है तो जिदंगी के बड़े मौकों को लेकर आपको देरी का सामना करना पड़ेगा, जैसे शादी, करियर, प्रोपर्टी की खरीद। खासकर अगर आपकी कुंडली में यह दोष है, तो आपकी शादी पक्की होगी और फिर टूट जाएगी। चंद्रमा और शनि के कारण व्यक्ति का दिमाग बार-बार बदलेगा। अपनी पसंद पर व्यक्ति भरोसा नह कर पाएगा।
पुनर्फू दोष से बचने के लिए क्या करें
आपको बता दें कि शनि का काम करने का तरीका है कि शनि आपको जिंदगी का सबक सिखाते हैं। वे आपके काम में चैलेंज देते हैं और देर करते हैं, जिससे आप धैर्य को समझें। आपको फैसले जल्दीबाजी में नहीं लेने चाहिए। अपने लक्ष्यों को हासिल करके लंबे समय के लिए स्थायित्व लाना चाहिए। इस दोष के कारण धैर्य, आवेग में आकर फैसला ना लेने की प्रैक्टिस करनी चाहिए।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।





