सक्सेस मंत्र: आपकी एक छोटी सी कोशिश बदल सकती है किसी और की जिंदगी
मार्क हर रोज की तरह स्कूल से घर लौट रहा था। उसने अचानक गौर किया कि उसके आगे अनमने ढंग से चल रहे लड़के की सारी किताबें नीचे गिर गयी हैं। उसके अलावा उसके पास दो स्वेटर, बेसबॉल बैट, दस्ताने और एक...
मार्क हर रोज की तरह स्कूल से घर लौट रहा था। उसने अचानक गौर किया कि उसके आगे अनमने ढंग से चल रहे लड़के की सारी किताबें नीचे गिर गयी हैं। उसके अलावा उसके पास दो स्वेटर, बेसबॉल बैट, दस्ताने और एक छोटा टेपरिकॉर्डर भी था, वो सब भी नीचे गिर गये थे। मार्क झुका और फैले हुए सामान को उठाने में लड़के की मदद करने लगा। दोनों का रास्ता एक ही था, इसलिए वे आपस में बातें करने लगे। मार्क ने लड़के का कुछ वजन भी उठा लिया। साथ चलते हुए पता चला कि लड़के का नाम बिल था। यह भी कि उसे वीडियो गेम्स, बेसबॉल खेलना और इतिहास विषय अच्छे लगते हैं। यह भी जाना कि उसे दूसरे विषयों की पढ़ाई करने में दिक्कतें होती हैं। हाल में उसके माता-पिता में तलाक हुआ है और उसका एक दोस्त उससे बहुत दूर चला गया है।
रास्ते में पहले बिल का घर पड़ता था। बिल ने मार्क को घर बुलाया। साथ ही उसे कोल्ड ड्रिंक्स और टेलीविजन देखने के लिए आमंत्रित किया। इस तरह दोपहर एक-दूसरे के साथ हंसी-मजाक में बीतती गयी। उन्होंने कुछ बातें कीं और मार्क घर चला गया।
वे दोनों अब आगे भी स्कूल में मिलने लगे। कभी-कभार साथ में खाना खाते। दोनों ने जूनियर स्तर की पढ़ाई एक ही स्कूल से पूरी की। उसके बाद हाईस्कूल भी एक ही रहा। दोनों की दोस्ती कायम रही। अब पढ़ाई का अंतिम वर्ष पूरा होने को था। तीन सप्ताह शेष थे, जब बिल मार्क के पास आया और कहा कि उसे कुछ बात करनी है।
वे दोनों पैदल चलने लगे। बिल ने मार्क को उस दिन की याद दिलायी, जब वे पहली बार मिले थे। उसने मार्क से पूछा कि क्या तुमने कभी सोचा कि उस दिन मैं इतना सारा सामान घर क्यों लेकर जा रहा था? जानते हो, मैंने उस दिन अपना लॉकर पूरा खाली कर दिया था, ताकि कोई उसे इस्तेमाल कर सके। मैंने अपने पास अपनी मां की कई सारी नींद की गोली इकट्ठी की हुई थीं, मैं उस दिन आत्महत्या करने जा रहा था। पर फिर हमने कुछ वक्त साथ बिताया। हमने बातें कीं। मैं तुम्हारे साथ हंसा। मुझे एहसास हुआ कि अगर मैं मर गया होता तो वह समय तुम्हारे साथ नहीं बिता पाता। और वह सब समय भी नहीं, जो इतने सालों में मैंने तुम्हारे साथ बिताया है। बिल ने कहा, ‘मार्क, उस दिन तुमने मेरी किताबें ही नहीं उठायी थीं, मुझे भी उठा दिया था। वह छोटा सा काम नहीं था, वह मेरी जिंदगी थी।’