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सक्‍सेस मंत्र : रास्ते की रुकावट तो नहीं बन रहा आपका गुस्सा

सूरी काफी मेहनती लड़का था। जो भी काम करता, पूरा मन लगाकर करता। पढ़ाई में नंबर भी अच्‍छे ही रहे, मगर इसके बावजूद उसे कोई अच्‍छी नौकरी नहीं मिल सकी। उसे बहुत से लोगों ने समझाया कि अपना...

सक्‍सेस मंत्र : रास्ते की रुकावट तो नहीं बन रहा आपका गुस्सा
लाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्ली Mon, 24 Sep 2018 06:37 AM
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सूरी काफी मेहनती लड़का था। जो भी काम करता, पूरा मन लगाकर करता। पढ़ाई में नंबर भी अच्‍छे ही रहे, मगर इसके बावजूद उसे कोई अच्‍छी नौकरी नहीं मिल सकी। उसे बहुत से लोगों ने समझाया कि अपना गुस्‍सा कम करे। वो बहुत सोचता मगर कुछ कर नहीं पाता। इसी वजह से उसका बिजनेस में भी काफी नुकसान हो रहा था। घर में भी सब समझा कर हार गए थे। 

एक दिन सूरी फिर किसी से फोन पर झगड़ रहा था। उसके पापा यह सब देख रहे थे। 
उनके घर में पीछे काफी सारी खाली जगह थी। एक दिन सुबह उन्‍होंने सूरी को कहा कि पीछे का बरामदा काफी गंदा पड़ा है, चलो उसकी सफाई करते हैं। सफाई के दौरान उन्‍हें वहां एक लकड़ी का बोर्ड मिला। पापा ने सूरी से उस बोर्ड को अच्‍छी तरह साफ कर बाहर लाने को कहा। जब तक सूरी ने बोर्ड को साफ किया, तब तक पापा कुछ कीलें ले आए। उन्‍होंने कीलें सूरी की तरफ बढ़ाते हुए कहा कि अब से जब-जब उसे गुस्‍सा आए तो वह एक कील इस बोर्ड में लगा दे।

सूरी को पहले तो कुछ समझ में नहीं आया। मगर उसने पापा के कहे मुताबिक वैसा ही करना शुरू कर दिया। कुछ दिनों में उसने महसूस किया कि उसका गुस्‍सा कम हो रहा है। उसने अपने अंदर आए इस बदलाव के बारे में पापा को बताया। 

अब पापा ने उससे कहा कि जिस तरह वह रोज अपने गुस्‍से पर काबू करता है, अब उसी तरह वह उन लगाई गई कीलों को भी बाहर निकालने लगे। लगभग 15 दिन बाद सूरी ने पापा को बताया कि बोर्ड में अब एक भी कील नहीं है। सूरी को लगा पापा इस बात से खुश होंगे और उसे गले से लगा लेंगे। मगर ऐसा नहीं हुआ। पापा उसका हाथ पकड़कर उसे बोर्ड के पास ले गए। उन्‍होंने कहा, बेटा कीलें तो तुमने निकाल दी हैं, मगर उसके निशान रह गए हैं जो कभी नहीं जाएंगे। 
उन्‍होंने सूरी को जो समझाया उससे कुछ सबक मिलतें हैं, आइए जानें 

सूरी को समझ में आईं ये 4 बातें

  • जबान से बोली गई कड़वी बात दिल में घाव कर देती है। बाद में चाहे तुम्‍हें कितना भी पछतावा क्‍यों न हो, मगर तुम्‍हारी कही गई बात से जो तकलीफ सामने वाले को हो चुकी है, उसकी भरपाई नहीं की जा सकती है। 
  • बिना सोचे-समझे आवेश में कही गई बात पर कभी-कभी बाद में खुद को ही पछताना पड़ता है। इनसान सामाजिक प्राणी है, वह सबसे अलग-थलग होकर नहीं रह सकता है। 
  • मीठी बोली से तुम अपना कैसा भी पेचीदा काम करवा सकते हो, मगर कड़वी बात तुम्‍हारी बेहद मसले को भी खराब कर सकती है।  
  • दिन में कम से कम एक अपनी किसी कमी पर दिल खोलकर हंसना जरूर चाहिए। इससे हम अपनी आलोचनाओं का सामना करना सीखेंगे।
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