आमलकी एकादशी: मोक्ष की कामना है जो जरूर करें ये व्रत
फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष एकादशी को आमलकी एकादशी का व्रत रखा जाता है। कहा जाता है कि जो प्राणी मोक्ष की कामना रखते हैं उनके लिए यह व्रत श्रेष्ठ है। इस एकादशी को आंवला एकादशी और आमलका एकादशी नाम से...
फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष एकादशी को आमलकी एकादशी का व्रत रखा जाता है। कहा जाता है कि जो प्राणी मोक्ष की कामना रखते हैं उनके लिए यह व्रत श्रेष्ठ है। इस एकादशी को आंवला एकादशी और आमलका एकादशी नाम से भी जाना जाता है। इस यह आमलकी एकादशी 26 फरवरी यानी सोमवार को पड़ रही है।
इस दिन भगवान विष्णु के साथ आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। पीपल और आंवले के वृक्ष को हिंदू धर्म में देवता के समान माना जाता है। मान्यता है कि जब भगवान श्री हरि विष्णु ने सृष्टि की रचना के लिए ब्रह्मा जी को जन्म दिया, उसी समय भगवान विष्णु ने आंवले के वृक्ष को भी जन्म दिया। इसी कारण आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। आंवले के वृक्ष के हर अंग में ईश्वर का निवास माना जाता है।
इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान विष्णु का पूजन करें। इस वृक्ष के पास बैठकर पूरी रात श्री हरि विष्णु का स्मरण करें। मान्यता है कि सौ गायों को दान करने का जो फल होता है वही फल इस व्रत को धारण करने से प्राप्त होता है। जो लोग इस व्रत को नहीं करते हैं तो वह इस दिन भगवान विष्णु को आंवला अर्पित करें और स्वयं इसे ग्रहण भी करें।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।